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Buxar Top News: शिक्षक दिवस पर विशेष: गुरु-शिष्य परम्परा का देश है अपना भारत, जानें प्रबुद्धजनों की राय में कैसे हो आज के शिक्षक ..


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: भारत में गुरु और शिष्य का रिश्ता एक परंपरा के रूप में बंधा होता है। यहां गुरु अपना ज्ञान शिष्य को देता है तो शिष्य भी गुरु दक्षिणा देकर गुरु का ऋण चुकाने की परंपरा का निर्वाह करता है। जहां गुरु द्रोणाचार्य के बिना अर्जुन को धनुष विद्या का ऐसा ज्ञान नहीं हो पाता तो वहीं अगर रामकृष्ण परमहंस ना होते तो भारतीय संस्कृति का वैश्विक महानाद करने वाले विवेकानंद को सही दिशा कौन देता? आइये जानते हैं कुछ प्राचार्य, प्रोफेसर और शिक्षकों से, जो कभी छात्र हुआ करते थे और आज एक बेहतर व्यक्ति के रूप में उभरकर सामने हैं। आइए जानते हैं कि वे आज के परिवेश में गुरु शिष्य के रिश्ते के विषय में लोग क्या राय रखते हैं - 

शिक्षक एक मिशनरी स्तर की तरह कार्य करता है:  प्रो. बी राय


डीएसएसवी महाविद्यालय सिमरी के प्रोफेसर बी. राय का कहना है कि अच्छा शिक्षक वहीं होता है, जो पहले स्वयं पढक़र आए और कोई भी कक्षा को न छोड़े और समय के अनुसार प्रायोगिक गतिविधियों के बारे में अवगत कराए। इसके साथ ही सभी शिक्षकों को छात्र के प्रति हमेशा अपने बच्चों की तरह एक सा व्यवहार करना चाहिए। तभी बच्चे देश का निर्माण कर विकास की ओर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि अब बदलते समय के अनुसार गुरु और शिष्य के रिश्ते को नजर लग गई है। कभी शिष्यों ने गुरुओं की महिमा को खंडित किया है तो कभी कुछ गुरुओं ने अपनी ओछी हरकतों से गुरु समाज का नाम कलंकित किया है।
इसलिए छात्रों को 9वीं से 12वीं कक्षा में पहुंचने के बाद उनके भविष्य को देखते हुए अच्छी सलाह देनी चाहिए। ताकि बच्चे कैरियर की अच्छी शुरूआत कर सकें और एक अच्छे आइडियल के रूप में उभरें। क्योंकि शिक्षक अक्षरों व मात्राओं का जोड़ सिखाकर ऐसे इंसान की रचना करता है जो देश की किस्मत को नई दिशा देते हैं। उन्होंने सभी शिक्षकों को यह संदेश दिया है कि वह अपनी मेहनत से आगे पढ़ें, न कि सिफारिशों को प्राथमिकता दें। ऐसा करने से बच्चों का भविष्य तो खराब होगा ही, साथ में बच्चे बेहतर शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकेंगे। इसलिए अच्छा शिक्षक एक मिशन की तरह होता है, जो एक मिशनरी स्तर तक कार्य करता है। इसलिए छात्रों को शिक्षकों के प्रति और शिक्षक को छात्रों के प्रति सम्मान देना चाहिए, तभी भविष्य में अच्छे गुरू का सम्मान होगा।

नैतिक मूल्य उच्च स्तर के होने चाहिए: अमित राय

युवा समाजसेवी एवं आरटीआई एक्टिविस्ट अमित राय ने कहा कि शिक्षक को नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए छात्रों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करना ही सबसे बड़ा कार्य है। क्योंकि इसके आधार पर ही छात्र का भविष्य निर्धारित होता है। इसके बल पर ही कोई नागरिक, समाजसेवी, धर्मार्थ, कर्मठ और ज्ञानी बना है। इसलिए शिक्षक को छात्र के प्रति माता-पिता और एक अच्छे दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। ताकि उसे अच्छे और बुरे प्रभाव का पता चलेगा। इसके साथ ही यदि कोई बच्चा गलतियां करता है तो उसे सुधारने के लिए उसे मारने या पीटने की बजाय उसे प्यार से समझाएं।
तभी छात्रों का रूझान शिक्षकों के प्रति बढ़ेगा और वह पढनें में भी रूचि लेंगे। अमित ने आगे कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ समाज के प्रति भी जागरूक करना चाहिए। ताकि वह बाहर की और समाज की रिश्ते की अच्छे से परख कर सकेंगे। इसके साथ ही उन्होंने गुरू गोबिन्द द्वारा कहे गए श्लोगन का बखान करते हुए कहा कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ जैसे व्यवहार करते हैं, ठीक वैसे ही एक शिक्षक को उसी प्रकार व्यवहार करना चाहिए। जिससे अच्छे संस्कार उत्पन्न होंगे, तो उनकी प्रतिभा भी निखरकर सामने आएगी और आने वाले समय में वह एक पीएम की तरह सोच रखेंगे और युवाओं को जागरूक करेंगे।

शिक्षकों का छात्रों के प्रति लक्ष्य चुस्त होना चाहिए: कमल सिंह

महाजनी मध्य विद्यालय डुमराँव के शिक्षक कमल सिंह का कहना है कि एक अच्छा शिक्षक वहीं है, जो छात्रों को अनुशासन और लक्ष्य के प्रति जागरूक करें। इससे छात्र वास्तविकता से भी जुड़ेंगे और दूसरा वह समय के अनुकूल ही अपने कार्य को करेंगे। इसके साथ ही शिक्षक और छात्र के बीच एक ऐसा रिश्ता होना चाहिए कि अपनी बातों को खुलकर सांझा कर सकें, ताकि भविष्य में आने वाली परेशानियों को कम किया जा सकें। इसके साथ ही वर्तमान स्थिति को देखते हुए छात्रों को प्रायोगिक विधि का प्रयोग करके विषयों की जानकारी देनी चाहिए। ताकि वह वैवाहिक ज्ञान से जुड़े ही साथ में जमीन से जुड़े रहें। ऐसी शिक्षा से, नैतिक शिक्षा तो मिलेगी ही साथ में बच्चे शिक्षकों को आदर सम्मान भी देंगे।

शिक्षक ही छात्रों की सही दिशा निर्धारित करता है : सोना यादव

डाइट की लेक्चरर सोना यादव ने कहा कि एक अच्छे अध्यापक को ईमानदारी, नैतिकता और आदर्श को ध्यान में रखते हुए कार्य करने चाहिए। ताकि बच्चों को सिर्फ किताबों तक ही सीमित न रखें, बल्कि उन्हें प्रायोगिक गतिविधियों का ज्ञान भी दे। इससे बच्चों की मानसिकता भी बढ़ेगी और वह शिक्षकों के प्रति अच्छा, मधुर, और माता-पिता की तरह अनुशासित रहेंगे। उन्होंने कहा कि एक अच्छे शिक्षक को चाहिए कि वह आदर्श, संवैधानिक मूल्य को पढ़े, जो एक शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता को दर्शाता है। यदि कोई छात्र किसी शिक्षक की तरफ आकर्षित होता है तो उसे तुरंत अलर्ट करना चाहिए। क्योंकि छात्र तो नासमझ है उसे अच्छे और बुरे फर्क का नहीं पता होगा। इसलिए शिक्षक ही उसे इस स्थिति से बाहर निकाल सकते हैं और वहीं उसे अच्छे और बुरे के अहम मुद्दे को बता सकते हैं। इसके साथ ही जो छात्र ऐसी स्थिति से गुजरते हैं उनकी कांउसलिंग करानी चाहिए और ऐसे शिक्षकों का समाज में बहिष्कार करना चाहिए। एक अच्छा शिक्षक वहीं है जो अच्छी शिक्षा दे, आदर्शों को अपनाए, नियमों का पालन करें, संस्कार की धरोहर को समझें और बच्चों के साथ अच्छे से व्यवहार करें।

अच्छा शिक्षक की पहचान वही हैं जो विषय की पकड़ को समझें: निधि

शिक्षक निधि ने कहा कि शिक्षक वहीं है जो बच्चों को सही दिशा-निर्देश दे और लक्ष्य के प्रति जागरूक करें। इससे छात्रों में पढऩे की रूचि भी उभरेंगी और वह शिक्षकों को सम्मान भी करेंगे। उन्होंने बताया कि छात्रों के साथ शिक्षक को माता-पिता और एक अच्छे की दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। ताकि वह अपनी बातों को सांझा कर सकें और उनके साथ होने वाली दुर्घनाओं पर लगाम कसी जा सकेंं। उन्होंने बताया कि एक शिक्षक ही ऐसा सलाहकार होता है जो दुनिया को बदलने की क्षमता रखता है। इसलिए दूसरों को बदलने से पहले अपने आप में बदलाव करना चाहिए। इससे वह छात्र उस शिक्षक को हमेशा याद रखेगा और उनके द्वारा पढ़ाए गए निमयों का पालन करेगा। इसलिए अच्छा शिक्षक वहीं है जो अपने विषय के साथ विभिन्न विषयों की कमांड पकड़ सकें और बच्चों को सही समय पर कक्षा में पढ़ाएं।

शिक्षक अपने आपको आइडियल की तरह समझें: गुप्तेश्वर राय

अवकाश प्राप्त प्राचार्य श्री गुप्तेश्वर राय ने बताया कि गुरू की महत्ता भगवान से भी बढक़र होती है, जिस वजह से भगवान को सभी लोग अधिक महत्व देते हैं। इसलिए प्रत्येक छात्र को पहले अपनी शुद्धिकरण करना चाहिए। ताकि छात्रों को शिक्षा देते समय शिक्षकों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हों। इसके साथ ही शिक्षक और छात्र के रिश्तों में पारदर्शिता लाने के लिए विश्वास की डोर होनी चाहिए। ताकि छात्र मेहनत से आगे बढ़े न कि नकल के सहारे से। उन्होंने कहा कि पहली से 12वीं तक छात्रों को शिक्षा के साथ समाज की भी जानकारी होनी चाहिए, तभी उन्हें अच्छे और बुरे मुद्दे को समझ सकेंगे। इसके साथ ही एक शिक्षक को अपने आप में एक आइडियल की तरफ रखना चाहिए, ताकि भविष्य में उन्हें छात्र हमेशा यदा रख सकें।














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