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Buxar Top News: वीडियो: बड़ी ख़बर जेल में कार्यरत सुरक्षा कर्मी की तबीयत बिगड़ी, सुरक्षाकर्मियों में आक्रोश ..

दरअसल, तबीयत खराब होने के कारण कई दिनों से छुट्टी मांग रहे केंद्रीय कारा के एक कक्षपाल सौरभ कुमार की हालत बुधवार की देर शाम काफी खराब हो गई
देखें वीडियो: 

- जेल प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- अस्पताल के पुर्जे को बताते हैं फर्जी

- 1 दिन पूर्व भी बेहोश होकर गिर गया था कक्षपाल.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पटना में छुट्टी नहीं दिए जाने पर हुए सिपाही विद्रोह की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि बुधवार की देर शाम बक्सर केंद्रीय कारा एक ऐसा ही मामला सामने आया है.

दरअसल, तबीयत खराब होने के कारण कई दिनों से छुट्टी मांग रहे केंद्रीय कारा के एक कक्षपाल सौरभ कुमार की हालत बुधवार की देर शाम काफी खराब हो गई, जिसके बाद उसे केंद्रीय कारा स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से उसकी गंभीरता को देखते हुए उसे आनन-फानन में सदर अस्पताल लाया गया. सदर अस्पताल में उसका इलाज किया जा रहा है, जहाँ उसकी हालत स्थिर बतायी जा रही है.


इस तरह का मामला सामने आने के बाद  केंद्रीय कारा की सुरक्षा में कार्यरत उसके अन्य साथियों ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि उक्त कक्षपाल की तबीयत काफी दिनों से खराब थी, मंगलवार को भी ड्यूटी के दौरान वह गश खाकर गिर गया था. जिसके बाद उसका जेल में ही इलाज़ कराया गया. अभी उसकी तबीयत पूरी तरह से ठीक नहीं हुई थी कि उसे पुनः ड्यूटी पर लगा दिया गया. इसी दौरान बुधवार शाम पुनः उसकी तबीयत खराब होने लगी तथा वह फिर बेहोश होकर गिर पड़ा. उसे तुरंत जेल स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से उसकी गंभीर स्थिति देखते हुए उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. साथ कार्यरत सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि जेल प्रशासन उनके साथ अमानवीय व्यवहार करता है. छुट्टी के आवेदन दिए जाने के बावजूद उन्हें समय से छुट्टी नहीं दी जाती है. स्थिति यह है कि कई सुरक्षाकर्मी बीमार है लेकिन वह अपना ठीक ढंग से इलाज तक नहीं करा पा रहे हैं. और तो और जब सुरक्षाकर्मियों द्वारा सदर अस्पताल या अन्य किसी सरकारी अस्पताल से दी गई इलाज की पर्ची छुट्टी के आवेदन के साथ लगाई जाती है तो जेल प्रशासन उसे भी फर्जी करार देते हुए छुट्टियां देने से इंकार कर देता है.

इस बाबत वरीय सुरक्षा अधिकारी अशोक कुमार यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सिपाही ने उन्हें पूर्व में मौखिक रूप से तबीयत खराब होने की बात बताई थी, साथ ही छुट्टी का भी अनुरोध किया था. हालांकि, उक्त सुरक्षाकर्मी ने उन्हें इस बाबत कोई लिखित आवेदन नहीं दिया. यह पूछे जाने पर कि तबीयत खराब होने पर उसे पुनः ड्यूटी पर कैसे लगाया गया अधिकारी बगले झांकने लगे.

बहरहाल, पटना में हुए सिपाही विद्रोह के बावजूद जेल प्रशासन का अपने ही सुरक्षाकर्मियों के साथ इस तरह का रवैया कहीं फिर किसी विद्रोह की आग की चिंगारी न बन जाए.
























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