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अश्विनी चौबे जी, अगली बार जादू की छड़ी लेकर आईयेगा!


बक्सर: वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार प्रत्यक्ष तरीके से आपसे अवगत होने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री पद की रेस में एक तरफ सत्तालोभियो की भीड़तंत्र के सारथी जगता बाबू और दूसरी तरफ देश बदलने के आश्वाशन रूपी रथ पर सवार मोदी जी के सारथी के रूप में आप जनता के बीच आये थे। भगवान केदार के आशीर्वाद से पुनर्जीवन पाने वाले आप स्वाभाविक रूप से जनता की पहली पसंद थे और आप रिकॉर्ड मतों से चुन कर लोकतंत्र के शीर्ष मंदिर में हम सभी के प्रतिनिधि भी बने। बक्सर ने उस दिन आपके अंदर एक नया भविष्य देखा था। उस दिन बक्सर की उम्मीदों का एक नया सवेरा हुआ था।
उसके बाद लगातार लगातार सोशल मीडिया, अखबारों और विभिन्न व्यक्तियों के माध्यम से आपके ऊपर नज़र बनी रहती थी। आज जब कि चुनावों की रणभेरी बज चुकी है लेकिन अभी तक यह निश्चित नही हो पाया है कि आप बक्सर से ही सर्वप्रथम पार्टी की पहली पसंद बन पाते हैं या नही तो आपके कार्यकाल का बक्सर के एक सामान्य नागरिक के रूप में निष्पक्ष मुल्यांकन करने का प्रयास कर रहा हूँ।
आपके कार्यकाल को मैं दो हिस्सों में बाँट रहा हूँ: प्रथम तीन वर्ष और आखिरी दो वर्ष।

प्रथम तीन वर्ष:
आज जब आकलन कर रहा हूँ तो यह कहने में कतई संकोच नही करूँगा कि आपके कार्यकाल के प्रथम तीन वर्षों ने हम सभी बक्सरवासियों को निराश किया था। आप बक्सर के साँसद होते हुए भी बक्सर के लिए उपलब्ध नही हो पा रहे थे। देश के विभिन राज्यों में पार्टी के लिए चुनावों का प्रचार, दिल्ली में सांसद के रूप में मोदी जी की देखरेख में नए इंडिया के निर्माण (जो कि सभी सांसदों को दायित्व के रूप में मिला था) की रूप रेखा तैयार करना आदि आदि। कारण जो भी रहा हो, आप बक्सर से अधिकांश समय बाहर ही रहे। इसका फायदा आप ही कि पार्टी के लोगो ने जमकर उठाया। जनता के लिए आवंटित विकास योजनाओं की राशि में बंदरबाँट का वीभत्स खेल चलता रहा और आप को खबर तक नही मिली। सतही तौर पर पहली बार यह लूट गोलम्बर से जासो की सड़क के बदतर निर्माण के समय आयी। और फिर सबको बोलने का मौका मिल गया। अधिकांश लोगों ने जिसमे आपकी पार्टी के ही लोग ज्यादा थे ने आपको और सिर्फ आपको इस गबन के लिए जिम्मेदार ठहराया। यहाँ तक कि जो लोग अभी तक मलाई खा रहे थे उन लोगो ने आपका साथ देने की बजाय चुप्पी साध ली। मौका मिल गया लोगो को और आप रातोंरात खलनायक बन गए। तमाम तरह की बाते कही गयी लेकिन किसी ने भी इस बात का जिक्र नही किया कि इन सारी विकास योजनाओं को तो बक्सर के लोगों ने ही क्रियान्वित किया है। ठीक है कि आप बक्सर के बारे में नही जानते थे लेकिन उन सभी विकास योजनाओं के ठीकेदार तो बक्सर के ही थे उन लोगो ने बक्सर को कितना जाना? आप बक्सर को ना जानने के दोषी हैं तो फिर बक्सर के लोगो द्वारा ही बक्सर को ना जानने का दोष किस पर दिया जाए? कुल मिला कर आपके ये तीन वर्ष अस्तव्यस्तता की स्थिति के शिकार रहें और कुछ भी उल्लेखनीय नही कहा जा सकता।

आखिरी दो वर्ष:
अपने तीन वर्षों के अनुभव के बाद आपने शायद कुछ सीखा और स्वयं को संभाला। आपके आस पास के लोगो मे आमूल चूल परिवर्तन हो चुका था। नतीजा आखिरी दो वर्षों में कई उल्लेखनीय कार्य हुए। केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन अधिग्रहण, मेडिकल कॉलेज, पॉलीटेक्निक कॉलेज, नेशनल हाईवे 84 के निर्माण में तेजी, वीर कुँवर सिंह सेतु के पुनर्निर्माण की रूपरेखा, बक्सर सदर अस्पताल को एम्स से जोड़ना, इटाढ़ी गुमटी फ्लाईओवर, चौसा गुमटी फ्लाईओवर, पांडेय पट्टी उपरिगामी सेतु, रामायण सर्किट, स्वास्थ्य महाकुम्भ आदि आदि। इसके अलावा सामान्य योजनाओं जैसे ग्रामीण सड़को का निर्माण, सड़को पर स्ट्रीट लाइट, ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर लाइट, नालियों गलियों आदि के ऊपर भी खासे कार्य हुए। लेकिन इन सभी कार्यो के अलावा जिस एक कार्य ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो है लुटियंस जोन स्थित आम जनमानस के हितार्थ "विश्वामित्र_आश्रम" का सृजन। दिल्ली में चिकित्सा के लिए आने वाले लोगों को किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है ये सिर्फ वही जान सकता है जिसने यह दर्द झेला हो। लेकिन आपके सौजन्य से पहली बार लुटियन्स जोन के तंत्र ने भारत वर्ष के जन के लिए अपने दरवाजे खोले थे। अभी तक बारह हजार से भी ज्यादा लोगो को दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में वहाँ से सहायता प्राप्त हुई है।

इन पाँच वर्षों में जो चीज सबसे खराब रही वो है जनता और आपके बीच संवाद की कमी। साथ ही आपके प्रचार तंत्र की कमी ने भी आपके विरोधियों को खूब मौका दिया। आपके द्वारा किये गये प्रयासों को कभी जनता तक पहुँचने ही नही दिया गया। इसका फायदा आपके अपने औ विरोधियों ने जम कर उठाया।
अब आपकी कुछ प्रमुख असफलताओं की भी चर्चा कर ली जाए:

एम्स बक्सर के बजाय भागलपुर चला गया तो इसके दोषी सिर्फ और सिर्फ आप ही हैं। क्या हुआ कि एम्स के लिए आवश्यक सरंचनाये जैसे हवाई अड्डा, नगर निगम, सीवर लाइन का ना होना आदि। लेकिन इन सब के लिए बक्सर के पूर्वव्रतियों ने कुछ नही किया उससे हमें क्या मतलब?
बक्सर की सन 1947 से ट्रॉमा सेंटर की माँग रही है। लेकिन आज तक कभी भी किसी ने सार्वजनिक रूप से ना माँग की और ना ही प्रतिनिधियों ने इसके बारे में सोचा। अगर माँग की गई होती तो कब की पूरी हो गयी होती। आपके स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनते ही हम सबने आपसे माँग रखी लेकिन आपने दिया भी तो क्या दिया? बस मेडिकल कॉलेज! क्या हुआ कि ट्रॉमा सेंटर मेडिकल कॉलेज का ही एक हिस्सा होता है और आपने तो हमारी माँग से भी बड़ी चीज बक्सर को दे दी लेकिन उससे क्या? हमें तो बस ट्रॉमा सेंटर ही चाहिए था।
कई गाँवो की सड़कों का पुनर्निर्माण नही हो पाया। गोद लिए गाँवों में उल्लेखनीय सुधार नही हो पाया। कई विकास योजनाओं का क्रियान्वयन नही हो पाया भले ही इसबार सबसे ज्यादा राशि विकास योजनाओं पर खर्च हुई है। लेकिन क्या फायदा जब की बक्सर रातों रात पेरिस नही बन पाया! माननीय पूर्व विधायिका और मंत्री बिहार सरकार श्रीमती डॉ. सुखदा पांडेय जी के अलावा हमारे पूर्व के जनप्रतिनिधियों ने वो कुछ भी समुचित नही किया जो उन्हें करना चाहिए था तो उन आधारभूत सुविधाओं की कमी के लिए हमलोग आपको ही जिम्मेदार ठहराएंगे और उम्मीद करेंगे कि आप रातों रात वो विगत वर्षों की कमियों को दूर कर दें। हमारे अंदर धैर्य नही हैं। क्या हुआ कि पूर्ववर्ती और अन्य जनप्रतिनिधि के सामने हमारी घिग्घी बंधी रहती थी या है और कुछ कह ही नही पाते थे लेकिन हम आपको तो कहेंगे। हमें त्वरित रूप से अपनी सारी समस्याओं का निदान चाहिए इसीलिए मैंने ऊपर शीर्षक दिया है: "माननीय सा सांसद महोदय श्री अश्विनी चौबे जी, अगली बार जादू की छड़ी लेकर आईयेगा!

- विवेक कुमार 'हिन्दू'
(अस्वीकरण: इस लेख में प्रकट किए गए विचार लेखक के अपने विचार हैं और बक्सर टॉप न्यूज़ किसी भी रूप में इन विचारों का पूर्णतः या अंशतः समर्थन या विरोध नही करता। इस लेख के सभी विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी है।)














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