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व्यवहार न्यायालय में हुए घटिया स्तर का निर्माण पर अधिवक्ताओं ने उठाए सवाल ..

साफ-सफाई को लेकर जो प्रयास अथवा निर्माण किए जा रहे हैं वह भी महज खानापूर्ति साबित हो रहे हैं. उनमें ना तो कार्य की गुणवत्ता का ख्याल रखा जा रहा है और ना ही गंदगी से मुक्ति दिलाने का. नतीजा यह हो रहा है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है

- निर्माण के महज 1 हफ्ते के भीतर टूट गया व्यवहार न्यायालय बना मूत्रालय.

- अधिवक्ताओं ने जताया विरोध, कहा- करेंगे हाई कोर्ट में शिकायत.


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक तरफ जहां सरकार स्वच्छता के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं बक्सर व्यवहार न्यायालय परिसर में गंदगी का अंबार पसरा हुआ है. साफ-सफाई को लेकर जो प्रयास अथवा निर्माण किए जा रहे हैं वह भी महज खानापूर्ति साबित हो रहे हैं. उनमें ना तो कार्य की गुणवत्ता का ख्याल रखा जा रहा है और ना ही गंदगी से मुक्ति दिलाने का. नतीजा यह हो रहा है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है.

दरअसल, मामला व्यवहार न्यायालय परिसर में बने मूत्रालय से जुड़ा हुआ है यह अधिवक्ताओं तथा आने-जाने वाले लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए नवनिर्मित मूत्रालय में घटिया स्तर के हुए कार्य के कारण बनने के महज 1 हफ्ते के भीतर मूत्रालय का शेड उखड़ गया. बताया जा रहा है कि शेड को सपोर्ट करने के लिए लगाया गया पाइप टूट गया है. बताया जा रहा है कि संवेदक द्वारा पुराने पाइप को को ही लगा दिया गया था उसके कारण वह टूट कर गिर गया. 

अभिवक्ता महेंद्र कुमार चौबे का कहना है की क्षतिग्रस्त शौचालय ठेकेदार की मनमानी का खामियाजा है. जबकि इस पर न्यायालय के अधिकारियों को भी ध्यान देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा की इस पर वरीय अधिकारियों द्वारा ठोस पहल नहीं की जाती है तो बाध्य होकर अधिवक्ताओ द्वारा आंदोलन किया जायेगा तथा इस मामले में पटना उच्च न्यायालय में शिकायत की जायेगी. वहीं अधिवक्ता कर्मवीर भारती, दयासागर पाण्डेय, वरीय अधिवक्ता शशिकांत उपाध्याय, रविन्द्र मिश्रा, आदित्य कुमार वर्मा समेत अधिवक्ताओं ने भी न्यायालय के अधिकारियों द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया.
















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