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Buxar Top News: बालू की बिक्री में अधिकारियों की मनमानी जनता की पर पड़ रही भारी ..



दरअसल डिपो के प्रबंधक एवं कर्मी स्वयं ही बालू की कालाबाजारी करने लगे हैं. वहीं जीपीएस लगे वाहनों की अनुपलब्धता का हवाला देकर मनमाना भाड़ा भी ग्राहकों से वसूल रहे हैं. 

इसी ट्रैक्टर ट्राली से आया बालू
- जीपीएस लगे वाहनों की अनुपलब्धता को बनाया कालाबाजारी का आधार.
- डिपो के कर्मचारियों तथा निजी वाहन चालकों की मिलीभगत से हो रही अवैध वसूली.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले में बालू व्यवसाइयों द्वारा बालू के अवैध कारोबार की बात अक्सर सामने आती रहती है. बताया जाता है कि वह ओवरलोड ट्रक लेकर बिहार से उत्तर प्रदेश बालू के सप्लाई करते हैं जिसके कारण बालू की कीमतों में लगातार इज़ाफ़ा होता रहता है. लेकिन सच्चाई कुछ और ही है.


 बक्सर टॉप न्यूज़ की टीम ने जब मामले की पड़ताल की तो सारा माजरा स्पष्ट हो गया. दरअसल राज्य सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग के निर्देशों के अनुसार अब लाइसेंस प्राप्त दुकानदारों को ही बालू की बिक्री करनी है. यही नहीं  जीपीएस लगे वाहनों से बालू की ढुलाई भी करनी है. इसी के साथ ही विभाग ने दलसागर में बालू के डिपो की स्थापना की गयी है. जहां से जनता को किफायती दर पर बालू की सप्लाई की जा सकेगी.  लेकिन डिपो में बैठे कर्मचारियों तथा वाहन चालकों की मिलीभगत सरकार की जनता को लाभ पहुंचाने की योजना पर पानी फेर दिया जा रहा है. दरअसल डिपो के प्रबंधक एवं कर्मी स्वयं ही बालू की कालाबाजारी करने लगे हैं. वहीं जीपीएस लगे वाहनों की अनुपलब्धता का हवाला देकर मनमाना भाड़ा भी ग्राहकों से वसूल रहे हैं. इसका खुलासा तब हुआ जब हम ग्राहक बनकर बालू के खरीद करने डिपो पर पहुंचे. डिपो प्रबंधक शशि भूषण तथा सहायक श्रीनंदन ठाकुर ने बताया कि 2646 रुपए में एक ट्राली(95 सीएफटी) बालू की कीमत है. उसके अतिरिक्त करीब 125 रुपए लोडिंग एवं 10 किलोमीटर ले जाने का भाड़ा 700 रुपए निर्धारित है. जिसका आपको भुगतान करना होगा. इस प्रकार बालू की कुल कीमत 3481 रुपए होगी. डिपो से दो ट्रॉली बालू की खरीद की गई तथा का कीमत भी चुका दी गई बावजूद इसके तकनीकी खराबी का हवाला देते हुए बालू की रसीद भी नहीं दी गई.

मामले में प्रभारी खनन पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि डिपो से केवल बालू की बिक्री ही करनी है वाहनों की उपलब्धता अथवा लोडिंग वग़ैरह की जिम्मेदारी विभाग की नहीं है. निजी वाहनों में भी वैसे ही वाहनों का प्रयोग करना है जिनमें में जीडीएस लगा हो.


अधिकारी के बयान के बाद यह बात साफ तौर पर सामने आई कि बालू की कालाबाजारी के खेल में निजी लोगों के मिलीभगत से प्रतिदिन हजारों रुपए का अतिरिक्त बोझ जनता की जेब पर बढ़ा दे रहे हैं.

















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