Buxar Top News: स्वच्छता अभियान का गन्दा सच, जरा आप भी देखिये डीएम साहब !
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिलाधिकारी रमण कुमार के नेतृत्व में जहाँ जिला भर में स्वच्छता अभियान चल रहा है | वहीँ उनके मातहत उनके प्रयासों पर ग्रहण लगा रहे हैं |
स्वच्छता के इस अभियान में प्रशासन से लोगों के सीधे जुड़ाव को को लेकर बनाए गए स्वच्छता एप से सम्बंधित विज्ञापन पूरे नगर में कई जगहों पर लगाए गए हैं | लाखों रुपए के इन विज्ञापनों से कितने लोग जागरूक हो रहे हैं इसका सही-सही पता लगाना मुश्किल है | मगर स्वच्छता एप से सम्बंधित सरकारी विज्ञापन के उपर अपने निजी विज्ञापन लगा कर कहीं न कहीं आम लोग यह जरूर बता देते हैं कि इस तरह के विज्ञापनों का न तो उनके लिए कोई उपयोग है और न ही यह प्रशासन का इन पर कोइ ध्यान है |
इस विषय में नगर परिषद् के कार्यपालक पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि स्वच्छता एप से सम्बंधित वे होर्डिंग कुछ समय के लिए ही लगाए गए थे | जनवरी में जब स्वच्छता सर्वेक्षण हो रहा था उस समय ही लोगों को जागरूक करने के लिए इस प्रकार के होर्डिंग लगाए गए थे | समयावधि ख़त्म हो जाने के बाद अब इनकी कोइ उपयोगिता नहीं है |
यहाँ बताते चलें कि केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा देश के 500 शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण करवाया गया था। जिसके बाद इन शहरों को रैंकिंग ऑन लाइन चालू हो गई | जिसके बाद बक्सर पहुंची केन्द्रीय टीम ने भी कई मानकों के आधार पर स्वच्छता का सर्वेक्षण किया था | इस सर्वेक्षण में नगर निगम अथवा नगर पालिका को विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए नम्बर जुटाने थे और उनमें इनके कार्यों के भी नम्बर थे। स्वच्छता सर्वेक्षण रैकिंग में अपना बक्सर शहर 327 वें स्थान पर है |
जानकारों की माने तो स्वच्छता सर्वेक्षण भले ही ख़त्म हो गया हो मगर स्वच्छता एप की उपयोगिता अभी ख़त्म नहीं हुई है | यह एप नगर के नागरिकों तथा नगरपालिका के बीच सीधे जुड़ाव का काम करेगा | मोबाइल एप से अपलोड शिकायतों का त्वरित निराकरण करने का प्रावधान है | इसके द्वारा की गयी शिकायत के आधार पर नगर परिषद् की टीम तुरंत पहुँच कर स्वच्छता सम्बन्धी समस्यायों का हल करेगी | यही नहीं शिकायतकर्ता अपनी शिकायत का लाइव स्टेटस भी यहाँ देख सकता है |
बक्सर नगर में कई लोगों से इस एप तथा इससे की शिकायतों के निराकरण के बारे में जानने पर चौंकाने वाले जवाब मिले | उनका कहना था कि एप से की गयी शिकायतों पर कभी कोइ सुनवाई नहीं हुई | दूसरी तरफ नगर परिषद् सूत्रों की माने तो स्वच्छता शिकायतों के निराकरण के लिए बने स्वच्छता पोर्टल को खोला तक नहीं गया है |
सूत्रों से प्राप्त जानकारी पर नगर परिषद् के नगर प्रबंधक ने अपनी मुहर भी लगा दी | उन्होंने माना कि स्वच्छता एप से जुड़ी शिकायतों पर काम नहीं हो पाया | उन्होंने इसके लिए नगर परिषद् कर्मियों में जागरूकता की कमी बताया | उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2018 में होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए भी शहरी विकास मंत्रालय द्वारा चिट्ठी आ चुकी है तथा लोगों को जागरूक करने का कार्य अभी से शुरू किया जा रहा है |
स्वच्छता सर्वे में शहर की स्थिति चाहे जो रही हो मगर एक बात तो तय है कि स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने का दावा करने वाला जिला प्रशासन स्वयं ही स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं है | ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन द्वारा खुले में शौचमुक्त परिवेश बनाने की बात भी कहीं हवा-हवाई तो नहीं?
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