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Buxar Top News: विभाग की मनमानी: मिट्टी से जुड़े लोग बन गए "मिट्टी चोर", अनुपलब्धता बनी परेशानी का सबब, मैडम के नाम पर वसूली जारी है ..



मिट्टी से सर्वाधिक जुड़ाव रखने वाले किसान सकते में हैं. खनन विभाग द्वारा पैदा किए गए अनावश्यक भ्रम और भय से किसान सही और गलत का अंतर नहीं समझ पा रहे हैं. 
मिट्टी की अनुपलब्धता के कारण रुका निर्माण कार्य

- खनन विभाग के नियमों से अनजान किसानों से अधिकारियों के रौब का हवाला देकर हो रही है अवैध वसूली.
- न्यायालय नहीं मानता नियमों का उल्लंघन पर अधिकारी बना देते हैं चोर.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: खनन विभाग द्वारा इन दिनों लगातार की जा रही कार्रवाइयों से मिट्टी से सर्वाधिक जुड़ाव रखने वाले किसान सकते में हैं. खनन विभाग द्वारा पैदा किए गए अनावश्यक भ्रम और भय से किसान सही और गलत का अंतर नहीं समझ पा रहे हैं. दूसरी तरफ कुछ समय पूर्व तक बालू संकट से जूझ रहे हैं आम जनों को अब गृह निर्माण के दौरान मिट्टी की उपलब्धता के संकट से गुजरना पड़ रहा है. दरअसल अपने खेतों की मिट्टी काटकर तथा उसे बेचकर कुछ उपार्जन करने वाले किसानों पर खनन विभाग द्वारा की जा रही कारवाइयों  से किसानों के बीच दहशत का माहौल है. खनन विभाग जहां ऐसे किसानों के वाहनों को जप्त कर ले रही है वही उनको जेल भी भेज दे रही है. जबकि बाद में न्यायालय द्वारा खनन कानून का उल्लंघन नहीं मानते हुए ऐसे लोगों को एक से दो दिनों के अंदर जमानत मिल जा रही है.

इसी संदर्भ में 11 अक्टूबर 2017 को खान एवं भूतत्व विभाग के प्रधान सचिव के के पाठक के द्वारा जारी एक पत्र में सभी जिले के समाहर्ताओ को को निर्देशित किया गया था कि खनन के मामले में खननकर्ताओं से सरकार के मालिकाना हक के तौर पर फ्लैट 2% टैक्स लेना है इसके अतिरिक्त कोई भी टैक्स खनन करने वालों से नहीं लेना है. बावजूद इसके खनन विभाग द्वारा कोई अस्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं जारी कर भ्रम की स्थिति लोगों के बीच पैदा कर दी गई है.

इटाढ़ी के रहने वाले किसान सुनील पाठक बताते हैं की खेतों से मिट्टी का खनन करवाने का एक कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना भी होता है. इस दौरान खेतों से निकाली गई मिट्टी को बेचकर उससे कुछ राशि उपार्जित कर ली जाती है. लेकिन खनन विभाग के द्वारा इसे अवैध बताकर किसानों पर उनके वाहनों की जब्ती तक की कार्रवाई करते हुए किसानों को भी जेल भेज दिया जाता है. उन्होंने बताया कि कई बार खनन के अधिकारियों से यह जानकारी लेने की कोशिश भी की गई खनन को लेकर क्या नियमावली है, और इसके लिए कहां और किसे कितना टैक्स देना है? लेकिन ऐसी कोई जानकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा कभी मिल नहीं पाती है. जबकि उनके वाहनों की जब्ती के बाद उनसे फाइन के नाम पर प्रति वाहन  5000 से लेकर  25000 तक की वसूली भी की जाती है. दूसरी तरफ इस वसूली की रसीद भी इन अधिकारियों द्वारा कभी नहीं दी जाती.

नाम ना छापने की शर्त पर चक्रहंसी के रहने वाले एक किसान ने बताया कि वाहनों को जप्त करने पहुंचे पुलिसकर्मी खनन विभाग की किसी मैडम का हवाला देकर उनसे वसूली करते हैं तथा इसका विरोध करने अथवा वसूली की रसीद मांगने पर जेल भेजने की भी धमकी देते हैं.

वहीं पांडेय पट्टी में अपना मकान बना रही शकुंतला देवी बताती है कि मिट्टी की अनुपलब्धता के कारण घड़ी दो महीनों से उनके मकान का निर्माण कार्य रुका हुआ था. ऐसे में उन्हें मुंह मांगी कीमत देकर मिट्टी की खरीद करनी पड़ी.

मामले में जिला खनन पदाधिकारी अनुपम सिंह से बात करने के लिए उनके मोबाइल संख्या 78700 29039 पर कई बार कॉल किया गया. लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.

ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जिला प्रशासन क्या यूं ही अंग्रेजी शासन की तरह अपने मनमुताबिक कानून बनाकर लोगों का भयादोहन करता रहेगा????















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