Buxar Top News: निपाह वायरस को लेकर जारी हुई एडवाइजरी सतर्कता से हो सकता है बचाव ..
सभी सिविल सर्जन, एसीएमओ और अधीक्षक को भेजा पत्र, कहा जानलेवा निपाह वायरस को लेकर सतर्क रहें. सभी जगह इसका व्यापक प्रचार प्रसार करें.
- पेड़ से गिरे फलों को खाने से करें परहेज पोटाश के पानी में धोकर खाएं.
- उड़ीसा तक पहुंचा वायरस का असर बिहार में लोगों से सतर्कता बरतने की अपील.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: केरल में चमगादड़ से फैलने वाले निपाह वायरस के खतरों को देखते हुए बिहार में भी अलर्ट जारी किया गया है. बिहार रोग नियंत्रण के निदेशक प्रमुख ने किया एडवायजरी पत्र जारी. सभी सिविल सर्जन, एसीएमओ और अधीक्षक को भेजा पत्र, कहा जानलेवा निपाह वायरस को लेकर सतर्क रहें. सभी जगह इसका व्यापक प्रचार प्रसार करें. केरल में जानलेवा निपाह वायरस का व्यापक असर है. बताया कि भीड़ भाड़ वाली जगह में मास्क लगाकर जाएं.
बताया जा रहा है कि यह वायरस ओडिशा तक आ चुका है इसके कारण आसपास के राज्यों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एडवाइजरी जारी कर सभी राज्यों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.
क्या हैं निपाह वायरस के लक्षण?
निपाह वायरस के लक्षण दिमागी बुखार की तरह ही हैं. बीमारी की शुरुआत सांस लेने में दिक्कत, चक्कर आना, तेज सिरदर्द और फिर बुखार से होती है है. इसके बाद बुखार दिमाग तक पहुंच जाता है, जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है.
निपाह वायरस का इलाज क्या है?
हालांकि, अब तक इस भयानक निपाह वायरस का कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है. बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है. इससे संक्रमित रोगी की उचित देखभाल और डॉक्टरों की कड़ी निगरानी में रखा जाना चाहिए.
निपाह वायरस के कैसे बचें?
- चमगादड़ों की लार या पेशाब के संपर्क में न आएं.
- खासकर पेड़ से गिरे फलों को खाने से बचें.
- संक्रमित इंसानों और पशुओं खासकर सुअरों के संपर्क में न आएं.
- निपाह वायरस के अधिक प्रभाव वाले इलाकों में जाने से बचें.
- इस्तेमाल में नहीं लाए जा रहे कुओं में पर जानें से बचें.
- केरल सहित उसके पड़ोसी राज्यों से आने वाले फल जैसे केला, आम व खजूर खाने से परहेज करें.
- फलों को पोटाश वाले पानी में धोकर खाएं.
निपाह वायरस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं:
एडवाइजरी में कहा गया है कि निकाह रोग के लक्षण होने पर शीघ्र ही नजदीकी चिकित्सक के यहां पहुंचे. यह भी बताया गया है कि इस वायरस के चपेट में आने वाले लोग 24 से 48 घंटे के भीतर कोमा में चले जाते हैं.
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