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Buxar Top News: जिला प्रशासन की लापरवाही से जा सकती थी बॉलीवुड अभिनेत्री समेत सैकड़ों लोगों की जान..

स्कूली वाहन के जाम में फंसे होने के कारण परिजनों को उठानी पड़ी फ़जीहत


- शॉपिंग मॉल के उद्घाटन समारोह में आयी थी अभिनेत्री महिमा चौधरी, भरत शर्मा तथा गोपाल राय जैसी हस्तियां.
- शहर के बीचों-बीच था आयोजन स्थल.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गुरुवार को नगर में एक शॉपिंग मॉल के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए बॉलीवुड अभिनेत्री महिमा चौधरी बक्सर पहुंची. नगर के व्यस्ततम इलाके मेन रोड में स्थित इस मॉल तक पहुंचने वाले रास्ते में अक्सर भीषण जाम लग जाया करता है, बावजूद इसके बक्सर की विधि व्यवस्था को कायम रखने को कृतसंकल्पित जिला प्रशासन द्वारा इस कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम के आयोजन के लिए नगर के इस इलाके की अनुमति प्रदान करना कई गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.

बॉलीवुड की अभिनेत्री के आगमन की सूचना मिलने के बाद बक्सर के लोगों में उनकी एक झलक पाने की लालसा थी. शॉपिंग मॉल के प्रबंधकों ने लोगों की इस लालसा को अपने व्यवसायिक फायदे के लिए भुनाया. लेकिन बक्सर प्रशासन यह भूल गया कि इस स्थान जहां अक्सर ऐसे ही जाम लग जाया करता है, वहां इतनी बड़ी सेलिब्रिटी के आगमन के बाद क्या माहौल उत्पन्न हो सकता है? संभव था भगदड़ अथवा किसी भी अन्य दुर्भाग्यपूर्ण घटना के दौरान अभिनेत्री के साथ कोई बड़ा हादसा हो जाए ! भगदड़ जैसी स्थिति होने के बाद कई लोगों की जाने जाने भी जा सकती थी.
सड़क पर लगा रहा जाम

 अभिनेत्री के आगमन को लेकर बाद तकरीबन 3 घंटे तक सड़क पर लोग जाम से जूझते रहे. सुबह ग्यारह बजे आने वाली अभिनेत्री करीब दो बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंची. अभिनेत्री के आने के बाद प्रशासन द्वारा सड़क पर आवागमन को भी पूरी तरह रोक दिया गया. इस दौरान स्कूल से घर आ रहे बच्चों समेत अपना कामकाज निपटाने जा रहे लोगों को भी भारी फजीहत उठाने पड़ी.

स्थानीय निवासी प्रदीप कुमार ने बताया कि विधि व्यवस्था के नाम पर मंगलवार को पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कुछ युवा नेताओं पर जमकर लाठियां चटकायी तथा उन पर दंगा फैलाने, सरकारी काम में बाधा डालने, मारपीट करने जैसी धाराओं को लगा कर उन्हें जेल भेज दिया गया.  हालांकि, उस समय प्रशासन का तर्क था कि तकरीबन 4 घंटे से अधिक समय तक यातायात बाधित रहने के कारण लोगों को परेशानी हो रही थी, जिसके मद्देनजर लाठी चार्ज का कदम उठाया गया. 
सड़क पर खड़ी गाड़ियां और जाम में फंसे लोग



ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन की यह जवाबदेही नहीं है कि  लोगों को अनावश्यक रुप से परेशान ना करें साथ ही किसी बड़ी हस्ती के सुरक्षा के लिहाज से भी संकीर्ण इलाकों में इस तरह के आयोजन की अनुमति नहीं दे? कार्यक्रम स्थल के रुप में क्या किला मैदान अथवा आईटीआई फील्ड का चुनाव नहीं हो सकता था? 

और अगर व्यवस्था बिगड़ने का भय नहीं है तो फिर आंदोलनकारियों और जिला प्रशासन में अंतर ही क्या है?














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