सरस्वती पूजा को लेकर बढ़ी विसर्जन की चिंता, विकल्पों की हो रही तलाश ..
नगर के समीप गोप नुआंव गांव में स्थित पोखर अथवा दलसागर में स्थित पोखर को वैकल्पिक तौर पर विसर्जन के लिए चयनित किए जाने की बात भी कही जा रही है. इसके अतिरिक्त गंगा के किनारे गड्ढा खोदकर भी मूर्तियों का विसर्जन किया जाना एक विकल्प हो सकता है.
माता सरस्वती की प्रतिमा को सजाता मूर्तिकार |
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के बाद गंगा में प्रतिमा विसर्जन प्रतिबंधित
- पूजा समितियों के द्वारा व्यक्त की गई है चिंता, कम हो रहा मूर्तियों का निर्माण
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सरस्वती पूजा की तैयारियां शुरू हो गई है. मूर्तिकार जहां मूर्तियों को बनाने में व्यस्त हैं. वहीं, पूजा समिति के लोग पूजा की तैयारियों में जुटे हुए हैं. हालांकि, इन तैयारियों के बीच मूर्ति पूजा करने वाले लोगों की एक चिंता यह भी है कि मूर्तियों का विसर्जन अबकी बार कहां किया जाएगा?
दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार गंगा में मूर्ति विसर्जन के रूप पर स्थानीय पोखर तथा तालाबों में प्रतिमाओं का विसर्जन किए जाने का निर्देश जारी किया गया था. हालांकि, इसको लेकर काफी विरोध भी हुआ था ऐसे में एक बार फिर इस तरह की समस्या सामने आ सकती है.
बड़े पोखर हो सकते हैं विकल्प:
इस संदर्भ में विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात करने पर उन्होंने बताया कि प्रशासन को मूर्ति विसर्जन को लेकर पहले से ही तैयारी करनी चाहिए. नगर के आसपास ऐसे पोखर का चुनाव किया जा सकता है. जिनमें नालियों का पानी नहीं जाता हो. बताया जा रहा है कि, नगर के समीप गोप नुआंव गांव में स्थित पोखर अथवा दलसागर में स्थित पोखर को वैकल्पिक तौर पर विसर्जन के लिए चयनित किए जाने की बात भी कही जा रही है. इसके अतिरिक्त गंगा के किनारे गड्ढा खोदकर भी मूर्तियों का विसर्जन किया जाना एक विकल्प हो सकता है.
निर्मित की जा रही माता सरस्वती की प्रतिमाएं |
घटा है प्रतिमाओं का निर्माण:
नगर के सोहनी पट्टी इलाके में मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों के अनुसार इस बार कम मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है, जिसका कारण एक तरफ जहां विसर्जन को लेकर हो रही समस्या है. वहीं, दूसरी तरफ इंटर की परीक्षा को लेकर छात्रों के व्यस्त रहने के कारण भी पूजा को लेकर उत्साह में कमी आई है.
इस संदर्भ में एसडीएम केके उपाध्याय से बात करने पर उन्होंने बताया कि, दुर्गा पूजा के बाद ही उन्होंने मूर्तियों के विसर्जन को लेकर उन्होंने गंगा के किनारों पर गड्ढा बनाकर विसर्जन का प्रस्ताव जिला को भेजा गया है, जिसकी स्वीकृति अथवा किसी अन्य विकल्प पर मार्गदर्शन मिलने के पश्चात आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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