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Buxar Top News: नए उत्तराधिकारी ने दी मठाधीश को जान से मारने की धमकी,मचा हड़कंप ..



जबरदस्ती मठ की बहुमूल्य जमीन अपने नाम करवाना चाहते हैं. ताकि उसे बेचकर वह निजी प्रयोग में ले सकें. इस कार्य के लिए जब उन्हें बार-बार नाना-प्रकार की यातनायें दी गयी. उनका भोजन भी बंद कर दिया गया. साथ ही साथ उनके उत्तराधिकारी ने उन्हें हाथ-पैर बाँध कर गंगा में फेंक देने की भी धमकी दी.

- दो गुटों में गोलबंद हुए ग्रामीण, हिंसक रुप की तरफ बढ़ा विवाद तो प्रशासन को डेढ़ गयी सूचना.
- विधि व्यवस्था को लेकर मौके पर पहुंचे प्रखंड विकास पदाधिकारी.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: औद्योगिक थाना क्षेत्र के अहिरौली गांव में स्थित मठ के मठाधीश श्री श्री 1008 स्वामी श्री वेंकटाचार्य महाराज को जान से मारने की धमकी दी गई है. यह धमकी किसी और ने नहीं बल्कि उनके उत्तराधिकारी स्वामी मदूसूदनाचार्य ने दी है. ऐसा उन्होंने मठ की संपत्ति के लोभ में किया है. इस बात की स्वीकारोक्ति स्वयं वेंकट आचार्य महाराज ने की. उन्होंने बताया कि उनके उत्तराधिकारी उनसे जबरदस्ती मठ की बहुमूल्य जमीन अपने नाम करवाना चाहते हैं. ताकि उसे बेचकर वह निजी प्रयोग में ले सकें. इस कार्य के लिए जब उन्हें बार-बार नाना-प्रकार की यातनायें दी गयी. उनका भोजन भी बंद कर दिया गया. साथ ही साथ उनके उत्तराधिकारी ने उन्हें हाथ-पैर बाँध कर गंगा में फेंक देने की भी धमकी दी. उन्होंने बताया कि उनका पैर टूटने पर भी उनका समुचित इलाज नहीं कराया गया एवं बार-बार उन्हें अपमानित भी किया जाता रहा. 

इस प्रताड़ना से तंग आकर स्वामी वेंकटाचार्य उत्तराधिकार किसी और को देने का मन बना लिया लेकिन इसके बाद विवाद और गहरा गया स्वामी मधुसूदनाचार्य के पक्ष में गांव के कई आ गए तथा कई लोग स्वामी वेंकटाचार्य के पक्ष में भी आ गए. मामला जब हिंसक रूप लेने की ओर बढ़ने लगा तो इसकी सूचना औद्योगिक थाना क्षेत्र पुलिस एवं सदर अनुमंडलाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय को दी गई उनके निर्देश पर सदर प्रखंड विकास पदाधिकारी रोहित कुमार मिश्रा एवं मुफस्सिल थाने की पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन तब तक मामला शांत हो चुका था बाद में पत्रकारों से बात करते हुए स्वामी वेंकटाचार्य ने अपना दुखड़ा रोया. उन्होंने कहा कि हालात ऐसे हैं कि वह खुलकर विरोध भी नहीं कर सकते. अगर वह विरोध करते हैं तो उनके जान का खतरा हो सकता है.

दूसरी तरफ मामले में स्वामी मधुसूदनाचार्य जी महाराज से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी जबरदस्ती किसी स्टांप पेपर पर स्वामी वेंकटाचार्य से दस्तखत नहीं कराना चाहा. वह चाहते थे कि हस्ताक्षर स्वामी वेंकटाचार्य स्वेच्छा से कर दें.  हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह आखिर क्यों स्टैम्प पेपर पर हस्ताक्षर कराना चाहते थे.

बताते चलें कि मठ की कई मूल्यवान जमीनें नगर अहिरौली के अतिरिक्त नगर के कृष्णा सिनेमा के समीप तथा बंगाली टोला में भी है. यही विवाद का मूल कारण है. अभी कुछ माह पूर्व ही अहिरौली में 15 कट्ठा जमीन की बिक्री के बाद विवाद बढ़ा था जो धीरे-धीरे यहाँ तक पहुँच गया.

इसी कारण जब स्वामी वेंकटाचार्य ने अपने नए उत्तराधिकारी की घोषणा करनी चाहिए तो स्वामी मधुसूदनाचार्य द्वारा कड़ा रुख अख्तियार करते हुए इस पर आपत्ति दर्ज कराई गई. उन्होंने कहा कि उत्तराधिकार पाने के लिए कम से कम 16 वर्षों से अधिक समय तक मठ की सेवा करनी होती है. इस हिसाब से वह ही योग्य प्रतिनिधि है. 

बहरहाल, मामला फिलहाल विवादों के घेरे में है तथा प्रशासन ने भी मामले में अभी मौन साधा हुआ है.
















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