विजयादशमी महोत्सव: मीरा को मिले मोहन, ताड़का के वध के साथ ही आतंक का हुआ खात्मा ..
माता की आज्ञा लेकर राम और लक्ष्मण महर्षि के साथ बक्सर वन को प्रस्थान करते हैं. आने के क्रम में सिद्धाश्रम क्षेत्र के अंतर्गत आतंक की पर्याय ताड़का राक्षसी मिलती है. गुरुदेव की आज्ञा पाकर श्रीराम उस राक्षसी का अपने वाणों से उद्धार करते हैं. यह दृश्य देखकर दर्शक खुशी के मारे जय श्रीराम, जय श्रीराम का उद्घोष करने लगते हैं.
- किला मैदान में आयोजित है 20 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव
- वृंदावन से आई लीला मंडली के द्वारा प्रस्तुत की जा रही हैं लीलाएं.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: आतंक की पर्याय बन चुकी राक्षसी ताड़का से प्रभु श्रीराम बक्सर के ऋषि-मुनियों को मुक्ति दिलाते हैं. वहीं, दूसरी ओर श्रीराम जन्म का प्रसंग भी दिखाया जाता है. जबकि, दिन की लीला में मीराबाई चरित्र का वृंदावन के सुप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मंचन किया जाता है. जिसे देखकर दर्शक मीरा की भक्ति से मुग्ध हो जाते हैं.
दरअसल, विजयादशमी महोत्सव के दौरान किला मैदान के रामलीला मंच पर श्री रामलीला समिति द्वारा आयोजित 20 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत गुरुवार दिन में रासलीला तथा रात ने रामलीला का आयोजन किया गया.
इस दौरान रामलीला प्रसंग में दिखाया जाता है कि, बक्सर निवासी महर्षि विश्वामित्र जब भी यज्ञ करने को तैयार होते हैं तो राक्षस आकर यज्ञ को नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं. मुनि उन राक्षसों को भय दिखा कर भगा देते हैं. पर यज्ञ को लेकर उनकी चिता बढ़ जाती है. सुरक्षा दृष्टि को ले चिंतन के पश्चात वे अवधपुरी को प्रस्थान करते हैं. आगे दिखाया जाता है कि, अवधपुरी पहुंचने पर अयोध्या के महाराजा दशरथ द्वारा महर्षि का भव्य स्वागत किया जाता है. आने का प्रयोजन पूछे जाने पर यज्ञ की सुरक्षा के लिए राजा दशरथ से राम-लक्ष्मण दोनों भाइयों की मांग करते हैं. पहले अयोध्या नरेश इंकार कर देते हैं परंतु, गुरु वशिष्ठ के बहुत समझाने के बाद दोनों भाइयों को देने को तैयार हो जाते हैं. माता की आज्ञा लेकर राम और लक्ष्मण महर्षि के साथ बक्सर वन को प्रस्थान करते हैं. आने के क्रम में सिद्धाश्रम क्षेत्र के अंतर्गत आतंक की पर्याय ताड़का राक्षसी मिलती है. गुरुदेव की आज्ञा पाकर श्रीराम उस राक्षसी का अपने वाणों से उद्धार करते हैं. यह दृश्य देखकर दर्शक खुशी के मारे जय श्रीराम, जय श्रीराम का उद्घोष करने लगते हैं.
मीरा की भक्ति में गिरधर गोपाल बने रक्षक:
दूसरी ओर, सुबह की रासलीला में मीरा चरित्र प्रसंग के मंचन के दौरान दिखाया गया कि, मीराबाई का विवाह भोजराज के साथ होता है, और जैसे ही वह अपने ससुराल पहुंचती है तो उनका ननद से झगड़ा हो जाता है. उनकी ननद बराबर अपने भाई भोजराज से मीरा की शिकायत करती रहती है. जब भोजराज मीरा को समझाते तो मीरा एक ही बात कहती 'मेरे तो सब कुछ गिरधर गोपाल हैं'. तब मीरा के लिए पूजन-कीर्तन हेतु भोजराज अलग मंदिर बनवाते हैं और भक्ति करने के लिए कहते हैं. कुछ समय बाद भोज का स्वर्गवास हो जाता है. परन्तु, भोज के छोटे भाई विक्रम सिंह को मीरा की यह भक्ति रास नहीं आती है और उनको तरह-तरह की यातना देने लगते हैं. दिखाया जाता है कि, बहन के साथ योजना बनाकर मीराबाई को विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया जाता है. जिसमें मीरा के गोपाल की चोरी, सर्पदंश, जहर पिलाना, मीरा के महलों में भूत बनाकर भेजना तथा अन्य कृत्य से मीरा को मारने का प्रयास किया जाता है। परंतु, सब जगह गिरधर गोपाल उनकी रक्षा करते हैं. अंत में घबराकर विक्रम सिंह मीराबाई से क्षमा मांगता है. परन्तु, मीरा जी महल को छोड़कर भक्ति करने वृंदावन चली जाती है. वहां गिरधर गोपाल उन्हें दर्शन देते हैं.
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