दिव्यांगों को मिला उनका अधिकार, चलंत न्यायालय में ऑन द स्पॉट हुआ मामलों का निष्पादन ..
अपने संबोधन में उन्होंने दिव्यांगजनों को लेकर सरकार की गंभीरता एवं उनसे संबंधित योजनाओं को अमल में लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया. मौके पर आयुक्त के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा आदि विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे.
- डीआरसीसी भवन में आयोजित किया गया था चलंत न्यायालय.
- राज्य निःशक्तता आयुक्त ने सुनी दिव्यांगों की गुहार.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: डीआरसीसी भवन शुक्रवार को दिव्यांगों से भरा था. एक तरफ सुनी जा रही थी शिकायत तो दूसरी तरफ चल रही थी दिव्यांगों की जांच. वहां उन्हें दिव्यांगता प्रमाणपत्र निर्गत किया जा रहा था. शुक्रवार को जिला निबंधन एवं परामर्श केन्द्र में यह नजारा आम था. दरअसल, वहां चलंत न्यायालय का आयोजन किया गया था. इसमें एक तरफ दिव्यांगों की समस्याएं सुनी गई तो दूसरी तरफ उनका ऑन द स्पॉट निष्पादन भी किया गया. यही नहीं, दिव्यांगों को उनकी दिव्यांगता के आधार पर प्रमाणपत्र भी दिया गया.
न्यायालय का शुभारंभ राज्य नि:शक्तता आयुक्त डॉ.शिवाजी कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने दिव्यांगजनों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी तो दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत विभिन्न प्रावधानों एवं एक्ट के बारे में भी बताया. इस क्रम में उन्होंने विकासात्मक, बौद्धिक, बहु दिव्यांगता एवं स्वलीनता से ग्रस्त दिव्यांगजनों के विशेष प्रशिक्षण एवं बाजार से उनकी सक्रिय संबद्धता पर प्रकाश डाला तो कौशल विकास प्रशिक्षण योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्रदान की. अपने संबोधन में उन्होंने दिव्यांगजनों को लेकर सरकार की गंभीरता एवं उनसे संबंधित योजनाओं को अमल में लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया. मौके पर आयुक्त के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा आदि विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे.
जांच को जुटे थे जिले भर से चिकित्सक:
चलंत न्यायालय में दिव्यांगों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा था तो उनकी दिव्यांगता की जांच करने और प्रमाणपत्र निर्गत करने के लिए जिले भर से चिकित्सकों की टीम को बुलाया गया था. इस दौरान वहां बने विभिन्न काउंटर पर चिकित्सक तैनात थे और दिव्यांगों की जांच कर रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ अन्य विभागों से संबंधित काउंटर भी बने हुए थे. इस क्रम में न्यायालय में जो भी शिकायतें आ रही थीं, उन्हें संबंधित विभागों को अग्रसारित कर दिया जा रहा था. उन शिकायतों में जिसका निष्पादन ऑन द स्पॉट होने लायक था उन्हें वहीं निष्पादित किया जा रहा था तो अन्य मामलों को प्राथमिकता के तौर पर रख लिया जा रहा था. खबर लिखे जाने तक डीआरसीसी में न्यायालय का आयोजन चल रहा था. ऐसे में किस विभाग से संबंधित कितने मामले आए इसकी जानकारी नहीं हो सकी.
इन विषयों से संबंधित मामलों की हुई सुनवाई:
डीआरसीसी में लगे चलंत न्यायालय में विभिन्न विषयों से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई. इस दौरान दिव्यांगता प्रमाणपत्र का निर्गमन किया गया तो इससे संबंधित मामलों की सुनवाई हुई. वहीं, 18 वर्ष की उम्र तक के बच्चों के लिए समुचित वातावरण एवं मुफ्त शिक्षा, शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश में आरक्षण, दिव्यांगजनों को रोजगार में 4 प्रतिशत का आरक्षण, गरीबी निवारण योजनाओं में आरक्षण आदि की सुनवाई की गई. इसके अलावा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 एवं संबंधित नियमावलियों में कार्यकारी आदेशों एवं अन्य सरकारी अनुदेशों में दिव्यांगों के लिए वर्णित अधिकार एवं सुविधाएं तथा दिव्यांगता के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव आदि से संबंधित मामलों की सुनवाई की गई.
क्या हैं दिव्यांगों से संबंधित योजनाएं:
दिव्यांगों से संबंधित योजनाओं में मुख्यमंत्री नि:शक्तजन विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना प्रमुख है. इसके तहत दिव्यांग से शादी करने पर एक लाख रुपये का अनुदान मिलता है. वहीं, अगर लड़का एवं लड़की दोनों दिव्यांग होते हैं तो दो लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है. जबकि, अंतरजातीय विवाह करने पर एक लाख रुपये का अनुदान अलग से दिया जाता है. इसके अलावा मुख्यमंत्री नि:शक्तजन स्वरोजगार ऋण योजना चलाई जाती है. वहीं, मुख्यमंत्री विकलांग सशक्तिकरण योजना के तहत दिव्यांगजनों के बीच कृत्रिम अंग एवं विशेष उपकरणों का वितरण किया जाता है. जबकि, दिव्यांगजनों का सर्वेक्षण एवं प्रमाणीकरण भी किया जाता है.
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