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Buxar Top News: कृष्णलीला में सुदामा को द्वारपालों ने रोका तो स्वयं आ गए द्वारकाधीश, रामलीला में क्रोधित हुए परशुराम ..





  • -कलाकारों की मार्मिक पस्तुति ने श्रद्धालुओं को कर दिया भाव विह्वल.
  • - दसवें दिन की लीला का हुआ मंचन.



बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: रामलीला समिति बक्सर के नेतृत्व में विगत 21 दिवसीय संचालित विजयादशमी महोत्सव के आयोजन के दसवें दिन लक्ष्मण परशुराम संवाद व विवाह लीला का मंचन किया गया. कृष्ण लीला के तहत सुदामा चरित्र भाग दो का जीवंत मंचन किया गया. लीला की प्रस्तुति वृंदावन से आये ख्याति प्राप्त श्रीराम श्याम अनुकरण लीला मंडली द्वारा निर्वाण बाबा के सानिध्य में किया गया. कलाकारों द्वारा लीला की प्रस्तुति काफी जीवंत रूप से की जा रही है. दिन में कृष्ण लीला एवं रात को रामलीला देखने के लिए दर्शक श्रद्धालुओं की अपार भीड़ लग रही है.

सुदामा चरित्र भाग दो का हुआ मंचन

शुक्रवार को कृष्ण लीला की नौंवे दिन सुदामा चरित्र भाग दो का मंचन किया गया. लीला में दिखाया गया कि श्राप मिलने के बाद सुदामा जी घर चले जाते है. कुछ दिनों बाद उनकी शादी सुशीला नामक युवती से होती है. धीरे-धीरे सुदामा जी श्राप के कारण गरीब होने लगते है. कुछ ही समय के बाद सुदामा जी इतने निर्धन हो जाते है कि उनके पास खाने के लिए घर में एक दाना नहीं रहता है. वे अन्य लोगों से मांग कर अपने जीवन की गाड़ी खींचने लगते है. इसी बीच सुशीला ने उनके मित्र द्वारिकापुरी जाकर भगवान श्रीकृष्ण से मिलने की बात कहती है. है. लेकिन सुदामा मिलना नहीं चाहते है. पत्नी के विशेष आग्रह पर मिलने को तैयार हो जाते है. सुदामा जी ने कहा कि मित्र से कुछ मांगना कुमित्र का काम होता है. तैयार होने पर पत्नी सुशीला ने पड़ोसन के घर से थोड़ा चावल मित्र कृष्ण को देने के लिए मांग लाती है. सुदामा किसी तरह द्वारिकापुरी पहुंचते है. प्रवेश द्धार पर ही द्वारापालों ने सुदामा जी को रोक देता है. सुदामा जी ने कृष्ण के पास आने की सूचना देने की बात कहा तो द्वारापाल सुदामा का मजाक बना देते है. उन्हें जाने को कहते है. लेकिन सुदामा ब्राम्हण एक बार कृष्ण को सूचना देने की बात कहा. श्रीकृष्ण के पास पहुंच द्वारापाल ने जैसे ही सुदामा ब्राम्हण की द्वार पर आने की सूचना दी भगवान तुरंत दौड़कर सुदामा जी के पास आते हैं और गले लगा लेते है. सुदामा जी की द्वारिकापुरी की महल में काफी सम्मान के साथ रखा गया. उन्हें भोजन वगैरह खिलाया गया. जाने के क्रम में श्रीकृष्ण ने चावल की पोटली मित्र सुदामा से ले लिया और खाने लगे. दो मुट्ठी चावल खाते हुए सुदामा जी को दो लोकों की संपति दे दी. इसके साथ ही विश्वकर्मा जी के माध्यम से सुदामा जी को महल बना दिया गया.


लक्ष्मण परशुराम संवाद एवं विवाह लीला का हुआ मंचन

रामलीला के दसवें दिन धनुष यज्ञ के बाद लक्ष्मण परशुराम संवाद एवं विवाह की लीला का मंचन किया गया. जनकपुर में धनुष यज्ञ में धनुष खंडन की खनक परशुराम को मिलती है. धनुष के खंडन के बाद परशुराम जनकपुर दरबार में पहुंचते है. खंडित धनुष देखकर परशुराम काफी क्रोधित हो गये. उन्होंने आने के बाद पूछा कि यह धनुष तोड़कर कौन अपराध किया है इसका अपराधी कौन है. इसके बाद भगवान श्रीराम विनय पूर्वक कहा कि यह अपराध मैंने किया है. इसके बाद लक्ष्मण से संवाद होता है. लक्ष्मण ने कहा कि महाराज आज आप इतना क्रोधित क्यों हो रहे है. हमने अबतक अनेंको धनुष का खंडन किया तो आप ने एक बार भी क्रोध न किया. इस तरह काफी समय तक संवादो का दौर चलता रहा. अंतत: परशुराम अपनी हार मान लेते है और तपस्या के लिए चले जाते है. इसके बाद जनक जी का दूत अवधपुरी पहुंचता है. वहां से राजा दशरथ बारात लेकर जनकपुरी राम जनक जी के पास पहुंचते है. इस तरह जनकपुर में चारों भाइयों का विवाह संपन्न हुआ. कार्यक्रम के दौरान मीडिया प्रभारी साकेत कुमार श्रीवास्तव, हरिशंकर गुप्ता समेत अन्य कार्यकर्ता लीला की सफलता पूर्वक संपादन में अपनी भूमिका निभाई.














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