Buxar Top News: कहीं ये कोई साजिश तो नहीं? छह माह की नौकरी के बाद पदमुक्त किए गए कार्यालय सहायक ..
छह माह की नौकरी के बाद ही पदमुक्त हो जाने से कार्यपालक सहायकों की स्थिति अब ऐसी बन गई है कि वे ना तो घर के हैं और ना घाट के..
- भुगतान के लिए राशि नहीं होने का दिया है रहा हवाला.
- मई से नवंबर तक किया था कार्य.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कार्यपालक सहायक के रूप में नियोजित अभ्यर्थियों को मात्र छह माह के भीतर ही उनके पद से विमुक्त करने का मामला सामने आया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक इसी वर्ष मई माह में चौदह कार्यपालक सहायकों का नियोजन संविदा के आधार पर क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम योजना के क्रियान्वयन हेतु विभिन्न पुलिस थानों में किया गया था, जिन्हें भुगतान के लिए धनराशि उपलब्ध न होने का हवाला देते हुए नवंबर माह के बाद पदमुक्त करने का फैसला लिया गया है. पुलिस अधीक्षक कार्यालय से निर्गत आदेश में बताया गया है कि दिनांक 04-10-2017 को सभी कार्यपालक सहायकों के मानदेय के भुगतान हेतु 11,57,190/- प्राप्त हुए थे. जिसमें से 8,84,910/- का मानदेय अक्टूबर तक दे दिया गया था शेष 2,74,280/- रुपए मानदेय भुगतान के मद में बचे हुए हैं. इसके अतिरिक्त कोई राशि अब उन्हें मानदेय भुगतान के लिए आवंटित नहीं है. जिसके कारण सभी कार्यपालक सहायकों पद से मुक्त करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय में वापस कर दिया गया है.
छह माह में ही पदमुक्त हो जाने के बाद सभी कार्यपालक सहायकों के सामने विकट परिस्थिति खड़ी हो गई है. इस आशय की सूचना मिलने के बाद उनके चेहरे पर मायूसी साफ देखने को मिल रही थी. बताया जा रहा है कि बेरोजगारी दूर होने के बाद उनको तथा उनके परिवार के भी कई सपने साकार होते दिख रहे थे लेकिन, अचानक हुए हटाए जाने के फैसले के बाद उनके सामने कई समस्याएं एक ही साथ खड़ी हो गयी हैं. यह भी माना जा रहा है कि जरुरत से ज्यादा अन्य चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए सोची समझी साजिश के तहत यह कारवाई की गयी है.
दरअसल, नियुक्ति के बाद एक ओर जहां सफ़ल अभ्यर्थियों के पैनल से उनका नाम हट गया वहीं दूसरी ओर छह माह की नौकरी के बाद ही पदमुक्त हो जाने से बाद रिक्तियाँ भी बन गयी हैं.
बहरहाल, छह माह की नौकरी के बाद ही पदमुक्त हो जाने से कार्यपालक सहायकों की स्थिति अब ऐसी बन गई है कि वे ना तो घर के हैं और ना घाट के..
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