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Buxar Top News: संवैधानिक मान्यता की लड़ाई लड़ रही भोजपुरी की प्रशासन ने घर में ही की बेइज्जती- अंकित द्विवेदी ।

दुर्भाग्यपूर्ण रूप से  इस आयोजन में  भोजपुरी  तथा  उससे जुड़ी हुई किसी भी प्रकार के प्रस्तुति का कोई स्थान नहीं था. 

- बिहार दिवस के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या से जुड़ा हुआ है मामला.
- कार्यक्रम में भोजपुरी से जुड़ी कोई भी प्रस्तुति नहीं की गई थी शामिल.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पूरे सूबे में चर्चा चल रही है बिहार दिवस के आयोजन और इस मौके पर आयोजित कार्यक्रमों की. लेकिन इस अवसर पर  बिहार की अपनी माटी को ही बिहार के लोगों ने भुला दिया.  ऐसा मानना है राष्ट्रीय युवा महोत्सव 2018 में शाहाबाद से भोजपुरी का प्रतिनिधित्व करने वाले अंकित द्विवेदी का. 
उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम को लेकर जहाँ किला मैदान में भी सांस्कृतिक संध्या बक्सर जिला प्रशासन द्वारा बिहार दिवस के अवसर पर किया गया था. वहीं दुर्भाग्यपूर्ण रूप से  इस आयोजन में  भोजपुरी  तथा  उससे जुड़ी हुई किसी भी प्रकार के प्रस्तुति का कोई स्थान नहीं था.  उन्होंने बताया कि ऐसे कार्यक्रम में अपने संस्कृति और सभ्यताओं का झलक मिलना चाहिए था. जिसे विशेष तौर देखने के लिए वह इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय से आए थे. परंतु जिस तरह से भोजपुरी की उपेक्षा की गयी वह पूर्णतः निंदनीय है. उन्होंने कहा कि संस्कृति किसी सभ्यता की आत्मा होती हैं इसमें उन सभी संस्कारों तथा उपलब्धियों का बोध होता हैं, जिसके सहारे सामूहिक अथवा सामाजिक जीवन व्यवस्था, लक्ष्यों एवं आदर्शों का निर्माण किया जाता हैं. संस्कृत की परिचायक उसका साहित्य होता है और साहित्य का आधार होता हैं भाषा, तथा इन दोनों के समन्वय से समाज का निर्माण होता हैं.

ऐसे में भोजपुरी जो कि हमारे साहित्य का परिचायक हैं उसका निरादर वह भी भोजपुरी क्षेत्र में यह जिला प्रशासन की मानसिकता पर सवाल उठाता हैं. एक तरफ जहाँ भोजपुरी संवैधानिक दर्जा पाने के लड़ रही हैं और दूसरी तरफ भोजपुरी क्षेत्र में ही उसकी निरादर !
















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