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Buxar Top News: बिना आपके प्रयास के इस बार भी नहीं मरेगा रावण ..



जिले में केवल यौन हिंसा की ही 109 वारदातें प्रतिवेदित की गयी हैं. जिनमें 17 सामूहिक दुष्कर्म की हैं. हालांकि, यौन हिंसा की इन वारदातों में बाद की कहानी हम लोग नहीं जान पाते हैं.

- यौन हिंसा के पीड़ितों के प्रति नहीं बदला है समाज का रवैया.
- रावण के द्वारा कई बार दुष्कर्म का शिकार होती है महिलाएं.

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: हमारे शहर में रावण 50 फीट तक का हो गया है और उसके मरने में तकरीबन आधा घंटा का समय लगने वाला है. वैसे तो रावण हर साल मरता है. बावजूद इसके हमारे आस पास 5 से 6 फीट तक के कई रावण यूं ही विचरण करते रहते हैं, जो कि कभी नहीं मरते. इस तरह के रावण आपको हर गांव, टोलों, कार्यालयों, अखबारों के दफ्तरों, न्यायालयों तथा घरों में भी मिल जाएंगे. 

जिले में केवल यौन हिंसा की ही 109 वारदातें प्रतिवेदित की गयी हैं. जिनमें 17 सामूहिक दुष्कर्म की हैं. हालांकि, यौन हिंसा की इन वारदातों में बाद की कहानी हम लोग नहीं जान पाते हैं. हम यह नहीं पता लगा पाते हैं कि इस तरह के मामलों में आरोपित को कितने दिनों की सजा हुई अथवा पीड़ित की क्या स्थिति अभी है. एक ह्रदय विदारक सच यह भी है कि जिले के जिस इटाढ़ी थाना क्षेत्र में एक ज्ञान यज्ञ भी हो रहा है. उसी थाना क्षेत्र के लोग संभवत: अभी तक इस ज्ञान को आत्मसात नहीं कर पाए हैं. सूत्रों की माने तो इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा यौन हिंसा की खबरें दर्ज होती है. हालांकि पुलिस के पास दर्ज घटनाओं से कई गुना अधिक घटनाएं समाज में घटती हैं. 

यह शोध का विषय हो सकता है कि इटाढ़ी थाने का हर तीसरा मामला यौन हिंसा या दुराचार का क्यों हो जाता है !  यौन हिंसा से पीड़ित के प्रति समाज का नजरिया अभी भी नहीं बदला है. हालात, यह है कि एक बार यौन हिंसा का शिकार हुई महिला कई बार समाज के नजरों से पुनः हिंसा का शिकार होती रहती है. एक ओर जहाँ समाज में उचित सम्मान नहीं मिल पाता है. यही नहीं न्यायालय पेशी के दौरान भी किसी महिला के आस पास लोगों की भीड़ ऐसे जमा हो जाती है, मानों चील-गिद्धों को आहार मिल गया हो. न्यायालय में पेशी के दौरान हर बार पीड़िता को नज़रों के द्वारा की जाने वाली  सार्वजनिक दुष्कर्म की घटना से गुजरना पड़ता है. हालांकि, इस दुष्कर्म का दोषी किसी को नहीं  माना जाता. लगभग यही स्थिति सामान्यत: सड़कों पर चलने वाली किसी भी महिला के साथ होती है. समाज के एक बड़े वर्ग के द्वारा भी हर दिन नज़रों से दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया जाता है. हालांकि, यह माना जा सकता है कि वैसे लोग इसे दुष्कर्म न समझ के अपना सामाजिक अधिकार समझते हैं. यह अलग बात है कि वही लोग नवरात्र में कन्या पूजन भी करते हैं.

समाज के इन रावणों का अंत भी बेहद जरुरी है. सुधी लोगों को भी विजयादशमी के बुराई पर अच्छाई की विजय के इस पर्व पर अपने अंदर के रावण का नाश करने का संकल्प लेना ही चाहिए. इसके लिए किसी रामनवमी की भी जरूरत नहीं होगी.

दशहरे की शुभकामनाओं के साथ ..





















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