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पांच करोड़ की लागत से वीवीपैट गोदाम का निर्माण शुरु, सामने आई अनियमितता ..

राज्य निर्वाचन आयोग से प्राप्त निर्देश के अनुसार जिला मुख्यालय में 6 हज़ार वीवीपैट मशीन मशीन रखने की क्षमता वाला गोदाम बनाया जा रहा है. इसके लिए प्रखंड मुख्यालय के समीप चिन्हित जमीन पर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. कार्य अगले डेढ़ वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा.

- चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रखंड कार्यालय के समीप हो रहा है निर्माण, डेढ़ वर्ष में होगा पूरा.
- प्रारंभिक चरण में ही सामने आई गड़बड़ी.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  लोकसभा चुनाव के बाद आगामी विधानसभा चुनाव में भी सभी मतदान केंद्रों पर वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी कि वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा. मशीन को सुरक्षित रखने के लिए जिला मुख्यालय में एक विशाल गोदाम का निर्माण  किया जा रहा है. राज्य निर्वाचन आयोग से प्राप्त निर्देश के अनुसार जिला मुख्यालय में 6 हज़ार वीवीपैट मशीन मशीन रखने की क्षमता वाला गोदाम बनाया जा रहा है. इसके लिए प्रखंड मुख्यालय के समीप चिन्हित जमीन पर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. कार्य अगले डेढ़ वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा.

साढ़े 12 हज़ार स्क्वायर फीट है कुल एरिया 8 हज़ार स्क्वायर फीट में हो रहा निर्माण:

वीवीपैट रखने के लिए बनाए जा रहे भवन का निर्माण 8 हज़ार स्क्वायर फीट एरिया में हो रहा है. पूरे परिसर का क्षेत्रफल 12 हज़ार स्क्वायर फीट है. जानकारी देते हुए निर्माण एजेंसी पंकज कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्ट मैनेजर अभय कुमार ने बताया कि, तीन मंजिला इस भवन में सीढ़ी के साथ साथ रैंप भी बनाया जाएगा। जिसमें हॉल, डिलीवरी रूम तथा ऑफिस के साथ-साथ वीवीपैट सुरक्षित रखने के लिए कमरे बनाए जाएंगे.

नहीं लगा है बोर्ड, ऐश ब्रिक का भी नहीं हो रहा उपयोग:

भवन के निर्माण का कार्य भले ही शुरू हो गया है लेकिन, निर्माण प्रारंभ करने के साथ कार्ययोजना तथा लागत सहित अन्य जानकारियों को दर्शा कर लगाया जाने वाला बोर्ड कार्य स्थल पर नहीं लगाया है. वहीं ऐश ब्रिक का भी उपयोग नहीं हो रहा है. पूछने पर प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि बोर्ड बनकर तैयार है शीघ्र ही लगा दिया जाएगा वहीं, ऐश ब्रिक के स्थान पर जो ईंट लाई गई है उसका दूसरा उपयोग होगा.

पाँच करोड़ है कुल लागत: 

भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता जंग बहादुर सिंह ने बताया कि, इस भवन के निर्माण में तकरीबन 5 करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसका स्टीमेट बनाकर विभाग को भेजा गया था जिसके आलोक में टेंडर प्रकाशन के बाद चयनित एजेंसी पंकज कंस्ट्रक्शंस के द्वारा निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है.

क्या है वीवीपैट?

वर्ष 2017 में 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने वी वी पैट का इस्तेमाल किया था वहीं, 2019 की लोकसभा चुनाव में भी इसका इस्तेमाल किया गया. दरअसल, इस व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद मतदाता को कागज की एक पर्ची प्राप्त होती है, जिस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है उसका नाम और चुनाव चिन्ह छपा होता है. यह व्यवस्था इसलिए की जाती है ,ताकि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में अपने वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके. भारत हैवी इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने यह मशीन 2013 में डिजाइन की थी. सबसे पहले इसका इस्तेमाल नागालैंड के चुनाव में 2013 में किया गया था. चुनाव आयोग ने जून 2014 में ही यह तय कर लिया गया था कि आगामी चुनाव में इस मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि, इसे सुरक्षित रखने की भी बात सामने आई थी जिसके बाद इस तरह के गोदामों को बनाए जाने की बात कही गई थी.













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