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Buxar Top News: सदर विधायक का हुआ अपमान तो खड़े हुए कई सवाल, सामने आया राजनीति का शर्मनाक पहलू ...


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने अपने अपमान किए जाने पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। सवाल खड़ा करते हुए विधायक ने एक ओर जहाँ प्रोटोकॉल का हवाला दिया है वहीं मामले में स्थानीय सांसद द्वारा राजनीति करने का आरोप लगाया है।

ज्ञात हो कि सोमवार को बक्सर में भारत सरकार के प्रमुख नारे सबका साथ सबका विकास के नाम पर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। यह कार्यक्रम बक्सर चौसा थर्मल पावर प्रोजेक्ट के तहत एसजेवीएन कंपनी द्वारा कराया जा रहा है। विधायक ने आरोप लगाया है कि प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र पर स्थानीय विधायक का नाम अंकित नहीं किया गया है। इसके अलावा जो साधारण आमंत्रण पत्र दिया गया है उस पर भी विधायक के नाम के आगे माननीय का प्रयोग नहीं किया गया है। अपने सम्मान से आहत विधायक संजय तिवारी ने भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए सीधे तौर पर स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे पर निशाना साधा है।

यहाँ पाठकों को बता दें कि जो आमंत्रण पत्र कार्यक्रम के लिए छपवाए गए हैं उसमें मुख्य अतिथि के तौर पर मेरठ बागपत से सांसद सत्यपाल, सिंह बिहार प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार और स्थानीय भाजपा से सांसद अश्विनी कुमार चौबे का नाम अंकित है। पूरे मामले में स्थानीय विधायक को दरकिनार किए जाने से आक्रोशित विधायक संजय कुमार तिवारी ने कार्यक्रम का विरोध करने का ऐलान किया है जाहिर तौर पर कल 11 बजे दिन से कार्यक्रम का आयोजन होना है जिसमें तकरीबन 40 लाख से ज्यादा रुपए खर्च होने हैं । ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख एजेंडे में सबका साथ सबका विकास का प्रचार प्रसार विभिन्न एजेंसियां कर रही हैं। कार्यक्रम को लेकर बक्सर थर्मल पावर के तहत प्रोजेक्ट से जुड़े तमाम अधिकारियों की चिंता भी बढ़ गई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत सरकार के नारे सबका साथ सबका विकास के नाम पर भी राजनीति भी शुरू हो गई है। ऐसे में यह देखना होगा कि अब पूरे मामले में क्या नया क्या रंग आता है बहरहाल विधायक द्वारा कार्यक्रम की सफलता पर सवाल और विरोध प्रकट किए जाने के बाद स्थानीय तौर पर पूरे मामले की चर्चा हो रही है क्योंकि विधायक ने यह भी कहा है कि आने वाले दिनों में बिहार विधान सभा में इस बात को प्रमुखता से उठाया जाएगा। अब इस मामले में आगे किस प्रकार का मोड़ आता है यह भी देखना दिलचस्प होगा | वहीं मामले में हुए घटनाक्रम को देखते हुए यह भी सोचना जरूरी हो जाता है कि क्या वास्तव में भाजपा ने एक सोची समझी रणनीति के तहत इस प्रकार का कार्य करने के लिए कंपनी पर दबाव बनाया है? और अगर ऐसा है तो वाकई यह राजनीति का काफी शर्मनाक पहलू है ...





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