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ऊपर वाले का करम या विश्वविद्यालय की मेहरबानी: एमवी कॉलेज में बिना पढ़े ही पास हो जाते हैं हज़ारों विद्यार्थी ..

ऐसे में विद्यार्थी कॉलेज आते तो हैं लेकिन, केवल रास्ता नापने के लिए. महाविद्यालय के प्राचार्य से इस संदर्भ में बात करने पर वह विश्वविद्यालय प्रबंधन के द्वारा कोई रास्ता नहीं निकालने का रोना रोते नजर आते हैं. 

- 16 शिक्षकों के भरोसे 10 हजार से ज्यादा छात्रों का भविष्य
- क्षमता से ज्यादा विद्यार्थी, जरूरत से कम हैं शिक्षक.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सूबे की सरकार जहां शैक्षणिक गुणवत्ता के सुधार को लेकर कई तरह के दावे करती नजर आती है. वहीं, दूसरी तरफ हालात अभी भी जस के तस हैं. कॉलेजों में नियमित कक्षाएं तो शुरू हो गई हैं लेकिन, कक्षाओं में पढ़ाने वाले शिक्षक मौजूद नहीं है. जिले के सबसे बड़े महाविद्यालय एमवी कॉलेज में हालात और भी खराब है यहां नामांकित तकरीबन 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए केवल 16 प्राध्यापक ही मौजूद हैं. ऐसे में विद्यार्थी कॉलेज आते तो हैं लेकिन, केवल रास्ता नापने के लिए. महाविद्यालय के प्राचार्य से इस संदर्भ में बात करने पर वह विश्वविद्यालय प्रबंधन के द्वारा कोई रास्ता नहीं निकालने का रोना रोते नजर आते हैं. बहरहाल, इस परिस्थिति में महाविद्यालय के विद्यार्थियों का भविष्य भगवान भरोसे ही है.

बढ़ते गए विद्यार्थी, घटती गयी शिक्षकों की संख्या: 

सूत्रों के मुताबिक महाविद्यालय में जब कई विषयों में ऑनर्स की पढ़ाई नहीं होती थी उस वक्त महाविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या 42 हुआ करती थी. लेकिन आज जब ऑनर्स की पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति विज्ञान, इतिहास,  हिंदी तथा विज्ञान विषयों में स्नातकोत्तर की भी पढ़ाई शुरू हो गई है तब शिक्षकों की संख्या 16 रह गई है. बताया जाता है कि, शिक्षक सेवानिवृत्त होते गए लेकिन नए शिक्षकों का आगमन महाविद्यालय में नहीं हुआ.

कई विषयों को बिना पढ़े नहीं पास कर जाते हैं परीक्षा: 

यह सुनने में भले ही बेहद अजीब लगे लेकिन सच्चाई कुछ ऐसी ही है. जूलॉजी तथा संस्कृत विषय में जहाँ एक भी शिक्षक महाविद्यालय में नहीं हैं. वहीं दूसरी तरफ गणित विषय में दो के स्थान पर एक ही शिक्षक मौजूद हैं. उधर, इतिहास विषय की कमान प्राचीन इतिहास के एक प्राध्यापक के जिम्मे है, जो इंटरमीडिएट से लेकर स्नातकोत्तर तक के विद्यार्थियों को इतिहास पढ़ाते हैं. ऐसे में हर वर्ष हजारों विद्यार्थी बिना पढ़ाई किए ही परीक्षाओं को पास करते रहते हैं.

क्षमता से अधिक है महाविद्यालय में नामांकन:

बताया जा रहा है कि, महाविद्यालय में 10 हज़ार से ज्यादा विद्यार्थी नामांकित हैं. विश्वविद्यालय सूत्रों के मुताबिक इस वर्ष स्नातक प्रथम वर्ष में जहां 2600 सीट निर्धारित हैं वहीं, इसमें 20 फीसद का अतिरिक्त इजाफा किए जाने की बात कही जा रही है. छात्र नेताओं का कहना है कि, विश्वविद्यालय जहाँ 75 फीसद उपस्तिथि की बात करता है वहीं, सभी नामांकित बच्चों के एक साथ बैठने तक की व्यवस्था कॉलेज में नहीं है. उन्होंने बताया कि, नामांकित छात्रों की संख्या के अनुसार यहां एक कमरे में तकरीबन साढे 5 सौ बच्चों को बैठना होगा. जबकि, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की एक कक्षा में अधिकतम 60 बच्चे ही एक साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में महाविद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता स्पष्ट परिलक्षित होता है.

कहते हैं प्राचार्य :

शिक्षकों की कमी कहीं ना कहीं शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित कर रही है. विश्वविद्यालय को इस विषय गंभीरता से सोचते हुए छात्र हित में पहल अवश्य करनी चाहिए.














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