रसिक मन को आकर्षित करने के लिए भगवान की रसमयी लीलायें : आचार्य भारतभूषण
जीव को शिव में लीन-तल्लीन करने की विधा ही लीला है. उसमें लोकोत्तर ब्रह्मरस की वर्षा होने से उसे रासलीला कहा जाता है. आचार्य ने लीला की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान के समस्त अवतारों का एक साथ दर्शन श्रीकृष्णावतार में हो जाता है.
- सुरौंधा में चल रहा लक्ष्मी नारायण यज्ञ श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह.
- आचार्य ने कहा, संसार के किसी असार और क्षणिक रस से नहीं तृप्त हुआ है हमारा मन.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सिमरी के सुरौंधा गाँव के तिलक बाबा मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ में श्रीमद्भागवत-कथा सप्ताह के दौरान प्रवचन करते हुए पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु-शंकराचार्य महाराज के शिष्य आचार्य डॉ. भारतभूषण जी महाराज ने कहा कि, अनादि काल से हमारा मन रसिक और रसलोलुप है. संसार के किसी असार और क्षणिक रस से यह आज तक तृप्त नहीं हुआ. इस मन को अपनी ओर आकर्षित करने तथा रससारसर्वस्व में सराबोर करने के लिए भगवान मनमोहन श्यामसुंदर बनकर रसमयी लीलायें संपन्न करते हैं. जीव को शिव में लीन-तल्लीन करने की विधा ही लीला है. उसमें लोकोत्तर ब्रह्मरस की वर्षा होने से उसे रासलीला कहा जाता है. आचार्य ने लीला की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान के समस्त अवतारों का एक साथ दर्शन श्रीकृष्णावतार में हो जाता है.
श्रीकृष्णावतार में आरंभ में बाललीला गोकुल में भगवान ने की जिसमें माखनचोरी व मृद्-भक्षण (मिट्टी खाना) प्रमुख है. वनलीला श्रीधाम वृंदावन में की जिसमें गोचारण, गोवर्धनधारण आदि प्रमुख हैं. रासलीला रासकुंज में की जिसमें समस्त प्राणियों के परम कल्याण के लिए भक्तिरस का उद्रेक किया और सबको उपकृत किया. जीवमात्र की कामनाओं की पूर्ति तथा परमानंद की प्राप्ति कराती है रासलीला.
आचार्य ने इसकी आध्यात्मिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला. पूजन एवं पाठ आदि पं. अनिरुद्धाचार्य जी, पं. दीपक मिश्र, पं. कृष्ण बिहारी चौबे, यजमान पं. भरत तिवारी, पप्पू ओझा आदि के साथ क्षेत्रवासियों ने सम्पन्न किया. मातृ-छाया के पंकज तिवारी ने आचार्य डॉ. भारतभूषण जी महाराज की व्यासपीठ पर विशेष पूजा की.
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