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Buxar Top News: धनुष यज्ञ सम्पन्न, आज सीता के हो जायेंगे राम ..



कृष्ण सुदामा के समीप आकर उनके पैर में लगे कांटे को निकालते हैं. दोनों एक दूसरे का परिचय जानते हैं और मित्रता हो जाती है

- विजयादशमी महोत्सव के नौवें दिन रासलीला व रामलीला का हुआ मंचन.

- सुदामा को गुरु ने दिया दरिद्रता का श्राप.



बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: श्री राम लीला समिति बक्सर के तत्वाधान में रामलीला मैदान स्थित विशाल मंच पर चल रहे विजयदशमी महोत्सव के नौवें दिन रामलीला मंचन के दौरान धनुष यज्ञ के प्रसंग का मंचन किया गया.

जिसमें दिखाया गया कि राजा जनक भोलेनाथ से धनुष लेकर महल में आते हैं और नित्य दिन उसकी पूजा करते हैं. एक दिन जनक जी किसी कार्यवश महल से बाहर गए होते हैं. उस दिन महारानी भी धनुष की पूजा करना भूल जाती हैं. यह देख सीता जी अपने एक हाथ से धनुष को उठाकर गोबर से चौका लगाया और उसका पूजन किया. यह बात जब राजा  जनक ने सुनी कि जानकी ने एक हांथ से धनुष को उठाकर उसका पूजन किया, तो राजा उसी समय घोषणा करवा देते हैं कि जो राजा इस धनुष का खंडन करेगा. उसी से मेरी किशोरी का विवाह होगा.

 राजा जनक धनुष यज्ञ की तैयारी करवाते हैं. सभाकक्ष में विश्वामित्र सहित राम लक्ष्मण भी आते हैं. जनक जी उनको उच्च आसन पर बैठाते हैं. पूरा सभागार देश देशांतर से आए हुए राजाओं से भर जाता है. तभी बालासुर और रावण का संवाद होता है और दोनों सभागार से बाहर हो जाते हैं. तब धनुष यज्ञ की घोषणा होती है. एक एक कर सभी राजा धनुष उठाने का प्रयास करते हैं और और असफल हो जाते हैं. सभी राजाओं को असफल होते देख जनक जी को क्रोध आ जाता है. वह सभागार के सभी राजाओं पर क्रोध करते हुए पृथ्वी को वीरों से खाली बता देते हैं. राजा जनक के इस प्रकार कहने से लक्ष्मण जी को गुस्सा आ जाता है. उसके बाद श्री राम गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर धनुष का खंडन करते हैं. सभी देवता गण फूल बरसाते हैं और सीता जी श्री राम के गले में जयमाल पहनाती हैं. लीला का दर्शन कर रहे दर्शक इस मनमोहक प्रसंग को देख कर जय श्रीराम का जयघोष करने लगते हैं. मंचन के दौरान पूरा रामलीला मैदान दर्शकों से खचाखच भरा पड़ा था.

इधर, दिन के कृष्ण लीला के दौरान सुदामा चरित्र भाग - 1 का मंचन किया गया. जिसमें दिखाया गया कि महाराज वासुदेव श्री कृष्ण को विद्या ग्रहण करने के लिए गुरु सांदीपन की पाठशाला में भेजते हैं. इधर मार्ग में विद्या ग्रहण के लिए सुदामा भी जा रहे थे. तभी सुदामा के पैर में कांटा चुभ गया और वह प्रभु का नाम लेकर चीखने लग जाते हैं. रोने की आवाज सुनकर कृष्ण सुदामा के समीप आकर उनके पैर में लगे कांटे को निकालते हैं. दोनों एक दूसरे का परिचय जानते हैं और मित्रता हो जाती है. कृष्ण और सुदामा दोनों गुरु के आश्रम में पहुंचते हैं गुरुदेव दोनों को शिक्षा प्रदान करते हैं. एक दिन सुदामा अपने पाठ को भूल जाते हैं तो उनको सजा के तौर पर जंगल जाकर लकड़ी लाने को कहा गया. यह देख मित्रता निभाने के लिए श्रीकृष्ण भी अपनी पाठ को भूलने का बहाना बनाते हैं. गुरुदेव दोनों को साथ-साथ लकड़ी लाने को भेजते हैं और मार्ग के लिए चना लेकर श्री कृष्ण सुदामा वन में पहुंच जाते हैं. वन में सुदामा को भूख लगती है तो वह कृष्ण के हिस्से का चना भी खा जाते हैं. जब गुरुदेव को इस बात की जानकारी हुई तो वह सुदामा को दरिद्रता का शाप दे देते हैं.


उक्त प्रसंग का मंचन देख दर्शक भाव विभोर हो गए. वृंदावन से पधारे सुप्रसिद्ध रामलीला मंडल श्री श्यामा श्याम रामलीला व रासलीला मंडल के स्वामी श्री शिवदयाल शर्मा (दत्तात्रेय) के सफल निर्देशन में हुए मंचन के दौरान आयोजक मंडल के सभी पदाधिकारी मौजूद रहे.

आज दिन में कृष्ण लीला के दौरान सुदामा चरित्र भाग-2 और रात्रि में श्री लक्ष्मण परशुराम संवाद व श्री राम विवाह प्रसंग दिखाया जाएगा.




















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