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भागवत कथा के श्रवण मात्र से भक्तों के हृदय में गिरफ्तार हो जाते हैं श्री हरि - आचार्य रणधीर

जो शासन खबरदार करके बुराइयों से बचा दे, त्राण दिला दे, मृत्यु से बचा ले, काम क्रोधादिक शत्रुओं से रक्षा करे उसे शास्त्र कहते हैं. उन्होंने कहा कि शास्त्र हमें बुराई की तरफ से रोककर परम कल्याण और परमात्मा की दिशा में चलने की प्रेरणा देता है. 

- रामेश्वर नाथ मंदिर में आयोजित हुई भक्ति ज्ञान कथा.
- छोटी मठिया के महंत अनुग्रह नारायण दास द्वारा व्यास पूजन कर किया कथा का शुभारंभ.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: रामेश्वरनाथ मंदिर में गुरुवार से आयोजित भक्ति ज्ञान कथा में आचार्य रणधीर ओझा ने कहा कि श्रीमद्भावत, वेद व्यास जी की अंतिम रचना है, इसके श्रवण करने से भक्तों के हृदय में भगवान का प्राकट्य होता है.

इससे पूर्व श्रीमद्भावत भक्ति ज्ञान कथा का शुभारंभ छोटी मठिया के महंत श्री अनुग्रह नारायण दास जी द्वारा व्यास पूजन, दीप प्रज्जवलन व आशीर्वचन के साथ किया गया. कार्यक्रम में मंदिर न्यास के सचिव रामस्वरूप अग्रवाल, हरिशंकर गुप्ता, सत्यदेव प्रसाद आदि मुख्य रूप से मौजूद थे. कथा प्रसंग के दौरान आचार्य श्री ने कहा कि जो शासन खबरदार करके बुराइयों से बचा दे, त्राण दिला दे, मृत्यु से बचा ले, काम क्रोधादिक शत्रुओं से रक्षा करे उसे शास्त्र कहते हैं. उन्होंने कहा कि शास्त्र हमें बुराई की तरफ से रोककर परम कल्याण और परमात्मा की दिशा में चलने की प्रेरणा देता है. 
व्यासपीठ पूजन करते छोटकी मठिया के महंत

इस दौरान कथा कि व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि इस पावन कथा का श्रवण करने से मुक्ति मुठ्ठी में आ जाती है और प्रभु श्री हरि अपने भक्तों के हृदय में गिरफ्तार हो जाते हैं. आचार्य श्री ने कहा कि जीव जब तक संसार के भंवरजाल में भटकता रहता है उसे श्रीमद्भावत कथा का आश्रय प्राप्त नहीं होता. यह कथा उग्रतम पापियों को भी अमृत फल की प्राप्ति कराने वाला है. यदि मन बुद्धि व चित लगाकर कठोर पाप करने वाला पापी भी इस कथा का रसपान कर लेता है तो उसे भी पवित्र करके भगवत धाम की प्राप्ति हो जाती है. यह अभिमान रूपी मैल को मिटाने वाला एक मात्र उबटन है.












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