Buxar Top News: नशाबंदी के बाद दहेज़ एवं बाल-विवाह की कुप्रथा के ख़िलाफ़ युवाओं को आना होगा आगे- गुप्तेश्वर पांडेय ।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजी गुप्तेश्वर पाण्डेय बाल-विवाह एवं दहेज जैसे कुप्रथा को लेकर खासे चिंतित हैं.
- शराब बंदी से लौटी है कई घरों में खुशी.
- राज्य सरकार तैयार कर रही है स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम.
बक्सर टॉप न्यूज़, पटना: वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजी गुप्तेश्वर पाण्डेय बाल-विवाह एवं दहेज जैसे कुप्रथा को लेकर खासे चिंतित हैं. उन्होंने बक्सर टॉप न्यूज के सह-संपादक अमित राय से इस विषय पर बातचीत के दौरान अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि दहेज व बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है. यदि दहेज की चिंता न हो तो महिलाओं के विकास में इस राशि को खर्च किया जा सकता है. महिलाएं अगर पढ़ी लिखी हो तो परिवार की तरक्की होती है.
उन्होंने कहा कि आशा है कि बिहार सरकार को नशाबंदी की तरह ही दहेज व बाल विवाह मुक्त अभियान में सफलता मिलेगी. डीजी श्री पाण्डेय ने कहा कि समय के साथ अगर हम नहीं चलते हैं तो कुप्रथा अपने विकराल रूप में उपस्थित हो जाती है. हमें पुरातन व नवीनतम के बीच समन्वय स्थापित करने की जरूरत है. बाल विवाह भी समाज का कोढ़ है और इसकी समाप्ति होनी चाहिए.
श्री पाण्डेय ने बताया कि बाल विवाह कराने वाले व्यक्ति को दो वर्ष तक कठोर कारावास एवं एक लाख रुपये तक जुर्माना की सजा दी जा सकती है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार 21 साल से कम उम्र के लड़का एवं 18 साल से कम उम्र की लड़की को बच्चा माना गया है. इस उम्र में शादी करना बाल विवाह माना गया है. वहीं दहेज लेना एवं देना दोनों ही अपराध के श्रेणी में आता है। इस जुर्म के लिए कम से कम पांच साल का कारावास तथा आर्थिक जुर्माने की सजा है. यह कुप्रथा अमीर एवं गरीब सभी के घरों में पाई जाती है. यह समाज के लिए कलंक है. इससे समाज के सभी लोग प्रभावित हो रहे हैं. अगर कोई आदमी दहेज ले या बाल विवाह कराए तो इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दें. बापू का भी यही सपना था कि हमारे देश से दहेज एवं विवाह को जड़ से मिटाना है. इसके लिये युवा वर्ग को आगे आने की खास जरूरत है.
डीजी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने कुछ आंकड़ो पर नजर डालते हुए कहा कि बिहार में बाल विवाह की दर 39 प्रतिशत है जबकि पूरे देश मे इसका प्रतिशत 26.8 है. बिहार सरकार बाल विवाह और दहेज विरोधी अभियान के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार करने में लगी है. बाल विवाह और दहेज प्रथा को रोकने के लिए शराबबंदी के बाद समाज सुधार की दिशा में बिहार सरकार का यह बड़ा कदम है.
वरिष्ठ आईपीएस ने आगे कहा कि बिहार ने शराबबंदी का जो अभियान चलाया उससे समाज में काफी बदलाव आया है तथा लोग खुशहाल हैं। महिलाओं की आवाज पर इस अभियान की शुरूआत की तो लोगों ने इसका मजाक उड़ाया, लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता कि कुछ लोग शराब को अपना अधिकार समझते हैं, अपनी आजादी से जोड़कर देखते हैं. एेसे लोगों को कम से कम यह सोचना चाहिए कि इसकी लत की वजह से लाखों लोगों के घर बर्बाद हो गए, कितने लोगों को दो जून का खाना नसीब नहीं होता था. शराबबंदी कर एेेसे घरों में खुशहाली लौट आई है क्या यह बदलाव कम है? जो लोग इसे अपना मौलिक अधिकार समझते हैं उन्हें तो देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी बता दिया है कि शराब का सेवन किसी का मौलिक अधिकार नहीं.
गुप्तेश्वर पाण्डेय ने कहा कि शराबबंदी कर हमने जो सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी है उसे पूरी दुनिया ने सराहा है, इसे हमें और आगे लेकर जाना है. उन्होंने कहा कि अब दहेज प्रथा और बाल विवाह पर लगाम लगाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाल विवाह और दहेज विरोधी अभियान के लिए एक स्टैंडर्ड अॉपरेटिंग सिस्टम तैयार करने में जोरों-शोर से लगी है.
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