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संकट की घड़ी में समाजसेवी ने शुरू किया, "करके देखो अच्छा लगता है अभियान" ..

रिक्शा-ठेला चालक, चाय-पान के छोटे दुकानदार, फेरी करने, फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले हजारों परिवारों के समक्ष आमदनी का कोई जरिया न होने से घर में चूल्हा भी जल पाना मुश्किल हो गया है. ऐसे लोगों की मदद के लिए प्रधानमंत्री ने समाजसेवी संस्थाओं से पहल की अपील भी की थी.

- समाजसेवी कमलेश पाल ने भूखों को भोजन कराने का उठाया बीड़ा
- कहा एक फोन कॉल पर जरूरतमंदों को पहुंचाया जाएगा भोजन.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कोरोना संकट से निपटने के लिए प्रभावी लॉक डाउन ने गरीब आदमी, मजदूरों की रोजी छिन ली है. उनके समक्ष उत्पन्न भोजन की समस्या के समाधान के लिए सरकारऔर प्रशासन के साथ ही  जिले के समाजसेवी और सामाजिक संगठन आगे आए हैं और ऐसे परिवारों को निशुल्क भोजन सामग्री उपलब्ध कराने का फैसला लिया है, जिनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है. कोई पूड़ी-सब्जी के पैकेट बनाकर बांट रहा है तो कोई उन्हें घर जाकर राशन पहुंचा रहा है.

पिछले कई दिनों से चल रहे लॉकडाउन के चलते दवा, दूध, किराना, सब्जी, पशु चारा के अलावा अन्य सभी तरह की दुकानें पूरी तरह बंद हैं. इससे खास तौर से उस वर्ग के लिए पेट भरने का संकट आ गया है,जो रोज दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. रिक्शा-ठेला चालक, चाय-पान के छोटे दुकानदार, फेरी करने, फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले हजारों परिवारों के समक्ष आमदनी का कोई जरिया न होने से घर में चूल्हा भी जल पाना मुश्किल हो गया है. ऐसे लोगों की मदद के लिए प्रधानमंत्री ने समाजसेवी संस्थाओं से पहल की अपील भी की थी.

ऐसे में बक्सर के मां अंबे फ्यूल सेंटर के संचालक एवं समाजसेवी कमलेश पाल इस दिशा में "करके देखो, अच्छा लगता है" कार्यक्रम के तहत पहला कदम उठाया है. शुक्रवार को उन्होंने सौ से अधिक परिवारों को पूड़ी-सब्जी का पैकेट वितरित कराया. लगातार ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को भी भोजन के पैकेट दिए गए. 

कमलेश ने बताया कि, कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन का पालन करना जरुरी है, मगर इसके चलते दिहाड़ी मजदूरों का रोजगार भी ठप पड़ गया है. ऐसे में जिन लोगों को किसी भी प्रकार की सहायता की जरूरत हो वह कमलेश पाल के मोबाइल नंबर 9507079595 पर सूचित करें तो उन्हें भोजन सामग्री पहुंचाई जाएगी.













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