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मुख्यमंत्री के निश्चय पर लगा ग्रहण, अधिकारियों की कार्यशैली पर भी उठ रहे सवाल ..

वहीं उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक इस मामले में भुगतान नहीं हुआ है ऐसे में भ्रष्टाचार अथवा गबन के आरोप ही गलत है. उल्टे प्रखंड विकास पदाधिकारी ने यह भी बताया कि शिकायतकर्ता पूर्व वार्ड सदस्य है तथा उसके द्वारा मुखिया पर दबाव बनाकर पैसों की उगाही का प्रयास किया जा रहा है. 
निर्माण के बाद टूटी सड़क

- मामला सिमरी प्रखंड के केशोपुर पंचायत का.
- अनियमितता की शिकायत पर मिल रही है धमकी.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: मुख्यमंत्री सात निश्चय योजनाओं के कार्यान्वयन में अनियमितताओं की बात तो अक्सर सुनने को मिलती है. लेकिन इन अनियमितताओं के विरुद्ध अगर प्रशासनिक कार्यवाही भी सही ढंग से ना हो तो अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगते हैं. ऐसा ही एक मामला आया है. सिमरी प्रखंड के केशोपुर पंचायत में, जहां सात निश्चय योजना के तहत किए गए सड़क निर्माण(पीसीसी)  में बगैर ईट सोलिंग की तकरीबन 16 लाख की राशि के गबन की बात सामने आई है. मामले को लेकर अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के शिकायत की गई तकरीबन 5 माह बाद भी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा कोई विशेष फैसला इस मामले में नहीं दिया गया. उधर मामले की जांच करने पहुंचे प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनील कुमार गौतम ने भी तकरीबन 20 दिन बीत जाने के बावजूद जांच की रिपोर्ट शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष नहीं सौंपी. और तो और भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले व्यक्ति के ऊपर भी नाना प्रकार के दबाव बनाए जाने लगे. यहां तक के पंचायत के मुखिया संतोष कुमार वर्मा द्वारा शिकायतकर्ता रामेश्वर मिश्रा के परिजन रवि मिश्रा, सोनू मिश्रा तथा अमित मिश्रा के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया. जिसके बाद उन्होंने मामले को लेकर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में मामला भी दर्ज कराया है.
जाँच को पहुँचे प्रखंड विकास पदाधिकारी

मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी सुनील कुमार गौतम ने बताया कि शिकायत मिली तथा मामले की जांच भी की गई है. पाया गया कि पुरानी ईट सोलिंग पर ही ढलाई कर दी गई है. वहीं कुछ जगहों से नवनिर्मित सड़क टूट भी गई है जिसे बनाने का निर्देश संबंधित एजेंसी को दे दिया गया है वहीं उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक इस मामले में भुगतान नहीं हुआ है ऐसे में भ्रष्टाचार अथवा गबन के आरोप ही गलत है. उल्टे प्रखंड विकास पदाधिकारी ने यह भी बताया कि शिकायतकर्ता पूर्व वार्ड सदस्य है तथा उसके द्वारा मुखिया पर दबाव बनाकर पैसों की उगाही का प्रयास किया जा रहा है. 

बहरहाल, मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी  चाहे कुछ भी कहें लेकिन यह सवाल उठना लाजमी है की क्या मुख्यमंत्री की इस अति महत्वाकांक्षी योजना की सही मॉनिटरिंग हो रही है? और अगर हां तो आखिर कैसे बिना ईंट सोलिंग के ही सड़क की ढलाई कर दी गयी? कहीं यह किसी बड़े घोटाले की मिलीजुली साजिश तो नहीं ...
























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