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Buxar Top News: ... तो इस तरह सदर अस्पताल बना मौत का अस्पताल, अँधेरे कमरे में लिखी जा रही मौत की कहानी ...



बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर अस्पताल फिलवक्त मौत का अस्पताल बन कर रह गया है | ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि आम तौर पर जहाँ अस्पताल में लोग अपनी जिन्दगी बचाने के लिए भर्ती होते हैं वहीँ इस अस्पताल में लोगों को मौत के मुँह में पहुँचाने के लिए भर्ती किया जा रहा है |

दरअसल, जहाँ अस्पताल में जेनरेटर के ख़राब होने की शिकायतें अक्सर मिल रही थीं वहीं बुधवार की शाम से ही अस्पताल की बिजली भी कट चुकी है | बिजली नहीं रहने के कारण जहाँ कर्मियों को अँधेरे में काम करना पड़ रहा है वहीँ ऑपरेशन थियेटर में भी अँधेरा पसरा हुआ है | वहीँ अस्पताल में लगा जेनरेटर भी खाराब बताया जा रहा है | दूसरी तरफ अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता का आलम यह है कि प्रबंधक दुष्यंत कुमार ने बिजली विभाग को एक बार सूचना देने के बाद दुबारा विभाग के अधिकारियों से बात करने की जहमत नहीं उठाई | जेनरेटर के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि जेनरेटर भी ख़राब हो चुका है | वहीँ जेनरेटर बनाने आये मैकेनिक ने जेनरेटर के बनने में भी दो से तीन दिनों का समय लगने की बात कही क्योंकि, उसका पार्ट्स पटना से लाना होगा |

सदर अस्पताल पहुंचे हमारे संवाददाता ने बिजली विभाग के एसडीओ इस बाबत बात की तो बिजली विभाग भी हरकत में आया तथा आनन-फानन में ट्रांसफार्मर लगा दिया गया | हालांकि, यह ट्रांसफार्मर भी 24 घंटे चार्ज होने के बाद ही बिजली की आपूर्ति कर पायेगा |  

एक ओर जहाँ अस्पताल में बिजली नहीं है वहीँ ओपीडीमें बैठी महिला चिकित्सक गर्भवती महिलाओं को एडमिट किए जा रही थी | नालबंद टोली के रहने वाले मो.अरमान अपनी गर्भवती पत्नी फरजाना को को लेकर बुधवार से ही अस्पताल में भर्ती हैं | उन्होंने बताया कि उन्हें चिकित्सकों द्वारा अगर पहले ही बता दिया गया होता कि यहाँ बिजली या जेनरेटर की व्यवस्था नहीं है तो वे कतई अपनी पत्नी को यहाँ भर्ती नहीं कराते | उन्होंने आशंका जताई कि ऐसी परिस्थिति में जरूरत पड़ने पर अगर अँधेरे ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन करना पड़ा तो न सिर्फ भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा बल्कि, जच्चा-बच्चा की जान पर भी खतरा है |  

बहरहाल, अब एक बात तो तय है कि अगर रोगियों का इलाज अँधेरे कमरे में में किया जाए तो रोगियों को जिन्दगी के बदले मौत आसानी से मिलेगी | ऐसे में इस अस्पताल को मौत का अस्पताल कहना गलत नहीं होगा | 





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