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Buxar Top News: दहेज एवं बाल विवाह कुप्रथा के विरुद्ध 21 जनवरी को 3 सौ किलोमीटर तक बनेगी मानव श्रृंखला, जिलाधिकारी ने जनता से की मार्मिक अपील ..

दहेज के कारण न केवल बेटी-बहू जलाई जा रही है बल्कि परिवार भी जल रहा है. 

- मानव श्रृंखला की सफलता को लेकर पूरी दूरी को बांटा गया है तीन सौ सेक्टर में.
- श्रृंखला की सफलता को लेकर पंद्रह सौ को-ऑर्डिनेटर करेंगे काम.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: दहेज लोभियों के लिए दहेज प्रथा एक व्यवसाय बन गया है. मायके से सामान लेकर जब बहू नहीं आती है, तो उसके साथ मारपीट की जाती है. इस पर रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में समाज को दहेज की कुरीति से जूझना पड़ेगा. उक्त बातें डुमरांव दक्षिण-पूर्वी की जिला परिषद प्रीति देवी ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समाहरणालय के सभाकक्ष में दहेज उन्मूलन  के लिए आयोजित बैठक के दौरान कहीं. जिले में दहेज प्रथा और बाल विवाह को लेकर तैयारी जोर शोर पर शुरू हो चुकी है. सामाजिक कुरीति से अवगत कराने व शत-प्रतिशत सफलता प्राप्त करने के लिए जिला प्रशासन तैयारी विभिन्न धार्मिक संगठनों, जनप्रतिनिधियों एवं धर्माचार्यों के साथ बैठक की गई. 

कार्यक्रम से पूर्व जन-जन तक जागृति फैलाने के लिए साइकिल रैली, मेहंदी प्रतियोगिता, के साथ ही निबंध प्रतियोगिता का आयोजन विद्यालय स्तर पर किया जाएगा. इसके साथ ही नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन कर लोगों के बीच दहेज-प्रथा, बाल विवाह एवं मद्य निषेध के प्रति जागरूकता फैलाएंगे. जिससे की सामाजिक कुरीति को समूल रूप से नष्ट किया जा सके. मद्य निषेध को लेकर मानव श्रृंखला का अपेक्षित प्रभाव समाज पर पडा था. उक्त बातें जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा ने बैठक में कहीं. उन्होंने कहा कि काम कठिन है पर हमें सफलता मिलती जा रही है. जिलाधिकारी ने बिहार के आत्म स्वाभिमान के लिए इस श्रृंखला को सफल बनाए जाने की अपील हर नागरिक से की है. उन्होंने कहा कि दहेज के कारण न केवल बेटी बहू जलाई जा रही है बल्कि परिवार भी जल रहा है. आयोजन का समय 21 जनवरी को 12 बजे से 12 बजकर 30 मिनट तक निर्धारित किया गया है. मानव श्रृंखला की सफलता को लेकर पूरी दूरी को 300 सेक्टर में बांटा गया है. वहीं श्रृंखला की सफलता को लेकर 1500 कोर्डीनेटर लगाए जाने की योजना है. हर 200 मीटर पर एक कोऑर्डिनेटर कार्यरत होंगे.


 बैठक में डीडीसी अरविंद कुमार ओएसडी पुष्कर कुमार, वरीय अपर समाहर्ता अनुपम कुमारी समेत अनेक जनप्रतिनिधि  एवं धार्मिक संस्थानों के धर्माचार्य शामिल हुए.











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