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Buxar Top News: अलविदा के गम तथा ईद की खुशी के बीच अता की गई माहे रमजान के अंतिम जुमे की नमाज़ ..



शुक्रवार को माहे रमजान का 30वां रोजा और अंतिम जुमा था. इस कारण तमाम मस्जिदें नमाजियों से खचाखच भरी हुई थीं। बल्कि, लोग समय से एकाध घंटे पूर्व से ही जुटने शुरू हो गए थे. जिसे जहां जगह मिली, वहीं अलविदा की नमाज अता की.

- माहे रमजान की रुखसती पर छलके आँसू.
- पूरी अकीदत से अता की अलविदा की नमाज

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर;  माह ए रमजान के अंतिम जुमे पर नमाज से पूर्व जैसे ही मस्जिद के इमामों ने अलविदा-ए-अलविदा माहे रमजान ़खुत्बे पढ़ी. रोजेदार नमाजियों की आंखें इसकी रुख्सती के गम में छलक पड़े. वहीं, अलविदा की नमाज पूरे अकीदत से अता की. दरअसल, शुक्रवार को माहे रमजान का 30वां रोजा और अंतिम जुमा था. इस कारण तमाम मस्जिदें नमाजियों से खचाखच भरी हुई थीं। बल्कि, लोग समय से एकाध घंटे पूर्व से ही जुटने शुरू हो गए थे. जिसे जहां जगह मिली, वहीं अलविदा की नमाज अदा की.



हालांकि, रमजान की रुख्सती का जितना ही गम रोजेदारों में था उतनी ही खुशियां अगले दिन पड़ने वाली ईद की को लेकर थी.

पुरानी कचहरी मस्जिद के मु़फ्ती मुहम्मद एआर मिस्बाही ने हदीस की रोशनी में माहे रमजान की जुदाई में तकरीर देते हुए कहा कि पैगम्बर इस्लाम ने फरमाया है कि जब माहे रमजान की आखिरी रात आती है तो जमीन, आसमान और फरिश्ते भी मेरी उम्मत की मुसीबत को याद करके रोते हैं. ऐसे पाक महीना के रुखसत होने पर ऐसी मुसीबत मेरी उन्मत को और कौन सी हो सकती है. उन्होंने कहा कि हदीस पाक में जो शख्स इस माह की खुशी एवं गम में शरीक होता है. उसके लिए अल्लाह को भी हक है कि उसे जन्नत में दाखिल फरमाए.

बक्सर टॉप न्यूज़ परिवार अपने सभी सुधी पाठकों को ईद की हार्दिक शुभकामनाएं देता है.

















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