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Buxar Top News: आश्चर्य किन्तु सत्य: बक्सर में समाज एवं परिवार में नहीं बल्कि, सड़कों पर बिकता है आचरण ...

अगर किसी का आचरण गलत हो तो उसे सुधारने की जिम्मेवारी परिवार एवं समाज पर होती है. आपका आचरण कैसा है यह निर्धारण भी इन्ही दोनों के ऊपर होता है. मगर बक्सर में मामला कुछ अलग है. वरिष्ठ पत्रकार कौशलेन्द्र ओझा बता रहे हैं "आचरण " की  सच्चाई .


  • दुकानों पर ही मिल जाता है आपके आचरण का प्रमाण.
  • पुलिस ने आचरण प्राप्त करना कितना है उचित?


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: अगर किसी का आचरण गलत हो तो उसे सुधारने की जिम्मेवारी परिवार एवं समाज पर होती है. आपका आचरण कैसा है यह निर्धारण भी इन्ही दोनों के ऊपर होता है. मगर बक्सर में मामला कुछ अलग है. 

महात्मा गांधी की जन्म दिवस के बाद मंगलवार को यहाँ खूब बिका आचरण प्रमाण पत्र. बिहार पुलिस की रिक्तियों एवं सेना में नियुक्ति हेतु आचरण प्रमाण पत्र की दरकार होती हैं उसी के लिए बेरोजगार युवकों में आचरण बनाने की मारामारी मची है. आचरण बनाने का विहित प्रपत्र दो पेजों का है जिसपर दो फ़ोटो चस्पां करना होता है और बेरोजगारी का आलम यह है कि चालान कटा कर आरक्षी अधीक्षक से प्रमाण पत्र मिलता हैं तब आप पुलिस के लिए आवेदन दे सकते हैं. 

प्रश्न यह भी उठता है कि आखिरकार आचरण भी पुलिस से लेना सामाजिक दृष्टि से कितना उचित है?
बहरहाल, शहर के हर नुक्कड़ पर यह टंगा है कि आचरण पत्र यहाँ मिलता हैं. गोया कि आचरण अब नुक्कड़ पर टंग गया है शहर औऱ समाज का? हालांकि, यह बात भी गौर करने योग्य है कि जहाँ इस आचरण के लिए शुल्क भी देना पड़ता है वहीँ इसकी वैधता भी सिर्फ़ छह माह ही होती है. जबकि, किसी व्यक्ति को जो आचरण समाज या परिवार से मिलता है वह ताउम्र रहता है. 

दरअसल आज के परिवेश में हम ऊपरी तौर पर विकास के नए-नए कार्तिमान तो बनाते रहते हैं, लेकिन हमारा और हमारे समाज का नैतिक मूल्यों का ग्राफ पतन की निचली सतह तक पहुंचता जा रहा है। कहीं ऐसा न हो कि जिस मनुष्य की प्रगति के लिए हम बड़े-बड़े मॉल, सड़कें और आधुनिक सुविधाओं से युक्त भवन बना रहे हैं, आचरण के अभाव में उनमें रहने वाला मनुष्य ही पीछे छूट जाए. बक्सर में वर्तमान परिवेश में जो स्थिति है उसके अनुसार यह बेहद जरूरी है कि आचरण निर्माण पर विशेष दिया जाए. न कि सिर्फ नौकरी के लिए बेहतर आचरण का प्रमाण पत्र पर.
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बहरहाल, अभी तो हालात यही है कि मोलभाव करने पर जल्द मिलेगा नहीं तो नुक्कड़ पर ही टंगा रहेगा गोया कि आचरण भी अब बाज़ारू बन गया हैं.
जय पुलिस जय बिहार!!














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