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वीडियो: कोषागार से करोड़ों रूपये की निकासी, पर नहीं हुआ किसानों को भुगतान ..

इस संबंध में विभाग से शिकायत करने के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई तब किसान ने सूचना के अधिकार के तहत विभाग से इसकी विस्तृत जानकारी मांगी. जिला कृषि विभाग द्वारा दिए गए जवाब के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि जिले में सिर्फ मार्कंडेय चौबे की ही राशि नहीं फंसी है. बल्कि, जिले के कुल 506 किसान हैं.

- वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन के लिए किसानों को दी गई थी सलाह.
- वर्षों बीत जाने के बाद अभी तक किसानों को नहीं हुआ भुगतान.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक तरफ जहां मिट्टी की खोई हुई उर्वरता वापस लाने के लिए जैविक खाद के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल की पहल की जा रहिह है. वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों की लापरवाही के कारण जैविक खाद्य उत्पादक किसानों को हतोत्साहित किया जा रहा है. ऐसे ही एक मामले में वर्मी कंपोस्ट उत्पादक किसानों के नाम पर करोड़ों रुपये की निकासी के बाद उन्हें भुगतान नहीं किए जाने का मामला सामने आया है. जिला कृषि विभाग में किसानों को भुगतान के नाम पर दो साल पूर्व की निकाली गई एक करोड़ रुपये  की राशि अभी तक किसानों के खाते में नहीं भेजी गई. इसके लिए किसान विभाग का चक्कर लगाते थक चुके हैं.

सूचना के अधिकार से मांगी जानकारी तो हुआ खुलासा:

सूचना के अधिकार के तहत जब जिला कृषि विभाग से इसकी जानकारी मांगी गई, तब जाकर इसका खुलासा हुआ. मामले में जिला लोक शिकायत निवारण सुनवाई के बाद किसानों के खाता में जल्द राशि भुगतान का निर्देश जारी किया गया है.

इस संबंध में इटाढ़ी थानाक्षेत्र के सावा बहार निवासी किसान प्रतिनिधि मार्कंडेय चौबे ने बताया कि उन्होंने भी अपने दो पुत्रों के नाम पर पांच-पांच यूनिट का पक्का वर्मी बेड विभाग से स्वीकृति लेने के बाद बनवाया था. जिसमें 23 अगस्त 2018 को वर्मी पीट में केंचुवा डालने के बाद विभाग को इसकी सूचना भेज दी थी. जिसके बाद नियमानुसार विभाग द्वारा इसकी जांच करते हुए बीटीसी 25 पर उनके वर्मी पिट की राशि का कोषागार से निकासी विभाग द्वारा कर लिया गया. बावजूद इसके आज तक उक्त राशि का भुगतान किसान के खाता में नहीं किया गया. 


इस संबंध में विभाग से शिकायत करने के बावजूद जब कोई सुनवाई नहीं हुई तब किसान ने सूचना के अधिकार के तहत विभाग से इसकी विस्तृत जानकारी मांगी. जिला कृषि विभाग द्वारा दिए गए जवाब के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि जिले में सिर्फ मार्कंडेय चौबे की ही राशि नहीं फंसी है. बल्कि, जिले के कुल 506 किसान हैं, जिनके वर्मी पीट की राशि का विभाग ने कोषागार से निकासी करने के बावजूद उनके खाता में अब तक भुगतान नहीं किया है. मामला जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष पहुंचा जहां सुनवाई के बाद विभाग को जल्द किसानों को राशि भुगतान का निर्देश दिया गया. बावजूद इसके दो साल बाद भी इसका भुगतान नहीं किया गया.

कहां फंसा मामला:

नियमानुसार पहले किसानों द्वारा दिया गया वाउचर पारित करने के बाद कोषागार से राशि की निकासी की जाती है. पर, तत्कालीन डीएओ रणवीर सिंह ने बगैर वाउचर पारित किए ही सारे किसानों की राशि लगभग एक करोड़ एक लाख रुपये की निकासी कर ली. जिसके कुछ ही दिन बाद बक्सर से उनका तबादला हो गया. अब जब तक वाउचर पर डीएओ रणवीर सिंह का हस्ताक्षर नहीं होता है तब तक वो मान्य होगा ही नहीं. पुराने डीएओ अपना तबादला होने की बात कहते हुए वाउचर पर हस्ताक्षर करने से मना कर रहे हैं. जबकि, वर्तमान जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि उनके समय की यह योजना नहीं है, इसलिए वे इस पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते.


मुख्यालय से मांगा गया निर्देश:

इस मामले में मौजूदा जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती ने राज्य कृषि मुख्यालय को सारी बातों से अवगत कराते हुए इसका रास्ता निकालने के लिए एक साल पूर्व ही मार्गदर्शन मांगा था. बावजूद, राज्य मुख्यालय की इस मामले में चुप्पी से किसानों की एक करोड़ राशि विभाग में फंसी हुई है. कुछ किसान मामले को लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहां भी ले गए, लेकिन उन्होंने भी राज्य कृषि विभाग पटना में आवेदन देने का सुझाव देकर कार्रवाई समाप्त करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया.

कहते हैं अधिकारी:

मेरे कार्यकाल के पहले का मामला है. इसमें तत्कालीन डीएओ द्वारा राशि निकासी के बाद वाउचर पास नहीं किए जाने से समस्या बनी है. इसमें राज्य कृषि मुख्यालय के मार्गदर्शन के बाद ही कुछ किया जाना संभव है.

कृष्णानंद चक्रवर्ती, जिला कृषि पदाधिकारी, बक्सर
देखें वीडियो: 













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