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लोक परंपराओं के इतिहास को उभारने की हुई कोशिश ..

ग्रामीण इतिहास लोक संस्कृति एवं लोक परंपराओं लोक कृतियों का दस्तावेज होता है. किंतु इसे देश काल की कसौटी पर खरा उतरना होता है. कोई इतिहासकार किसी विशेष काल या घटना का इतिहास संपूर्ण रूप से नहीं लिख सकता.

- मेरा गाँव मेरा इतिहास विषय पर आयोजित हुई व्याख्यान माला ..
- रंगश्री क्रिएटिव हिस्ट्री के तत्वाधान में आयोजित था कार्यक्रम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: दिल्ली की संस्था रंगश्री क्रिएटिव हिस्ट्री के तत्वाधान में शुक्रवार को स्थानीय ज्योति प्रकाश मेमोरियल लाइब्रेरी में ग्रामीण इतिहास लेखक सम्मेलन संपन्न हुआ, जिसमे मेरा गांव मेरा इतिहास विषय पर रामायण चौबे समृति व्याख्यानमाला के तहत व्याख्यान का आयोजन हुआ.

कार्यक्रम की अध्यक्षता लेखक हरिनंदन कुमार ने की तथा संचालन कुमार नयन ने किया. मुख्य व्याख्यान युवा इतिहासकार लक्ष्मीकांत मुकुल ने दिया तथा परिसंवाद के मुख्य वक्ता डॉ.अरुण मोहन भारवि थे एवं कल्याण सिंह थे. पत्रकार डॉ. शशांक शेखर उपाध्याय ने परिसंवाद पर अपनी मुख्य टिप्पणी रखी. बीज वक्तव्य कथाकार सुरेश कंटक ने दिया तथा गांव के इतिहास पर विशेष वक्तव्य समाजसेवी अरुण सिंह ने दिया.

इस विषय पर बोलते हुए सभी वक्ताओं का जो समवेत वक्तव्य था, वह यह था कि लोक परंपराओं में इतिहास के तत्व छुपे हुए होते हैं. ग्रामीण इतिहास लोक संस्कृति एवं लोक परंपराओं लोक कृतियों का दस्तावेज होता है. किंतु इसे देश काल की कसौटी पर खरा उतरना होता है. कोई इतिहासकार किसी विशेष काल या घटना का इतिहास संपूर्ण रूप से नहीं लिख सकता. उससे कुछ ना कुछ छूट जाता है जो महत्वपूर्ण होता है. जो बात सत्ता के दबाव में सामने नहीं आ पाती उसे लोग और जनमानस अपने मिथकों की परंपराओं में सुरक्षित रखता है. बहुधा लोक कथाएं तथा लोक संस्कृति इतिहास के समानांतर चलती रहती हैं, जो इतिहास से कम सशक्त नहीं होती हैं.

अन्य वक्ताओं ने में रेलवाणी के संपादक राजमणि मिश्रा, गणेश उपाध्याय, महेश चौधरी, अशोक द्विवेदी, इ. रामाधार सिंह, आदि ने अपनी बात रखी. धन्यवाद ज्ञापन विमल कुमार ने किया. द्वितीय सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ. जिसका संचालन प्रदेश के कोषाध्यक्ष शैलेंद्र ओझा ने किया। प्रमुख कवियों में कवित्री मीरा सिंह 'मीरा', लक्ष्मी फारुख सैफी, डॉ.बीएल प्रवीण, रामेश्वर नाथ मिश्र 'विहान', शिव बहादुर पांडे, प्रीतम प्रवीण जी,महेश्वर ओझा 'महेश' कार्यक्रम के संयोजक वैदेही शरण श्रीवास्तव, राम मुरारी राय, अंकित सिंह, दीपेंद्र, सरिता कुमारी, पारसनाथ मणि, धीरज कुमार आदि सम्मिलित रहे.
























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