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Buxar Top News: बड़ी ख़बर: शराबबंदी कानून का उड़ रहा मज़ाक: बिना शराब पिए ही जेल भेजे गए हजारों लोग !



बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर मशीन कभी भी खराब हो सकती है तो यह कैसे मान लें कि सभी जेल भेजे गए लोगों ने शराब पी रखी थी?

- जिस मशीन ने बैंक कर्मियों की जांच के दौरान गलत बताई रिपोर्ट, उसी मशीन ने ठहराया था कई को दोषी 
- ब्रेथ एनलाइजर की रिपोर्ट को सही नहीं मानता है न्यायालय.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: शराबबंदी कानून लागू होने के बाद शराब पिए हुए लोगों की जांच के लिए जो तरीके अपनाए जा रहे हैं वे भी संदेह के घेरे में है बावजूद इसके बदस्तूर इन्हीं तरीकों से जांच कर शराबी लगातार जेल भेजे जा रहे हैं.

बैंक कर्मियों की गिरफ्तारी के बाद उठने लगे सवाल:

पुलिस अधिकारी बता रहे हैं कि सोमवार की रात तकरीबन 10:00 बजे कथित तौर पर शराब के नशे नगर थाना क्षेत्र के पीपरपांती रोड से गिरफ्तार दो बैंक कर्मियों के मामले में पुलिस की भूमिका संदेहों के घेरे में है.  बताया जाता है कि बैंककर्मियों की गिरफ्तारी पीपरपांती रोड से नहीं बल्कि नगर थाना के समीप से हुई थी. विश्वस्त पुलिस सूत्रों तथा कुछ अन्य स्थानीय लोगों के मुताबिक  उक्त बैंककर्मी नगर थाना के बाहर अपनी कार को पार्क करके चले गए थे तथा दिनभर कार के समीप नहीं पहुंचे. सड़क पर कार खड़ी होने के कारण दिन में कई बार ट्रैफिक जाम जैसी समस्या होने पर दिनभर पुलिस यह पता लगाने के लिए प्रयासरत रही कि आखिर यह कार किसने खड़ी की है. थानाध्यक्ष अविनाश कुमार को जब मामले का पता चला तो उन्होंने पुलिसकर्मियों को कार पर नज़र रखने की हिदायत दे दी तथा कहा कि जैसे ही कोई कार को लेने आए उसे पकड़ लिया जाए. 

रॉन्ग पार्किंग की मिली बड़ी सजा:

रात करीब 10:30 बजे शाखा प्रबंधक एवं उनके सहायक शाखा प्रबंधक अपनी कार को लेने के लिए थाने के समीप पहुंचे. जैसे ही वह कार स्टार्ट कर आगे बढ़े पुलिसकर्मियों ने रोक दिया. दोनों को हिरासत में ले लिया गया जिसके बाद थानाध्यक्ष अविनाश कुमार उन पर शराब पीने का आरोप लगाते हुए उन्हें मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल पहुंचा दिया.  सदर अस्पताल में चिकित्सक डॉ. राजेश रंजन द्वारा दोनों बैंककर्मियों की जांच में पाया गया कि दोनों कि सांसों में अल्कोहल की मात्रा शून्य है. जिसके आधार पर चिकित्सक ने दोनों बैंक कर्मियों की रिपोर्ट में शराब पीने की पुष्टि नहीं की. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि शराब पीने की पुष्टि नहीं होने के बाद भी थानाध्यक्ष यह मानने को तैयार नहीं हुए कि बैंककर्मियों ने शराब नहीं पी है. उन्होंने चिकित्सक के सामने ही रिपोर्ट को फाड़ डाला तथा इसके बाद उत्पाद विभाग से मंगवाए गए ब्रेथ एनालाइजर से दोबारा अधिकारियों की जांच कराने के बाद उन्हें शराब पिए हुए बता दिया. 

हालांकि, बार-बार दोनों बैंक कर्मी यह कहते रहे कि उन्होंने शराब नहीं पी है तथा उनका ब्लड टेस्ट करा लिया जाए लेकिन अस्पताल में ब्लड टेस्ट की व्यवस्था ना होने के कारण उनका ब्लड टेस्ट भी ना हो पाया और अंततः उत्पाद विभाग से मंगाए गए  ब्रेथ एनलाइजर की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें जेल भेज दिया गया.

ब्रेथ एनालाइजर खराब तो कैसे जेल भेजे गए शराबी? 

 इस घटना के बाद एक बड़ा सवाल यह उठता है कि यदि सदर अस्पताल में मौजूद ब्रेथ एनालाइजर खराब था तो यह किसने प्रमाणित किया के उत्पाद विभाग से मंगाया गया ब्रेथ एनालाइजर बिल्कुल सही अवस्था में था. सवाल यह भी है कि क्यों नहीं  किसी अन्य प्रमाणिक तरीके से  दोनों बैंक कर्मियों की जांच की गई? वहीं यह कैसे प्रमाणित हुआ कि इसके पूर्व की जांच में सदर अस्पताल में मौजूद ब्रेथ एनालाइजर से ही दोषी पाए गए अन्य लोगों ने भी शराब पी थी? इसी सवाल को जब हमने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने बताया बार-बार एक बार बार एक ही रिपोर्ट बताने के कारण एनालाइजर को खराब माना गया होगा. हालांकि वे यह नहीं बता पाए कि दूसरी मशीन से कितनी बार बैंककर्मियों का परीक्षण किया गया तथा यही मशीन पहले अन्य लोगों की जाँच के दौरान भी खराब थी या नहीं वह नहीं बता पाए. 

न्यायालय एवं विशेषज्ञों का है मानना ब्रेथ एनालाइजर पर नहीं किया जा सकता पूर्ण भरोसा:

एक रोचक बात उन्होंने यह भी बताई कि शराब पीने की पुष्टि के लिए ब्रेथ एनालाइजर पर पूर्ण रुप से भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि यह मशीन है और मशीन में खराबी हो सकती है. रक्त में अल्कोहल की मात्रा जांच कर भी शराब पीने की पुष्टि की जा सकती है. लेकिन उपाधीक्षक ने बताया कि इस तरह के जांच की व्यवस्था भी बक्सर में नहीं है.

पाठकों को बता दे दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा वर्ष 2017 में दिए गए एक फैसले में भी हाई कोर्ट ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में व्यक्ति को ब्रेथ एनालाइजर के रिपोर्ट के आधार पर दोषी बनाए जाने से इनकार करते हुए उन्हें दोषमुक्त करार दिया था.

तो क्या बिना मतलब जेल भेजे गए हजारों लोग? 

उत्पाद अधीक्षक बताते हैं कि उनके द्वारा अब तक तकरीबन 800 से अधिक लोगों को जेल भेजा जा चुका है पुलिस द्वारा भी इससे कुछ अधिक संख्या में लोग जेल भेजे गए. इस प्रकार जेल भेजे गए लोगों की अनुमानित संख्या पर गौर करें तो यह तकरीबन 2000 के आसपास होगी. लेकिन सभी जेल भेजे गए लोगो की जांच ब्रेथ एनालाइजर मशीन से ही हुई है ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर मशीन कभी भी खराब हो सकती है तो यह कैसे मान लें कि सभी जेल भेजे गए लोगों ने शराब पी रखी थी? यह भी मान सकते हैं कि बिना शराब पीए ही लोगों को जेल भेज दिया गया हो !


बहरहाल, सभी घटनाक्रमों पर गौर करने के बाद जो बात सामने आती है उसके मुताबिक प्रशासन पूर्ण रूप से यह साबित करने में विफल है कि किसने शराब पी है और किसने नहीं.















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