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Buxar Top News: विजयादशमी महोत्सव: चौथे दिन ऊखल बंधन लीला व सीता जन्म मंचन देख भाव विभोर हुए लोग ..



जनकपुर में अकाल पड़ गया. वहां की प्रजा त्राहि त्राहि करने लगी. जनक जी के गुरु सतानंद जी के कहने पर राजा और रानी बैल के स्थान पर स्वयं लगकर हल को खींचा तो वहां से एक घड़ा निकला. घड़े के अंदर से एक कन्या निकली. जिसका नाम सीता रखा गया.

- इमली के दोनों वृक्षों के समीप स्पर्श कर यक्ष बालकों का उद्धार करते हैं श्री कृष्ण.

- त्रिकूट पर्वत पर यक्षों से लंका छुड़ाकर स्वयं वहां का राजा बन जाता है रावण.



बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: श्री रामलीला समिति के तत्वाधान में ऐतिहासिक किला मैदान स्थित विशाल रामलीला मंच पर चल रहे 21 दिवसीय विजयदशमी महोत्सव के क्रम में चौथे दिन शुक्रवार को वृंदावन से पधारे सुप्रसिद्ध रामलीला मंडल श्यामा-श्याम रामलीला एवं रासलीला मंडल के साथ शिवदयाल शर्मा के निर्देशन में दिन में रासलीला मंचन में "ऊखल-बंधन लीला" प्रसंग का सफल मंचन किया गया. 

जिसमें दिखाया गया कि कुबेर के पुत्र नल कुबेर व मणीग्रीव दोनों भाई गोमती नदी में स्नान करने के लिए जाते हैं. वहां बहुत से यक्ष बालक भी अपनी अपनी पत्नियों के साथ आते हैं. उसी समय वहां देव ऋषि नारद जी उपस्थित होते हैं. सभी यक्ष बालक नारद जी को प्रणाम करते हैं. परंतु कुबेर के दोनों पुत्र ना ही प्रणाम करते है और ना ही वहां जाते हैं. उल्टा उनका उपहास करने लग जाते हैं. यह देख देव ऋषि नारद उन दोनों भाइयों को जड़वत होने का शाप दे देते हैं. 

देव ऋषि नारद के शाप देने पर नल कुबेर व मणीग्रीव घबरा जाते हैं और अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करते हैं नाराज नारद जी को दया आ जाती है. उन्होंने कहा कि तुम द्वापर में नंद यशोदा के आंगन में तुम दो इमली के वृक्ष बनोगे. जिसका नाम यमला-अर्जुन होगा. जहां श्री कृष्ण के द्वारा तुम्हारा उद्धार होगा जब श्रीकृष्ण सो रहे थे तो मैया यशोदा दही मथ रही थी. अचानक श्रीकृष्ण मैया के पास आकर मथनी पकड़ लेते हैं और मैया से चंद खिलौनों की ज़िद करने लगते हैं. जहां श्री कृष्ण को मैया से मार पड़ती है. इधर कृष्ण का सखा   मदमंगल श्री कृष्ण को मटकी फोड़ने को कहते हैं. जब एक सखी  सखी यशोदा को श्री कृष्ण की करतूत की सूचना देती है, तो मैया कृष्ण को ऊखल से बांध देती है श्री कृष्ण ऊखड़ को घसीटते हुए दोनों वृक्षों के समीप स्पर्श कर यक्ष बालकों का उद्धार करते हैं. मंचन के दौरान श्रद्धालु भाव विभोर हो गए. 

वहीं रात्रि पहर रामलीला मंचन के दौरान "रावण दिग्विजय अत्याचार व सीता जन्म प्रसंग" का मंचन करते दिखाया गया कि शादी के पश्चात रावण कुबेर पर आक्रमण कर उनसे पुष्पक विमान छीन लेता है. जब उसे पता चलता है कि त्रिकूट पर्वत पर ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई सोने की लंका है तो रावण वहां जाता है और यक्षों से लंका छुड़ाकर स्वयं वहां का राजा बन जाता है. रावण के यहां राक्षसों की सेना बढ़ जाती है. 

बढ़ती हुए सेना को देखकर रावण सभी योद्धाओं को आदेश देते हुए कहता है कि जाओ जहां होम, जप तप और श्राद्ध हो रहा हो वहां विघ्न बाधा डालो. 

उसके बाद अभिमानी रावण अपने बड़े पुत्र मेघनाथ को इंद्र के पास भेजता है. मेघनाथ संग्राम कर सभी देवताओं को बंदी बना लेता है और रावण के पास ले आता है. जहां रावण देवताओं को अपने अधीन कर छोड़ देता है. 

पुनः रावण मेघनाथ को आदेश देते हुए कहता है कि पंचवटी पर जितने भी ऋषि मुनि रहते हैं. वह कर के रूप में कुछ नहीं देते हैं. इसलिए उन सभी का खून खिंचवा कर एक घड़े में भरकर ले आओ. जब राक्षस ऋषियों का खून खिंचवाते हैं तो ऋषि श्राप देते हुए कहते है कि रावण जहां भी इस रक्त  को रखेगा वहां अकाल पड़ जाएगा. घड़े से जो शक्ति उत्पन्न होगी वहीं राक्षसों के विनाश का कारण होगा. रावण उस घड़े को जनकपुर की सीमा में गड़वा दिया. उस समय जनकपुर में अकाल पड़ गया. वहां की प्रजा त्राहि त्राहि करने लगी. जनक जी के गुरु सतानंद जी के कहने पर राजा और रानी बैल के स्थान पर स्वयं लगकर हल को खींचा तो वहां से एक घड़ा निकला. घड़े के अंदर से एक कन्या निकली. जिसका नाम सीता रखा गया.

मंचन के दौरान समिति के समस्त पदाधिकारी उपस्थित रहें.




















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