टीबी लाइलाज नहीं, इसे छिपाना खतरनाक - चिकित्सक
उसे चाहिए कि हमेशा मुंह पर कपड़ा रख कर खांसे. क्योंकि, टीबी का बैक्टीरिया रोगी के मुंह से निकल कर सामने बैठे व्यक्ति के मुँह माध्यम से उसके शरीर में चला जाता है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि यह बैक्टीरिया हवा में ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकता.
- यक्ष्मा रोग को लेकर आयोजित हुआ सेमिनार.
- चिकित्सकों ने कहा, सरकार के द्वारा मुफ्त इलाज की है व्यवस्था.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: यक्ष्मा रोग को लेकर चीनी मिल मोहल्ले में स्थित साबित ख़िदमद फाउंडेशन अस्पताल के प्रांगण में सीबीसी कार्ड एवं साबित खिदमत फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में एक सेमिनार सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कोऑर्डिनेटर वीरेंद्र कुमार ने बताया कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है परंतु इसे छिपाना खतरनाक हो सकता है. उन्होंने बताया कि सीबीसी कार्ड के द्वारा चलाए जा रहे अभियान में वह गांव-गांव जाकर ग्रुप डिस्कशन एवं घर-घर जाकर लोगों की जांच एवं इस रोग से बचाव के बारे में उन्हें बता रहे हैं. साथ ही साथ वॉल पेंटिंग एवं अन्य माध्यमों से भी लोगों को इस रोग से बचाव के जानकारियां दी जा रही है.
उन्होंने बताया कि सभी प्रखंडों के आशा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं अस्पतालों में दवाएं उपलब्ध उपलब्ध हैं वहीं, सरकार द्वारा ऑटोमेटिक डॉट नामक सुविधा भी शुरू की गई है जिसमें अगर रोगी ने दवा खाई और एक टोल फ्री नंबर पर उसने केवल मिस्ड कॉल कर दिया तो वह यह संदेश चला जाता है कि रोगी ने आज की दवा खाई है.
कार्यक्रम में आगे बोलते हुए प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. वी.के. सिंह सिंह ने बताया कि टीबी माउथ टू माउथ फैलता है. अगर सामने बैठा व्यक्ति जिसे टीबी है और वह खाँसता है तो उसे चाहिए कि हमेशा मुंह पर कपड़ा रख कर खांसे. क्योंकि, टीबी का बैक्टीरिया रोगी के मुंह से निकल कर सामने बैठे व्यक्ति के मुँह माध्यम से उसके शरीर में चला जाता है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि यह बैक्टीरिया हवा में ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह सकता. उन्होंने लोगों को कहा कि इलाज से ज्यादा जरूरी बचाव भी है. उन्होंने यह भी कहा टीबी गरीबी से फैलने वाला रोग नहीं नहीं है यह बैक्टीरिया जनित रोग है.
मौके पर मौजूद डॉ. वी कुमार ने कहा कि टीबी मरीजों के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं वह काफी भयावह हैं. उन्होंने कहा कि अब प्रतिदिन नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच हो रही है और जांच के बाद रोगियों का डाटा सरकार के भी पोर्टल पर अपडेट करने के साथ-साथ उन्हें मुफ्त में दवा की भी उपलब्धता कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि टीबी के रोगी जिन्होंने पूर्व में दवा खाई है, और बिना कोर्स पूरा किए उसे छोड़ दिया है उन रोगियों पर अब कोई दवा असर नहीं करती और अंततः वह मौत के मुंह में समा जाते हैं. जबकि अगर नियमित रूप से दवा की जाए तो टीवी का पूर्ण इलाज संभव है.
सदर अस्पताल के टीबी फोरम के सदस्य डॉ. दिलशाद आलम ने कहा कि अब हर चिकित्सक टीबी का इलाज कर सकता है. इसके लिए किसी स्पेशलिस्ट की जरूरत नहीं है. उन्होंने लोगों से अपील की कि टीबी का नि:शुल्क इलाज सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में किया जा रहा है. रोगियों को चाहिए कि वह इसका लाभ लें. उन्होंने कहा कि आज की परिस्थिति में हर मिनट एक रोगी मौत के मुंह में समा रहा है. ऐसे में अगर किसी को भी 15 दिन से अधिक खांसी हो तो उसे एक बार जांच कराते हुए यह सुनिश्चित अवश्य करा लेना चाहिए कि उसे टीबी है अथवा नहीं? और अगर है तो उसे छह माह तक नियमित दवा का सेवन करना चाहिए. जिससे कि वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा. लेकिन अगर दवा को बीच में बंद कर दिया गया तो उस रोगी का इलाज बहुत ही मुश्किल हो जाता है और अंततः उसे बचाया नहीं जा सकता.
कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन करते हुए साबित खिदमत फाउंडेशन के फाउंडर मेंबर साबित रोहतासवी ने मंच से लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूकता लाने की अपील की. मौके लता श्रीवास्तव, गणेश पाठक, गुलाम ख्वाजा, शाकिर, हामिद रज़ा, कहकशा आलम, बेबी, मनोज श्रीवास्तव, मुर्शीद रज़ा, रवि, हरेंद्र समेत कई लोग मौजूद रहे.
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