Buxar Top News: अल्लाह का करम है कि रमजान मिला है, रमजान के महीने में कुरान मिला है - साबित रोहतासवी |
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: "अल्लाह का करम है कि रमजान मिला है, रमजान के महीने में कुरान मिला है |"
ये शेर आज मौला बाबा चीनीमिल में मशहूर उद्घोषक तथा समाजसेवी साबित रोहतासवी के द्वारा यतीम बच्चों के बीच रमजान की अहमियत बताते हुए कहा गया |
इस दौरान जनाब साबित ने कहा कि इस्लाम में रमजान माह की खास अहमियत है। इसी महीने में पवित्र किताब कुरान शरीफ आसमान से उतारी गई थी। रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हैं। पूरी दुनिया के अकीदतमंद मुसलमान इस महीने का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं।
रोजा जहां आपसी भाई चारे का प्रतीक है वहीं पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर इनसान अपनी इच्छाओं पर काबू पाता है। रोजा गरीबों, यतीमों, जरूरतमंदों के दुख दर्द व भूख प्यास का आभास कराता है। रोजा की हालत में इनसान झूठ, चोरी, बलात्कार, चुगली, धोखेबाजी और अत्याचार जैसी सामाजिक बुराईयों से बचाता है। अल्लाह ने कुरान शरीफ में कई जगह रोजा रखने को जरूरी करार दिया है। अल्लाहताला कुरान पाक के दूसरे पारे की सूरत बकर की आयत नंबर 183 में अपने बंदों को हुक्म देता है कि ए इमान वालो तुम पर रोजा फर्ज किए गए हैं ताकि तुम परहेजगार बनों। इसके अलावा हदीश की किताबें तिर्मीजि, बुखरी शरीफ, मुस्लिम, इबनेमाजा, मिस्कात तथा अबु दाउद शरीफ में भी हजारों जगह बताया गया है कि रोजा बुराईयों से दूर रखता है, गलत व बुरे कामों से दूर रखता है, यहां तक की किसी का बुरा चाहने, जलन रखने से भी रोकता है।
रोजा किसी का हक मारने, अमानत में ख्यानत करने से परहेज सिखाता है। रोजा बुरी बातों को सुनने, देखने, बोलने और छूने तक से दूर रखता है। रोजा बेशर्मी और बेहयाई से बचाता है। रोजा से इंसान की सोच बदलती है। यानि रोजा इंसान को बुराईयां छोडने का हुक्म करता है तथा भलाई करने की राह सिखाता है। रोजा गरीबों, मोहताजों के दुख दर्दों को महसूस कराता है। रमाजन माह में मालदार लोग अपने माल की जकात देते हैं, फितरा अदा करते हैं और गरीब मोहताजों की मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि कि रोजा हर बालिग मर्द, औरत पर रखना फर्ज है अगर कोई नहीं रखता तो वह गुनाहगार होगा। यदि इंसान अल्लाह के निर्देशों के अनुसार रोजा रखता है तो समाज में फैली अश्लीलता, बेशर्मी और बेहयाई जैसी बुराईयों पर पाबंदी आसानी से लगाई जा सकती हे।
मौके पर हाफिज़ सलीम, दिलनवाज, सिबतैन रजा, महताब अली, सईद अहमद, साबित खिदमत फाउंडेशन के डॉ. दिलशाद आलम समेत कई लोग मौजूद रहे |
ये शेर आज मौला बाबा चीनीमिल में मशहूर उद्घोषक तथा समाजसेवी साबित रोहतासवी के द्वारा यतीम बच्चों के बीच रमजान की अहमियत बताते हुए कहा गया |
इस दौरान जनाब साबित ने कहा कि इस्लाम में रमजान माह की खास अहमियत है। इसी महीने में पवित्र किताब कुरान शरीफ आसमान से उतारी गई थी। रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हैं। पूरी दुनिया के अकीदतमंद मुसलमान इस महीने का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं।
रोजा जहां आपसी भाई चारे का प्रतीक है वहीं पूरे दिन भूखे प्यासे रहकर इनसान अपनी इच्छाओं पर काबू पाता है। रोजा गरीबों, यतीमों, जरूरतमंदों के दुख दर्द व भूख प्यास का आभास कराता है। रोजा की हालत में इनसान झूठ, चोरी, बलात्कार, चुगली, धोखेबाजी और अत्याचार जैसी सामाजिक बुराईयों से बचाता है। अल्लाह ने कुरान शरीफ में कई जगह रोजा रखने को जरूरी करार दिया है। अल्लाहताला कुरान पाक के दूसरे पारे की सूरत बकर की आयत नंबर 183 में अपने बंदों को हुक्म देता है कि ए इमान वालो तुम पर रोजा फर्ज किए गए हैं ताकि तुम परहेजगार बनों। इसके अलावा हदीश की किताबें तिर्मीजि, बुखरी शरीफ, मुस्लिम, इबनेमाजा, मिस्कात तथा अबु दाउद शरीफ में भी हजारों जगह बताया गया है कि रोजा बुराईयों से दूर रखता है, गलत व बुरे कामों से दूर रखता है, यहां तक की किसी का बुरा चाहने, जलन रखने से भी रोकता है।
रोजा किसी का हक मारने, अमानत में ख्यानत करने से परहेज सिखाता है। रोजा बुरी बातों को सुनने, देखने, बोलने और छूने तक से दूर रखता है। रोजा बेशर्मी और बेहयाई से बचाता है। रोजा से इंसान की सोच बदलती है। यानि रोजा इंसान को बुराईयां छोडने का हुक्म करता है तथा भलाई करने की राह सिखाता है। रोजा गरीबों, मोहताजों के दुख दर्दों को महसूस कराता है। रमाजन माह में मालदार लोग अपने माल की जकात देते हैं, फितरा अदा करते हैं और गरीब मोहताजों की मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि कि रोजा हर बालिग मर्द, औरत पर रखना फर्ज है अगर कोई नहीं रखता तो वह गुनाहगार होगा। यदि इंसान अल्लाह के निर्देशों के अनुसार रोजा रखता है तो समाज में फैली अश्लीलता, बेशर्मी और बेहयाई जैसी बुराईयों पर पाबंदी आसानी से लगाई जा सकती हे।
मौके पर हाफिज़ सलीम, दिलनवाज, सिबतैन रजा, महताब अली, सईद अहमद, साबित खिदमत फाउंडेशन के डॉ. दिलशाद आलम समेत कई लोग मौजूद रहे |
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