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Buxar Top News: वीडियो: दोषी कौन? शराबबंदी में शराबियों के लिए सुरक्षित मयखाना बना सदर अस्पताल ..

क्योंकि यहाँ न तो उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला है और ना ही यहाँ पुलिस का डर है.

देखिए पूरा वीडियो समझिए सच्चाई

- अंधेरा होते ही शुरु हो जाता है शराबियों का जुटान.
- सदर अस्पताल के आस पास ही  बिकती है शराब.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सदर अस्पताल इन दिनों शराबियों के लिए सुरक्षित मयखाना बन चुका है शराबी अस्पताल परिसर में इत्मीनान से शराब का सेवन करते हैं.

 इस बात का खुलासा तब हुआ जब अस्पताल परिसर में कई जगहों पर शराब की खाली बोतलें फेंकी हुई देखने को मिली मामले में जब स्थानीय सूत्रों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल के आसपास के इलाकों में शराब की बिक्री जोरों पर है.दरअसल ठोरा नदी के रास्ते उत्तर प्रदेश से शराब की खेप वहां आसानी से आ जाती है, जिसके बाद ज्यादा के फायदे की इच्छा लिए आसपास के विभिन्न दुकानदार शराब की बिक्री करते हैं.वहां से शराब खरीदने के बाद शराबियों को सदर अस्पताल से सुरक्षित कोई और मयखाना नजर नहीं आता.क्योंकि यहाँ न तो उन्हें कोई रोकने-टोकने वाला है और ना ही यहाँ पुलिस का डर है.  सूत्रों की माने तो सदर अस्पताल के कई कर्मी भी शराब का सेवन करते हैं जिसका प्रमाण शराब की फेंकी हुई खाली बोतलें बड़ी आसानी से दे देती हैं. दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि सदर अस्पताल के गेट के समीप सुरक्षाकर्मी का ना होना भी अस्पताल में असामाजिक तत्वों के जमावड़े का कारण बनता है. आसपास के दुकानदारों से शराब खरीदने के बाद शराबी आसानी से इस परिसर में बैठकर शराब पीते हैं.

मामले में अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल से बच्चा चोरी होने के बाद सीसीटीवी कैमरे अस्पताल परिसर में लगाए गए हैं, साथ ही अस्पताल से निकलने के कई रास्तों को बंद कर सिर्फ एक ही रास्ते को रखा गया है. जिस पर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी बनी रहती है. लेकिन अस्पताल में प्रवेश का जो रास्ता जेल कि बाउंड्री की तरफ से है उस तरफ सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है. जिसके कारण उधर निगरानी रखने में परेशानी होती है. शराब की बोतलों के फेंके जाने के संबंध में उन्होंने कहा कि हो सकता है कि जेल की बाउंड्री की तरफ से भी किसी ने शराब की बोतल फेंक दी हो. उन्होंने बताया कि कई बार अस्पताल परिसर में स्थानीय युवक आसानी से प्रवेश कर जाते हैं, जिन्हें नगर थाना पुलिस की सहायता से कई बार बाहर भी करवाया जा चुका है. कई बार तो पुलिस उन्हें थाने तक ले गई है और कई बार उन्हें वही समझा बुझा कर छोड़ दिया जाता है.

बहरहाल, बात चाहे जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि शराबबंदी के बाद भी शराब की बिक्री जोरों पर है साथ ही बड़ा सवाल यह भी है यदि घर में बैठकर शराब पीने पर घर तक सील कर दिए जा रहे हैं वहीं सदर अस्पताल में बैठ कर शराब पीने के मामले में क्या कुछ ऐसी ही कारवाई संभव है?














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