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Buxar Top News: बक्सर न्यायालय के 105 वर्ष पुराने इतिहास की कुछ अनकही बातें रामेश्वर प्रसाद वर्मा की जुबानी ...


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: 17 मई को बक्सर न्यायालय का 105 वर्ष पूरा हो जाऐगा।सम्पूर्ण विश्व में पौराणिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से बक्सर का महत्व तो है ही | न्यायिक स्तर पर न्यायिक प्रक्षेत्र में भी यह बक्सर जनपद सर्वमान्य सुप्रसिद्ध है।
न्यायालय के 105 वर्ष पूरा होने पर वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने बातचीत के दौरान बताया कि 1685 में स्थापित तब के शाहाबाद जिलान्तर्गत 1857 में र्निमित बक्सर अनुमण्डल के मुख्यालय स्थित पुरानी कचहरी में 17 मई 1912 को बक्सर कोर्ट की विधिवत् स्थापना की गयी। तब अंग्रेज एसडीओ डब्लू.एच.हेरल्ड थे। उक्त अवसर पर प्रतिष्ठित विधिवेता एवं बहुअयामी व्यक्तित्व व प्रबुद्ध प्रतिभा के धनी डा. सच्चितानन्द सिन्हा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उस विशिष्ट तिथि को संस्थापित बक्सर कोर्ट तीन मुख्तारों व वकीलों बाबू हरध्यान सिंह, केदार ओझा एवं पाल्टू बाबू से शुरू होकर शताब्दी वर्ष पूर्ण होने के बाद से आज इस पौराणिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक जनपद के मुख्यालय स्थित जिला न्यायालय बक्सर में लगभग दो हजार अधिवक्ता कार्यरत है। बिहार प्रदेश का ऐतिहासिक बक्सर अनुमण्डल 17 मार्च 1991 को जिला का दर्जा प्राप्त हुआ। जिसके बाद सिविल कोर्ट परिसर में 11 दिसम्बर 1992 को जिला एवं सत्र न्यायालय का विधिवत उद्घाटन उच्च न्यायालय पटना के तत्कालीन मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति बिमल चन्द्र बसाक द्वारा किया गया। मौके पर तत्कालिन न्यायमूर्ति न्यायाधीश उदय प्रताप सिंह, विनोद कुमार राय सहित अवकाश प्राप्त न्यायविद् न्यायधीशों के अलावे विभिन्न जिलों के जिला व सत्र न्यायधीश के साथ-साथ बिहार बार कौंसिल पटना के अध्यक्ष, सचिव व सदस्य भी सम्मिलित थे। समारोह का मंच संचालन वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया था। वहीं प्रथम जिला एवं सत्र न्यायधीश दीनानाथ प्रसाद बने जबकि वर्तमान में जिला एवं सत्र न्यायधीश प्रदीप कुमार मलिक है। जबकि इन दिनों न्यायालय में 70 महिला अधिवक्ता भी कार्यरत है। 



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