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Buxar Top News: विशेष : डेढ़ सदी,तीन जेल,33 अदालतें और 333 दफाओं में सिमटा है केंद्रीय कारा ..


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: बक्सर अपने आप मे अनूठा है और उसके कड़ी में केंद्रीय कारा भी है या यूं कहें कि तीन जेलों वाला देश का पहला ज़िला मुख्यालय भी है।
1861 में अंग्रेज़ो द्वारा गंगा और ठोरा नदियों के संगम पर तीन वर्ग किलोमीटर में पसरा किला नुमा जेल आज़ादी के संघर्ष में दासता और गुलामी व बर्बरता का गेरुआ टीस आज भी समेटे हुए हैं। अंग्रेज़ी ज़ुल्मों और आज़ादी के बाद भी कई ज़ुल्मों सितम का गवाह भी रहा है केंद्रीय कारा।
ओपन जेल महिला जेल मानो इसके विस्तार की ही कड़ी हैं।
150 वर्षो से इतिहास को समेटे हुए इस जेल में कई अनाम स्वन्त्रता सेनानियों सहित जयप्रकाश नारायण जार्ज फ़र्नान्डिस चारु मजूमदार राहुल सांकृत्यायन सहित नीतीश कुमार भी इसकी चहारदीवारी के भीतर की सांसें ली हैं।

अनूठा है जेल


देश का अनूठा है यह केंद्रीय कारा ।फांसी के लिए मनीला रस्सी भी केवल यहीं बनाता है जिससे अभी हाल में ही अफ़ज़ल गुरु और याकूब मेमन की फाँसी दी गई थी।जेल सुधार के तहत खुला जेल भी यही पर ही है, महिला बंदियों के लिए भी महिला जेल जो एक अलग परिसर में है अपने आप मे अनूठा है।
बक्सर की 33 अदालतें बंदियों की सुनवाई करती हैं।फिर भी ज़ुल्म सितम कम नहीं हो पाते हैं।
केंद्रीय कारा में घुसते ही अंग्रेज़ों के ज़ुल्म सितम के स्तम्भ है जो आज़ादी के दीवानों के याद में बनाये गए है।
कहने को तो जेल बड़ा ही रमणीक है गोया कि तालाब मंदिर बगीचा खेत मैदान पुस्तकालय व्यामशाला अस्पताल फैक्टरी आदि सब हैं लेकिन गुम न्याय और मानवता ही है।
1200 कैदियों की क्षमता वाले जेल 30 बेडों का अपना अस्पताल भी है और राज्य के कोनों कोनों से गरीब सज़ायाफ्ता कैदी भी यहाँ निरुद्ध हैं।
कई सफेदपोश ,अधिकारी, नेता क्रूर ,बलात्कारी आदि भी जेल में है लेकिन सबके अपने राम है न्याय की टीस देश की 333 दफाओं नही मिटा पाती हैं।
इतिहास भूगोल कानून व्यवस्था सबको समेटे यह जेल अपनी कभी कोफ़्त पर रोता है तो कभी आत्म गौरव के श्लाघा से घिरा रहता हैं।
राहुल सांकृत्यायन और जयप्रकाश नारायण ने जेल में लेखन किया हैं ।
जेल में इतिहास भी है और इसका प्रशासकीय भवन को अब जेल संग्रहालय बनाने की ज़रूरत है ताकि आगे आने वाली पीढ़ी जान पाए कि कौन कौन यहाँ किस दफ़ा में आये और क्यो आये?














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