Buxar Top News: सुशासन पर सवाल: संदेहास्पद परिस्थितियों में पदाधिकारी का हुआ अपहरण, किसी तरह भागे ..
उन्होंने कहा कि पदाधिकारी के मोबाइल का सीडीआर निकाल कर मामले की जांच की जा रही है. हालांकि, प्रारंभिक जांच में मामला कुछ और ही प्रतीत हो रहा है.
- परिजनों ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप.
- पुलिस ने कहा कुछ और ही है मामला.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सुशासन की सरकार में कभी-कभी कुछ वाकये ऐसे हो जाते हैं जो विधि व्यवस्था के ऊपर सवाल बन जाते हैं. ऐसा ही एक मामला ब्रम्हपुर प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी संजय कुमार के अपहरण तथा उनकी बरामदगी तथा इस मामले में पुलिस की भूमिका से जुड़ा हुआ है. जहां अपहरण की वारदात होने के बावजूद तकरीबन एक हफ़्ते तक पुलिस द्वारा मामले में प्राथमिकी तक नहीं दर्ज की गई. साथ ही पुलिस ने ना तो अपहृत तथा बाद में मुक्त पदाधिकारी का बयान लेना मुनासिब समझा. वहीं घटना में घायल हुए पदाधिकारी का इलाज भी पुलिस पदाधिकारियों द्वारा कराए जाने की पहल नहीं की गई.
घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के अनुसार ब्रह्मपुर प्रखंड के कार्यक्रम पदाधिकारी संजय कुमार का अपहरण वह 23 अक्टूबर की शाम उस वक्त हो गया था जब वह प्रखंड कार्यालय से अपना काम निपटा कर भोजपुर जिले के बिहिया थाना क्षेत्र स्थित अपने गांव जा रहे थे. उसी वक्त सफेद रंग की स्कार्पियो ने उनकी बाइक में जोरदार टक्कर मार दी. इसके बाद वह सड़क पर गिर पड़े उनके गिरते ही स्कॉर्पियो से निकले अज्ञात लोगों ने पहले तो जमकर उनकी पिटाई की, फिर उन्हें स्कॉर्पियो में लाद कर चलते बने. पदाधिकारी को जब होश आया तो उन्होंने पाया कि उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी साथ में उनके हाथ भी बंधे हुए थे. वाहन चला रहे व्यक्तियों ने उन्हें ले जाकर एक कमरे में बंद कर दिया.
अगले दिन फिर अपहरणकर्ता आए तथा उनकी आंख पर पट्टी बांधकर गाड़ी में बैठा कर अन्यत्र ले जाने लगे. इसी क्रम में मौका पाकर पदाधिकारी किसी तरह अपहरणकर्ताओं के चंगुल से फरार होने में सफल रहे तथा किसी तरह वह अपने घर पहुंचे। घर पहुंचे पदाधिकारी ने अपने साथ हुई सारी घटनाओं को बताया. हालांकि, वह अपहरणकर्ताओं की पहचान बनाने बताने का असक्षम हैं.
मामले में पदाधिकारी के परिजनों ने बताया कि मामले में 24 अक्टूबर को दिए आवेदन के आधार पर पुलिस ने 1 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज की. ऐसे में यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि पुलिस मामले को लेकर सुस्ती बरत रही है.
मामले में ब्रह्मपुर थानाध्यक्ष इबरार अहमद ने बताया कि पदाधिकारी के परिजनों द्वारा 24 अक्टूबर को गुमशुदगी की तहरीर दी गई थी. पुलिस अभी मामले की जांच में जुटी हुई थी तब तक अधिकारी वापस आ गया. इसी बीच एक नवंबर को परिजनों ने पुनः मामले में अपहरण की बात कहते हुए आवेदन दिया, जिसके बाद पुलिस मामले के अनुसंधान में जुट गई. उन्होंने कहा कि पदाधिकारी के मोबाइल का सीडीआर निकाल कर मामले की जांच की जा रही है. हालांकि, प्रारंभिक जांच में मामला कुछ और ही प्रतीत हो रहा है.
बहरहाल, मामला चाहे जो भी हो लेकिन अगर पीड़ित पदाधिकारी एवं उनके परिजनों की बातों में जरा सी भी सच्चाई है तो यह अपने आप में सुशासन पर सवाल है.
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