चित्त के भटकाव को समाप्त करना ही योग है- जीयर स्वामी जी महाराज
सूर्य सम्पूर्ण लोकों की आत्मा हैं सूर्य तेज, ऐश्वर्य का देवता हैं. सूर्य यदि न रहें तो सारा दुनिया अंधकारमय हो जाएगा. सूर्य के अभाव में प्रकृति में ऐसे उपद्रवकारी जीव उत्पन्न हो जाएंगे कीटाणु प्रकट हो जाएंगे और उन्ही से सारी दुनिया समाप्त हो जाएगी.
- तिलौथू में आयोजित है स्वामी जी का प्रवचन.
- श्रोताओं को बताये जीवन के सत्य.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: तिलौथू में प्रवचन करते हुए लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज जी ने कहा कि चित् के भटकाव को समाप्त करना ही योग है.
योगेश्वर मतलब बताते हुए स्वामी जी महाराज ने बताया कि एक होते हैं योगीश्वर, एक होते हैं योगेश्वर और एक होते हैं योगी, एक होता है योग. उन्होंने कहा कि जीवन के चार तत्व होते हैं जिस साधना के द्वारा हमें उन तत्वों से हमारा संबंध हो जाए, मिलन हो जाए उसी का नाम योग है. पातंञ्जल योगी के अनुसार हमारी चित् का जो चंचलता है, चित् का जो भटकाव है, चित् का जो उधेड़बुन है जो साधन समाप्त हो जाए उसी का नाम योग है.जो करने वाला है वह योगी है. योग करने वाले योगियों में जो श्रेष्ठ है वह योगीश्वर है. जिनके द्वारा योग उत्पन्न हुआ हो वे योगेश्वर हैं. भगवान कृष्ण योगेश्वर हैं.
नास्तिक न होइए बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करीए:
लोग कहते हैं कि कहां भगवान हैं, कहां गाॅड हैं. सब अपने से चलता है. साधारण कपड़ा फट जाता है, तो मशीन से सिलवाना पड़ता है. लोग कहते हैं कि दुनिया अपने से चलती है. कोई न कोई व्यवस्था है इस दुनिया को चलाने के लिए. यदि सूर्य थोड़ा सा नीचे आ जाए तो पूरी दुनिया जलने लगेगी. उपर चले जाएं तो ठंड से अस्त व्यस्त हो जाना पड़ेगा. इसलिए अपने विवेक बुद्धि का उपयोग करीए. कितना भी नास्तिक होइए. नास्तिकता से काम नही चलने वाला है. जितना भी प्राकृतिक वस्तुएं हैं इन सबको बनाने वाला कोई न कोई भगवान होगा. जब कोई कारण है तो कोई न कोई कर्ता भी है.
सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं इन्हे रोज अर्ध्य देना चाहिए:
सूर्य सम्पूर्ण लोकों की आत्मा हैं सूर्य तेज, ऐश्वर्य का देवता हैं. सूर्य यदि न रहें तो सारा दुनिया अंधकारमय हो जाएगा. सूर्य के अभाव में प्रकृति में ऐसे उपद्रवकारी जीव उत्पन्न हो जाएंगे कीटाणु प्रकट हो जाएंगे और उन्ही से सारी दुनिया समाप्त हो जाएगी. सूर्य प्रकाश ही नही देते हैं वस्तुतः सूर्य के कारण ही प्रकृति बैलेंस बनाये रखती है. सूर्य कल्याण करने वाले हैं. सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं. ऐसे सूर्य को रोज अर्ध्य देना चाहिए. यदि सूर्य नाराज हो जाते हैं तो घर में श्री, ऐश्वर्य खत्म हो जाता है.
प्रवचन करते हुए जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री बनमाली जी महाराज तथा जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री बैकुंठ नाथ जी महाराज तथा जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री मुक्तिनाथ स्वामी जी महाराज जी ने लोगों को अपने अपने माध्यम से समझाते हुए बताया कि मनुष्य को अपने जीवन में सारी कठिनाइयों को रहने के बावजूद धर्म से विचलित नहीं होना चाहिए. अपने मर्यादा को नहीं छोड़ना चाहिए विषम परिस्थिति में भी धर्म पर अडिग रहना चाहिए प्रवचन सुनने हेतु काफी दूर-दूर से महिला व पुरुष काफी संख्या में जुटे थे. दिन भर 12:00 बजे के बाद स्वामी जी से मिलने हेतु अन्य अन्य जिलों से भी लोग आ रहे हैं.
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