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Buxar Top News:इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मनाया धिक्कार दिवस बक्सर में बंद रही स्वास्थ्य सेवाएं..



नए मेडिकल बिल के अनुसार सरकार एलोपैथी तथा यूनानी चिकित्सकों को कुछ ही महीनों का ब्रिज कोर्स करा कर उन्हें अंग्रेजी दवाओं को लिखने का अधिकार देने जा रही है जो कि मरीजों की सेहत के साथ पूरी तरह से खिलवाड़ है.

- नए मेडिकल बिल तथा मेडिकल काउंसिल के पुनर्गठन को लेकर हो रहा विरोध.
- चिकित्सकों ने कहा, मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है सरकार.

बक्सर टॉप न्यूज,बक्सर: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बक्सर शाखा के चिकित्सकों ने शनिवार को पूरे देश में धिक्कार दिवस मनाया. जिसके तहत जिले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी चिकित्सकों ने अपने अस्पताल क्लीनिक एवं नर्सिंग होम में केवल इमरजेंसी मरीजों का इलाज किया. सभी रूटीन ओपीडी कार्य सुबह 6:00 से शाम 6:00 बजे तक बंद रखे गए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जिलाध्यक्ष डॉक्टर महेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह धिक्कार दिवस केंद्र सरकार द्वारा पुराने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को समाप्त कर नई संस्था नेशनल मेडिकल काउंसिल के प्रस्ताव का विरोध करने के लिए मनाया जा रहा है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बक्सर के चिकित्सकों ने उनकी अध्यक्षता में नेशनल मेडिकल काउंसिल में व्याप्त त्रुटियों के संबंध में चर्चा की. इस दौरान डॉ महेंद्र प्रसाद ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में पहले वरीय चिकित्सकों को मेंबर बनाया जाता था. जो चिकित्सकों के हित में फैसला लेते थ. लेकिन नेशनल मेडिकल काउंसिल नेता तथा अधिकारियों को मेंबर बनाया जा रहा है. बहुत कम ही चिकित्सक नेशनल मेडिकल काउंसिल के सदस्य बनाए जा रहे हैं. ऐसे में नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा ना तो चिकित्सकों की समस्याओं का हल किया जा सकेगा और ना ही मरीजों के हित में बेहतर फैसले लिए जा. सकेंगे उन्होंने कहा कि नए मेडिकल बिल के अनुसार सरकार एलोपैथी तथा यूनानी चिकित्सकों को कुछ ही महीनों का ब्रिज कोर्स करा कर उन्हें अंग्रेजी दवाओं को लिखने का अधिकार देने जा रही है जो कि मरीजों की सेहत के साथ पूरी तरह से खिलवाड़ है. 

बैठक में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बक्सर शाखा के सचिव डॉ वीके सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर सीएम सिंह, डॉक्टर शैलेश राय, डॉ पी के पांडेय, डॉ. एडी उपाध्याय, डॉ. जयंत कुमार, डॉक्टर संतोष कुमार समेत आईएमए से जुड़े कई चिकित्सक मौजूद रहे. सभी चिकित्सकों ने बताया कि सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना होगा अन्यथा संगठन चरणबद्ध आंदोलन को बाध्य होगा.

















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