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Buxar Top News: कैकयी ने चली अपनी चाल, आज श्रीराम के वन गमन प्रसंग का होगा मंचन ..



उन्हें उनके कंधे के समीप का बाल सफेद होते दिखाई दिया. यह देख उन्होंने मन ही मन विचार किया कि अब राज्य का भार श्री राम को देकर वन प्रस्थान करना चाहिए.

- विजयदशमी महोत्सव में आज निकलेगा श्रीराम का रथ.

- कृष्ण लीला में राधिका से हुआ कृष्ण का साक्षात्कार.



बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: श्री रामलीला समिति बक्सर के तत्वाधान में रामलीला मैदान स्थित विशाल मंच पर चल रहे 21 दिवसीय विजयदशमी महोत्सव के क्रम में 11वें दिन शुक्रवार को वृंदावन से पधारे सुप्रसिद्ध लीला मंडल श्री श्यामा श्याम रामलीला व रासलीला मंडल के स्वामी शिव दयाल शर्मा (दत्तात्रेय) के सफल निर्देशन में उनके मंडल के पारंगत कलाकारों द्वारा रात्रि में रामलीला मंचन के दौरान "राज्याभिषेक कैकई मंथरा संवाद व दो वरदानों" की कथा प्रसंग का मंचन किया गया. जिसमें दिखाया गया कि महाराज दशरथ जब अपना मुकुट धारण कर रहे थे तो उन्हें उनके कंधे के समीप का बाल सफेद होते दिखाई दिया. यह देख उन्होंने मन ही मन विचार किया कि अब राज्य का भार श्री राम को देकर वन प्रस्थान करना चाहिए. इसी विचार को अपने मंत्रिमंडल से भी साझा करते हैं और इसके लिए अपने गुरुदेव वशिष्ठ के यहां भी जाते हैं. दशरथ के मुख से श्री राम को राज्याभिषेक सौंपने की बात सुनकर गुरु वशिष्ट काफी प्रसन्न होते हैं और राज्याभिषेक के लिए उचित सामग्री बता कर गुरु वशिष्ट श्री राम जी के पास जाते हैं और श्री राम जी को राजा धर्म व सभी नियमों की जानकारी देते हैं. श्री राम जी के राज्याभिषेक की खबर पूरे नगर में फैल जाती है. नगरवासी उत्साहित हो जाते हैं. पूरे नगर को सजाया जाने लगा. उसी समय कैकई की दासी मंथरा आती है और नगर वासियों से उत्साह का कारण पूछती है. जब मंथरा को श्री राम के राज्याभिषेक की जानकारी मिलती है. वह सीधे कैकई के पास जाकर चुगली करते हुए. उन्हें भड़काती है. अपनी बातों को नाटकीय तरीके से पेश करते हुए सौतन की कथा भी सुनाती है. मंथरा की इस तरह की बातों को सुनकर कैकई उसके बातों में आ जाती है और राजा दशरथ से दो वरदान मांगती है. पहले वरदान में श्री राम का वनवास और दूसरे में भरत को राज. यह दृश्य देख दर्शक भाव विभोर हो गए.

वहीं दूसरी तरफ दिन में मंचित कृष्ण लीला के दौरान "श्री श्याम माखन चोरी लीला" का मंचन किया गया. जिसमें दिखाया गया कि कृष्ण अपने घर में माखन चोरी करने जाते हैं. जहां मैया यशोदा उनकी चोरी पकड़ लेती है और समझाते हुए कहती है कि  माखन चोरी करना छोड़ दो वरना तुमसे कोई विवाह नहीं करेगा. कृष्ण मैया को चोरी छोड़ने का वचन देते हैं और दूसरी तरफ ब्रज गोपी के घर माखन चोरी करने पहुंच जाते हैं. जहां गोपिया उन्हें पकड़ लेती हैं. यह देखकर कृष्ण गोपियों को चकमा देकर अपने को छुड़ा लेते हैं और उन गोपियों को उनके ही घर में बांधकर माखन चोरी करते हैं. आगे दिखाया गया कि श्री कृष्ण यमुना जी के तट पर अकेले खेलने जाते हैं. जहां उनकी नजर राधा जी पर पड़ती है. दोनों एक दूसरे को निहारते हैं और बात के क्रम में दोनों में परिचय हो जाता है. कृष्ण और राधा गेंद का खेल खेलते हैं और चलते समय कृष्ण राधा को नंदगांव खेलने के लिए बुलाते हैं. कुछ समय पश्चात राधा अपनी सखियों के संग खेलने के लिए नंदगांव पहुंचती हैं. श्री कृष्ण राधा जी को अपने घर ले जाकर अपनी मैया से मिलाते हैं. मैया यशोदा राधा की सुंदर छवि देख कर मोहित हो जाती है. राधा के माता पिता का परिचय लेकर मैया प्रसन्नचित्त हो राधा का श्रृंगार कर उनका गोद भर देती है. इसी के साथ श्री श्याम की सगाई पक्की हो जाती है. उक्त लीला को देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे. 

कार्यक्रम के दौरान रामलीला परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पड़ा था एवं रामलीला पूजा समिति के सभी पदाधिकारीगण मौजूद रहें. 13 व 14 अक्टूबर को 2 दिन संध्या 4:30 बजे रामलीला मंच से भगवान का वन गमन रथ निकलेगा.




















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