Header Ads

Buxar Top News: पांचवे राष्ट्रीय ग्रामीण इतिहासकार-लेखक सम्मेलन एवं स्व. रामायण चौबे स्मृति लोक व्याख्यान का हुआ उद्घाटन ..

पांचवें राष्ट्रीय ग्रामीण इतिहासकार-लेखक सम्मेलन एवं "रामायण चौबे स्मृति लोक व्याख्यान" का उद्घाटन मंगलवार को अहिरौली के गंगा तट पर इतिहास समाचार के प्रवेशांक के लोकार्पण के साथ हो गया.


- अहिरौली में हुआ है आयोजन.
- काव्यपाठ एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर भी होगी स्वतंत्र वार्ता. 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: रंग श्री (दिल्ली) एवं क्रिएटिन हिस्ट्री (दिल्ली) के संयुक्त तत्वाधान में तथा "प्रतिश्रुति" के आयोजन के तहत पांचवें राष्ट्रीय ग्रामीण इतिहासकार-लेखक सम्मेलन एवं "रामायण चौबे स्मृति लोक व्याख्यान" का उद्घाटन मंगलवार को अहिरौली के गंगा तट पर इतिहास समाचार के प्रवेशांक के लोकार्पण के साथ हो गया. इस चार दिवसीय आयोजन में इतिहास के सौ साल विषय पर केंद्रित बातचीत के अतिरिक्त जिले के कवियों, शायरों के काव्य-पाठ तथा सांस्कृतिक गतिविधियों पर भी स्वतंत्र वार्ता का आयोजन किया गया है. 

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता साहित्यकार कुमार नयन ने की. विषय प्रवर्तन करते हुए जेएनयू के प्राध्यापक तथा चर्चित कथाकार प्रोफेसर देवेंद्र चौबे ने कहा कि यह वर्ष इतिहास की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है. क्योंकि आज से ठीक 60 वर्ष पूर्व गांधी जी ने चंपारण सत्याग्रह के जरिए ब्रिटिश-राज को चुनौती दी थी तथा किसानों के समर्थन में प्रथम सत्याग्रह किया था. महान रूसी क्रांति 1917 में ही हुई थी. जिसमें वहां कि मजदूरों की सरकार ने भूमि संपत्ति को राष्ट्र की संपत्ति घोषित किया था. यह एक वैश्विक पर घटना थी जिसने पूरे विश्व में राजनीतिक व सामाजिक परिवर्तन की जमीन तैयार की.

डॉ. दीपक राय ने कहा कि इतिहास वही नहीं है जो अब तक हम पढ़ते हैं, बल्कि ग्राम में जीवन की अनेक घटनाओं में छिपा हुआ है, जिसे बाहर लाना और उनका वैज्ञानिक विश्लेषण करना आज के इतिहासकारों की जिम्मेवारी है. 

किशोर न्याय परिषद के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ शशांक शेखर तथा गजलगो कुमार नयन ने कहा कि इतिहास किसी का पक्ष नहीं देता बल्कि वह घटनाओं प्रतिक्रियाओं से गुजरता हुआ समय और काल को चिन्हित करता रहता है और मानवीय प्रवृतियों को भी रेखांकित करता चलता है. जिसे हम पढ़ सुनकर अपना भविष्य निर्धारित करते हैं. छात्र नेता विमल कुमार सिंह, सरिता कुमारी, जितेंद्र, फौदार मांझी, चंद्रदेव मिश्र, श्याम जी चौबे, वैद्यनाथ तिवारी, सुदर्शन पांडेय आदि ने भी अपने अपने विचार प्रकट किए. इस अवसर पर कवि गोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमें उमाशंकर 'अनुज' फारुख शफी, कुमार नयन आदि ने अपनी कविताएं सुनाई. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन संयोजक श्री कृष्णानंद चौबे ने किया.
 














No comments