बार-बार गलतियों को दोहरा कर प्रायश्चित नहीं है उचित - जीयर स्वामी
नौ दिन भूखे प्यासे रहकर व्रत करेंगे और दसवें दिन उसी अनीति व अधर्म पर आ जा रहे हैं, जो ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा धर्म व पूजा पाठ नहीं करनी चाहिए
- ज्ञान यज्ञ में शामिल होने पहुंचे जीयर स्वामी जी महाराज का हुआ भव्य स्वागत.
- चक्रहँसी गाँव में चल रहा है ज्ञान यज्ञ.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले के सदर प्रखंड के करहँसी गांव में जीयर स्वामी जी का आगमन हुआ.वह ज्ञानयज्ञ में शामिल होने पहुँचे थे. इस दौरान लोगों ने उनका फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया गया. स्वामी जी के आगमन को लेकर सुबह से ही लोगों में काफी उत्साह था.
ज्ञान यज्ञ के दौरान आयोजित प्रवचन में स्वामी जी ने लोगों को प्रायश्चित के अर्थ को समझाते हुए कहा कि प्रायश्चित का मतलब यह नहीं कि बार-बार गलत करते हुए भगवान से क्षमा मांग लें. लेकिन आज के लोग ऐसा ही करते हैं. नौ दिन भूखे प्यासे रहकर व्रत करेंगे और दसवें दिन उसी अनीति व अधर्म पर आ जा रहे हैं, जो ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा धर्म व पूजा पाठ नहीं करनी चाहिए. अगर आपने गलत कर्म, आचरण और व्यवहार को किसी तीर्थ, व्रत व पूजा के माध्यम से त्याग दिया और फिर आगे के जीवन में वैसा गलत कर्म, आचरण और व्यवहार नहीं करने की धारणा आ जाय तो उसी का नाम प्रायश्चित होता है.
मन की चंचलता का समाधान अपने अंतर में है:
स्वामी जी महाराज ने कहा कि भले ही किसी समस्या के समाधान की प्रक्रिया संत महात्माओं के द्वारा बताई जाती है. लेकिन समाधान जब भी होता है तो अपने द्वारा ही होता है. समाधान हमारे अंदर ही है. उन्होंने कहा कि अयोध्या, मथुरा, वृंदावन में समाधान की प्रक्रिया ही मिलेगी. परन्तु समाधान अपने में ही मिलेगा. आशा, तृष्णा व कामना की त्याग किये बिना शान्ति की प्राप्ति नहीं होगी.

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