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Buxar Top News: चोर-उच्चके बन गए हैं सामाजिक कार्यकर्ता, मुखौटे लगा कर बीकानेरी नमकीन के पॉकिट में घुसा रहे हैं पत्रकारिता - बोल-बच्चन गुरु।

पत्रकारों की हद हो गई कि ईंट पत्थरों की तरह शब्दों का प्रयोग कर स्तुतियां लिखने लगे और दूसरा कुछ लिखे तो उसे 'बीका' माल बताने लगे.

- छठ पर्व पर बोल-बच्चन गुरु ने बताई समाज की वर्तमान असलियत.
- कहा, बस खुराफात कर बटोर सकते हैं सुर्खियां.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जब तोप मुकाबिल हो तो अख़बार निकालों के नारों से पत्रकारिता का सूत्रपात करने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती यहाँ अख़बार वाले नहीं मनाते उल्टे उनका स्वांग जरूर रचते हैं. गोया क़ि पत्रकारिता का मानस वहीं लिख सकते हैं. बाकि सब कोरा बकवास लिखते हैं? कुछ इसी तरह की बातें बोल बच्चन गुरु ने उस वक्त बोल रहे थे, जब मैं गंगा घाट पर छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के बाद आगे के अनुष्ठान में लगा हुआ था. दरअसल, बोल-बच्चन गुरु छात्र-युवा-समाजसेवी शक्ति छठ पूजा समिति के वयोवृद्ध संरक्षक हैं.वहीं वह चर्चित बतकुच्चन गुरु के चच्चा भी हैं.

हाथों में माइक पकड़े छठ पूजा में आए और व्रतियों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि पूजा समिति उनका स्वागत करती है, करती थी और करती रहेगी. इसी बीच मंच से ही उन्होंने अपना भाषण भी शुरू किया. उन्होंने कहा कि आज मालूम चला की अखबार भी बिक गए और पत्रकार भी बिक गए, अब जाकर समझ में आया कि आज अखबार पढ़ने को क्यों नहीं मिला. बोल बच्चन गुरु की बातें सुनते ही सभी सावधान की मुद्रा में आ गए तथा ध्यान से उनकी बात सुनने लगे.

 उन्होंने आगे कहा कि"इस शहर का विकास उसी समय हो गया जब मुनीमजी की बीड़ी दुकान बन्द हो गई और बाद में उसी रोड पर जैकी श्रॉफ का राजा बीड़ी का प्रचार करते हुए बीड़ी पीते बड़ा पोस्टर टँग गया. पत्रकारिता का विकास भी उसी तरह ही हुआ कि पत्रकारों के नाम पर मुखौटे आ गए और पत्रकारिता बीकानेरी नमकीन की पाकिट में घुस गया. जो कभी पत्रकारों से डरते थे वो आज पत्रकारों से क़सीदे लिखवा रहे हैं. पत्रकारों की हद हो गई कि ईंट पत्थरों की तरह शब्दों का प्रयोग कर स्तुतियां लिखने लगे और दूसरा कुछ लिखे तो उसे 'बीका' माल बताने लगे." हम सभी एकाग्र चित्त होकर बोल बच्चन गुरु की बातें सुन रहे थे.

बोल बच्चन गुरु ने आगे कहा कि कहते हैं कि इस शाश्वत सृष्टि का नियम है कि हर का अनुकृति उसकी कृति में ही छिपी रहती है. इसलिये जो बिकने की मशाल लेकर दौड़ता है वह खुद बिका रहता हैं. शहर में चोर उच्चकों को महिमामंडित करने का शब्द ही निकल गया है 'सामाजिक कार्यकर्ता'. जिसने जीवन में कभी वर्ण पढ़ा नहीं वह 'सवर्ण' का नेता हो जाता है और जिसको हाई स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य दयाशंकर सिंह ने छेड़खानी के आरोप में सारे विद्यार्थियों के बीच पीटा हो, आज वहीं इस शहर का सामाजिक कार्यकर्ता बता दिया जाता है. यहीं इस शहर की पत्रकारिता हैं. किसी को नाम पाने की ललक हो, बस कुछ खुराफ़ात कर दीजिये देखिये कैसे सामाजिक हो जाते है! उन्होंने कहा कि अख़बार बेचने वाले कहकर किसी को कमतर आंक सकते है लेकिन उसको इस जनतंत्र में कम कैसे कर सकते है?

बोल बच्चन गुरु आज पूरे मूड में थे. उन्होंने कहा कि सांसद विधायक पर मुकदमा दायर कर सुर्खियां बटोरने वाले के भीतर की तस्वीर ही वायरल हुई तो नागवार क्यों लगी? शक्ति प्रतिष्ठान की हर चीज शक्तिशाली नहीं हो सकती जैसे फिल्मों में शक्ति कपूर का हश्र होता है वैसे हॉकर की ख़बर भी मुकदमे से शुरू हुई और मुक़दमे में ही उसका अंत होगा. केवल मोहरे परेशान हैं, जो हर मोड़ पर बिका वो आज थोक व्यापारी हो गया है. इस शहर का भी यहीं अर्थशास्त्र हैं और पत्रकारिता के मानस पढ़ने वाले टिकधारियों का भी. भले ही वे 'चोटी' के पंडित कहाये !

बोल बच्चन गुरु की बातें आगे भी चलती लेकिन उन्होंने कहा कि छठ का व्रत किए हो थके होगे, घर जाओ आराम करो. बातें तो बातें हैं फिर होती रहेंगी. हमने बोल बच्चन गुरु के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लिया और घर की तरफ प्रस्थान किया. बोल बच्चन गुरु की बातों को सुन तथा समाज के नैतिक पतन की घटनाओं पर उनका रोष देख कर मन चिंतन में डूबा हुआ है. हालांकि, यह  चिंतन स्वयं समाज को भी करना ही होगा...
























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