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Buxar Top News: बाल विवाह एवं दहेज लेने वालों का हो सामाजिक बहिष्कार - गुप्तेश्वर पांडेय ।

डी जी गुप्तेश्वर पांडेय ने बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ लोगों को जागरुक होने की बात कही है.

- शिक्षा के प्रति बालिकाओं तथा उनके परिजनों बढ़ते रुझान से बाल विवाह में आई है कमी.
- बढ़ती जा रही दहेज प्रथा चिंता का विषय.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर दहेज एवं  बाल विवाह  हमारे समाज के लिए कलंक है. इस को कुप्रथा को मिटाना होगा. उक्त बातें वरिष्ठ आईपीएस डीजी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान से संबंधित बक्सर टॉप न्यूज से हुए बातचीत के दौरान कहा.
उन्होंने कहा कि राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए कई स्तरों पर काम हो रहे हैं. दहेज प्रथा एवं बालविवाह  उन्मूलन भी उसी की एक कड़ी है। उन्होंने कहा  कि कम उम्र में बच्चियों का शरीर पूर्ण विकसित नहीं होता है एवं बाल विवाह के वजह से उन्हें तरह-तरह की बीमारियां का सामना करना पड़ता है। उनका शरीर कमजोर हो जाता है तथा बच्चे का भी पूर्ण विकास नहीं हो पाता है. डीजी श्री पाण्डेय ने कहा कि पंचायत स्तर सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को शपथ लेना चाहिये कि बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा को अब समाप्त कर दे, ऐसे किसी शादी समारोह में नहीं जाना है जहां बाल विवाह हो या दहेज का लेन देन हुआ हो। उन्होंने कहा कि बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के उन्मूलन करने के लिए लिया गया शपथ एवम उसका शतप्रतिशत अनुपालन ही बापू के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
डीजी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने बातचीत में आगे कहा कि सभी लोगों के सहयोग से दहेज प्रथा एवं बालविवाह के उन्मूलन का यह अभियान सफल बनेगा। इस कार्य में भी बिहार एक नया इतिहास लिखेगा. उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति अभियान से एक नए समाज के निर्माण की बुनियाद रखी गई है. दहेज प्रथा एवं बालविवाह उन्मूलन अभियान  उसी की अगली कड़ी है.
बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अब लोग संकल्पित हो रहे हैं. हलाकि, राज्य में बाल विवाह के मामलों में कमी आई है. शिक्षा के प्रति बालिकाओं की बढ़ते रुझान से बालिकाओं के साथ उनके परिजनों में बाल विवाह से परहेज करने का मनोबल बढ़ा है। वहीं दहेज प्रथा में कमी नहीं देखी जा रही है. बल्कि दहेज प्रथा बढती ही जा रही है। दहेज लेना और देना धनवानों के लिए भले ही रुतबा माना जा रहा हो लेकिन आर्थिक रुप से कमजोर लोगों के लिए यह अभिशाप साबित हो रहा है. श्री पाण्डेय ने कहा कि दहेज के कारण विवाहितों की हत्या की घटनाओं में इजाफा समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है. वैसे तो दहेज प्रथा के खिलाफ स्थानीय स्तर पर कई संगठनों द्वारा वर्षो से जागरुकता अभियान चलाया जाता रहा है. बावजूद इसके दहेज की कुप्रथा दूर होने का नाम नही ले रही है. उन्होंने कहा कि दहेज के खिलाफ कानून में दंड का प्रावधान होने के बाद भी इस पर अंकुश लगाना मुश्किल हो रहा है. दहेज लेने वालों को इससे परहेज करने पर ही दहेज प्रथा से निजात मिल सकेगा. दहेज की मांग करने वाले लोगों का सामाजिक स्तर पर जोरदार विरोध किया जाना चाहिए. दहेज मुक्त समाज के निर्माण के लिए पुरुष समाज को आगे आने की जरूरत है. ताकि किसी भी लड़की के पिता बेटी की शादी के लिए कर्ज नही लेना पडे. कमोबेस वर्तमान में राज्य के महादलित समुदाय में आज भी बाल विवाह की परंपरा जारी है. जिस पर समाज के ठोस पहल की आवश्यकता है.
 














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