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Buxar Top News: विश्व रक्तदान दिवस: रेडक्रॉस ने आयोजित किया स्वैच्छिक रक्तदान शिविर, जानिए रक्तदान से जुड़े रोचक तथ्य ...


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर रेडक्रॉस बक्सर द्वारा भी स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है | रक्तदान दिवस के दिन लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है। ताकि रक्तदान कर सके। कई बार लोगों की आपात परिस्थितियों में खून के अभाव में मौत हो जाती है। रक्तदान से कई जरूरतमंद लोगो की जान बचाई जा सकती है। वैसे भी रक्तदान करना इंसान के शरीर के लिए फायदेमंद है। रक्तदान करने से हमारे शरीर में किसी प्रकार का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि हमारे द्वारा दान किये गये रक्त की रिकवरी हमारा शरीर कुछ ही घंटों में कर लेता है। कुछ लोग अपने मन में यह भ्राति पाल लेते है कि रक्तदान करने से हमारे शरीर में कमजोरी आएगी।

दुर्घटना में अचानक अत्यधिक रक्तस्राव या अन्य बीमारियों जैसे- खून का निर्माण कम या ना के बराबर होना, जैसी स्थितियों में रोगी को खून बाहर से दिया जाता है। यह खून एक व्यक्ति से लेकर दूसरे व्यक्ति को एबीओ एवं आर एच ब्लड ग्रुप मैचिंग करने के बाद चढ़ाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि रक्तदान-महादान है, क्योंकि दान किया गया खून बहुत परिस्थितियों में किसी की जान बचाता है। इसकी महत्ता को देखते हुए हर बड़े अस्पताल में एक ब्लड बैंक की स्थापना की जाती है, जहां पर जरूरत पड़ने पर रक्त लिया और दान किया जा सकता है

रक्तदाता के प्रकार:

स्वेच्छा से रक्त देने वाले जिन्हें "वालियंटरी डोनर" कहा जाता है। इन्हें रक्तदान करने पर एक कार्ड दिया जाता है,जिसे वालियंटरी डोनर कार्ड कहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर इसके द्वारा रक्त वापस भी लिया जा सकता है।
अपने मित्रों या संबंधियों के लिए रक्त देने वाले जो किसी मरीज के नाम पर दिया जाता है। यदि यह खून उस मरीज के काम नहीं आता तो वह ब्लड बैंक में जमा कर लिया जाता है।


प्रोफेशनल डोनर:
ये वो लोग होते हैं जो पैसे लेकर रक्त देते हैं। ऐसा रक्त सर्वाधिक नुकसानदायक हो सकता है,क्योंकि ऐसे लोग अधिकांशत: हेपेटाइटिस, सिफिलिस या एच.आई.वी से संक्रमित होते हैं।

कौन कर सकता है रक्तदान

सामान्यतया उसी व्यक्ति का रक्त लिया जाता है जिसका स्वास्थ्य ठीक हो।
कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 60 साल के बीच हो, और 45 किलोग्राम से अधिक वजन का हो।
जिसे एचआईवी, हेपाटिटिस बी या सी जैसी बीमारी न हो, वह रक्तदान कर सकता है।
कम से कम 12 सप्ताह पहले तक रक्त ना दिया हो एवं पिछले 12 महीने में रक्त ना लिया हो।
रक्त देने के स्थान पर किसी तरह का निशान या घाव ना हो।
हीमोग्लोबिन 12.5 से अधिक हो।
शरीर के अन्य अंग भी नियमित काम कर रहे हो।
रक्त देने से पहले भर पेट नाश्ता/ भोजन किया हुआ हो।

रक्तदान स्वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद:

मनुष्य के शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है, और रक्तदान से कोई भी नुकसान नहीं होता है।
एक बार में 350 मिलीग्राम रक्त दिया जाता है, उसकी पूर्ति शरीर में चौबीस घण्टे के अन्दर हो जाती है, और गुणवत्ता की पूर्ति 21 दिनों के भीतर हो जाती है।
जो व्यक्ति नियमित रक्तदान करते हैं उन्हें हृदयसम्बन्धी बीमारियां होने का खतरा कम रहता हैं।
हमारे रक्त की संरचना ऐसी है कि उसमें समाहित रेड ब्लड सेल तीन माह में स्वयं ही मर जाते हैं,लिहाज़ा प्रत्येक स्वस्थ्य व्यक्ति तीन माह में एक बार रक्तदान कर सकता है।
आधा लीटर ख़ून तीन लोगों की जान बचा सकता है।

रक्त दान कहॉं करें?

रक्‍तदान रेडक्रॉस के ब्लड बैंक अथवा किसी भी लाईसेन्‍स युक्‍त ब्‍लड बैंक में किया जा सकता है। यह सुविधा सभी जिला-चिकित्‍सालयों में भी उपलब्‍ध है। राज्‍य के सरकारी 43 एवं निजी क्षेत्र में 18 ब्‍लड बैंक लाईसेन्‍स युक्‍त है। इसके अलावा मान्‍यता प्राप्त एजेन्सियों जैसे रोटरी क्‍लब, लायंस क्‍लब आदि द्वारा समय-समय पर रक्‍तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है। इनमें से किसी भी अधिकृत सील पर आप स्‍वैच्‍छा से निश्चित होकर रक्‍तदान कर सकते हैं।

कौन नही कर सकता है रक्‍तदान

जिन्हें आगे आने वाले 12 घंटों में लंबी यात्रा, वायु यात्रा करनी हो या किसी तरह का भारी काम करना हो।
श्वास की बीमारी जैसे लगातार खांसी, जुखाम, गला खराब, या लंबे समय से एंटीबायोटिक ले रहे हों या अस्थमा के मरीज जो स्टीरइड ले रहे हों।
किसी तरह का कोई मेजर/ माइनर ऑपरेशन हुआ हो।
हृदय रोगी जो एंजाइना, ब्लॉकेज के मरीज हो।
अंत:स्रावी ग्रंथियों के रोगियों से रक्त नहीं लिया जाता।
डायबिटीज के रोगी जो इंसुलिन लेते हो।
किडनी, पाचनतंत्र के रोगी रक्तनदान नहीं कर सकते।
हेपेटाइटिस, एचआईवी एड्स, सिफिलिस, टीबीआदि के रोगी रक्त दान नहीं कर सकते।
बेहोशी या मिर्गी आती हो, या जो पिछले 3 वर्षो में पीलिया हुआ हो।
जो एस्प्रीन, एन्टीथायरॉइड, एन्टीबायोटिक, स्टीरइड आदि दवाइयां ले रहे हों।
वह महिलाएं जो पिछले 6 महीनों में गर्भवती हुई हो या स्तनपान कराती हो




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