Buxar Top News: प्रगति के पथ पर अग्रसर है बिहार - रामेश्वर प्रसाद वर्मा |
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: "तरक्की के पथ पर अनवरत अग्रसर हर्षित, उल्लासित गौरवशाली बिहार का 106 वां स्थापना दिवस पूरे राज्य में मनाया जा रहा है। ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की अवधारणा को सच साबित करते हुए बिहार सर्वधर्म, सद्भाव और आपसी भाईचारे सहित प्रगति, विकास व तरक्की का अद्भुत माॅडल बन गया है।" उक्त बातें बिहार दिवस के अवसर पर एक विशेष बातचीत के दौरान वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने कही |
प्राचीन काल से ही बिहार महान ऋषि-मुनियों, ज्ञानी-विज्ञानी चिन्तको, पुरोधा पुरूषों व साहित्य व्यक्तियों की पावन भूमि रही है। वहीं अनेकता में एकता का दर्शन बिहारी संस्कृति की प्रमुख विशेषता रही है। इसके साथ ही अध्यात्मिकता, ऐतिहासिकता के साथ-साथ शैक्षिक एवं वैदिक रीति-नीति तथा चित्रकला, मुर्तिकला, शिल्पकला, लोककला की दुष्टि से भी इसकी विरासत अप्रतिम महत्वपुर्ण रही है। बिहार न्याय व विकास के दौर में तरक्की के पथ पर अनवरत अग्रसर होकर नई-नई कहानियां गढ़ते हुए निरंतर आगे की तरफ उन्मुख है तथा अपनी तमाम विवशताओं एवं मजबुरियों को दरकिनार करते हुए प्रगति-विकास व तरक्की के नये-नये अध्यायों की रचना करने में लीन है। बिहारियों को अपनी मेधा व मेहनत पर सदैव भरोषा रहा है। आज नीतीश कुमार जैसे मुखिया का नेतृत्व मिल जाने के चलते हमारे बिहार में चार चांद लग गया है। फलतः न्याय व विकास के दौर में चतुर्दिक विकास की यात्रा में बिहार को नई गति मिली है। आज हर बिहारी गौरवान्वित है।
मौर्य सम्राज्य के संस्थापक सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का स्वर्णिम काल आज भी विश्वविख्यात है। सम्राट अशोक की उज्जवल कीर्ति ने विश्व क्षितिज पर अपना झंडा लहराया तथा इस धरती की उपज योद्धा दानवीर कर्ण एवं जरासंध की शौर्य गाथा से कालगृह आज भी कम्पित हो उठता है। राजा इच्छवाकु एवं उनके पुत्र विशाल की यशगाथा के साथ-साथ बुद्ध, महावीर, गुरू गोविन्द सिंह व याहिया मनेरी का सन्देश सम्पुर्ण विश्व में आज भी गुंजायमान है। इसी पावन उर्वरा भूमि पर गणतंत्र के किसलय ने छितनार वृक्ष के स्वरूप को ग्रहण किया था। इसके साथ ही तलवार के एक ही प्रहार से शेर के दो टुकड़े करनेवाले महायोद्धा शेरशाह और अंग्रेजो को नाको चने चबावाने वाले वीर बांकुरा कुंवर सिंह इसी पावन भूमि के सपुत थे। इसकी जनपदीय सेना के सामने बड़े-बड़े राजाओं की सुसज्जित सेना की गति उध्र्व हो जाया करती थी। स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के विरूद्ध बिगुल बजाने वाले बाबू कुंवर सिंह की वीरता आज भी जग जाहिर है। राष्ट्रीय आन्दोलन में गांधी जी का आगमन बिहार में जनांदोलनों की बाढ़ ला दी थी। घर की चारदीवारी में बंद रहनेवाली महिलाओं ने भी इसमें खुलकर हिस्सा लिया था। कला के साथ-साथ रंग रास में अव्वल यहां की होली झूमर, कजरी एवं चैता का कोई जोड़ नहीं दिखता। इस बात से भी नहीं नकारा जा सकता है कि बिहारी संस्कृति और उसके वैभव का क्षेत्र इतना विशद् व विस्तृत है कि उसे भी बिहार की तरक्की के परिवेश में ही आंका जा सकता है। अब तो इसे विशेष राज्य का दर्जा मिल ही जाना चाहिए।
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