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कालिया नाग को नाथ कर भगवान श्री कृष्ण ने यमुना को बनाया प्रदूषण मुक्त ..

कालिया नाग के वास होने के कारण लोगों ने जमुना नदी में स्नान करना तक छोड़ दिया है. दूसरी तरफ मथुरा के राजा कंस के दरबार में कंस बैठकर विचार कर रहा है कि कृष्ण को कैसे मारा जाए. उसी वक्त आकाशवाणी होती है कि कृष्ण कंस का काल हैं. यह सुनते ही कंस गंभीर विचार में डूब जाता है. 

-  49वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के दौरान आयोजित हुई दूसरे दिन की लीला
- देवर्षि नारद के सुझाए उपाय के अनुसार कंस ने मांगे एक करोड़ नील कमल के फूल.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: यमुना नदी में प्रदूषण बढ़ गया था. दरअसल, नदी में रहने वाला कालिया नाग विष वमन कर जल को प्रदूषित कर रहा है. स्थिति यह हो गई है कि नभ में सौ योजन दूर भी विचरण करने वाले पशु पक्षी उसके प्रभाव में आकर नदी में गिर जाते हैं. कालिया नाग के वास होने के कारण लोगों ने जमुना नदी में स्नान करना तक छोड़ दिया है. दूसरी तरफ मथुरा के राजा कंस के दरबार में कंस बैठकर विचार कर रहा है कि कृष्ण को कैसे मारा जाए. उसी वक्त आकाशवाणी होती है कि कृष्ण कंस का काल हैं. यह सुनते ही कंस गंभीर विचार में डूब जाता है.

यह दृश्य महर्षि खाकी बाबा सरकार की स्मृति में आयोजित 49वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के दूसरे दिन दर्शकों के सामने आया जब श्री कृष्ण लीला में काली नाग नाथन लीला का आयोजन राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त फतेह कृष्ण जी महाराज की प्रसिद्ध रासलीला मंडली द्वारा किया गया.

लीला में आगे दिखाया गया कि कंस द्वारा कई राक्षस  श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजे जाते हैं, लेकिन उनका प्रयास निष्फल रहता है. उसी वक्त देवर्षि नारद दरबार में प्रकट होते हैं. वह कंस को बताते हैं कि कृष्ण को मारने का एकमात्र उपाय यह है कि ब्रजवासियों को यह संदेश भिजवाया जाए कि उन्हें यमुना नदी में खिलने वाले एक करोड़ नील कमल के फूल दरबार में भेंट करने होंगे. नील कमल के फूलों के लिए जब कृष्ण और बलराम नदी में प्रवेश करेंगे तो कालिया नाग उन्हें मार डालेगा. देवर्षि के वचन के अनुसार कंस ब्रज वासियों को यह संदेश भिजवाता है. संदेशा सुनने के बाद बृजवासी भयभीत हो जाते हैं.

उधर यह संदेश सुनने के बाद भगवान श्री कृष्ण एक लीला रचते हैं तथा गेंद खेलने जमुना के तीर पहुंचते हैं. इसी बीच उनके सखा श्री दामा की गेंद नदी में चली जाती है. जिसे निकालने के बहाने श्री कृष्णा नदी में प्रवेश करते हैं तथा कालिया नाग से युद्ध करने के पश्चात उसे नाथ कर नदी से बाहर निकलते हैं. जिसके बाद श्री कृष्ण के जय-जयकार से पूरा ब्रज धाम गूंज उठता है.


प्रसंग शुरू होने से पहले भगवान श्री कृष्ण कथा श्री राधा रानी की आरती उतारी गई. तत्पश्चात मंगलाचार करते हुए कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण तथा राधा रानी को तिलक लगाकर पुष्प की माला मालाएं पहनाई गई. मौके पर दूरदराज से आए श्रद्धालुओं, साधु-संतों के साथ साथ आश्रम के परिकर मौजूद थे. वहीं सुरक्षा के व्यापक इंतजाम भी नजर आए.
























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